नए वर्ष में लें अच्छी सेहत का संकल्प, बदलनी होगी अपनी जीवनशैली
लखनऊ के केजीएमयू के रेसेपेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने बताया कि नए वर्ष में हम उन सभी कारणों पर विचार करें जो हमारे स्वास्थ्य व सुखद जीवन की गुणवत्ता को खराब करते हैं।
लखनऊ, डा. सूर्यकान्त। वर्ष 2022 भी बीते दो साल की तरह कोरोना की छाया में प्रवेश कर चुका है। दुनिया के 200 से ज्यादा देश पिछले दो साल से कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। अब तक कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया में लगभाग 28 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 54 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। नौ नवंबर, 2021 को दक्षिण अफ्रीका से शुरू हुआ कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन तेजी से पांव पसार रहा है। पूरी दुनिया में अब तक ओमिक्रोन से लगभग चार लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और 80 लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में इस वैरिएंट से 1500 से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और एक व्यक्ति की मौत भी हुई है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक ओमिक्रोन की संक्रामकता ज्यादा तेज है, लेकिन बीमारी की गंभीरता ज्यादा नहीं है। यदि यह बात मान भी ली जाए तो हमारे देश में बुजुर्ग, बीमार और बच्चे जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इन सबके लिए ओमिक्रोन एक गंभीर समस्या बन सकता है। यह भी ध्यान रखने की बात है कि ओमिक्रोन की संक्रामकता ज्यादा होने के कारण जहां कोरोना के दूसरे स्वरूपों का प्रसार दोगुना होने में आठ से नौ दिन लगते हैं, वहीं ओमिक्रोन के प्रसार में इसकी दो गुना संख्या होने में मात्र दो ही दिन ही लगते हैं।
बदलनी होगी जीवनशैली: हम सेहतमंद रहें, इसके लिए हमें अपनी जीवनशैली संयमित और अनुशासित रखनी होगी। फास्ट फूड का प्रचलन इतना बढ़ा है कि बच्चे ही नहीं बड़े भी बड़ी संख्या में इसके शौकीन हो गए हैं। व्यायाम, योग, प्राणायाम न करने और कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल आदि में देर तक समय बिताना भी विभिन्न बीमारियों का कारण है। देश में मोटापा, निमोनिया, अस्थमा, एलर्जी तथा पेट की बीमारियों से भी बड़ी संख्या में बच्चे पीड़ित हैं और इसका प्रमुख कारण फास्ट फूड का सेवन और व्यायाम से दूरी है। इसके अतिरिक्त अल्कोहल और तंबाकू का शौक हर उम्र के लोगों में तेजी से बढ़ रहा है, जो सेहत खराब कर रहा है। हम गैजेट्स से तो दूर नहीं हो सकते हैं। काम के दबाव में व्यस्तता अधिक है, लेकिन हमें सेहत के लिए बेहतर जीवनशैली को स्थान देना ही होगा।
स्वास्थ्य समस्याएं और भी हैं: देश में कोरोना के अतिरिक्त बहुत सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, जिसके कारण लोग बीमार हैं और काफी संख्या में मौत इसके कारण भी होती है। हमारा खानपान, रहन-सहन, जीवनशैली, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और चिकित्सकों द्वारा दी जाने वाली सलाह पर अमल न करना, ऐसे बहुत से कारण हैं, जिनके कारण भारत में संक्रामक और गैर संक्रामक रोग बहुत सक्रिय हैं। देश में लगभग 11 करोड़ वरिष्ठजन हैं और इसमें अधिसंख्य दो या तीन गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। जिनको थायराइड, डायबिटीज, कैंसर, हृदय, सांस, लिवर, गुर्दे, अवसाद, गठिया, मस्तिष्क आदि की समस्या है। इसके साथ ही जो मध्यम उम्र के लोग हैं, उनमें भी काफी लोग बीपी, डायबिटीज, थायराइड, लिवर, हृदय, कैंसर आदि रोग के शिकार हैं।
जिम्मेदार नागरिक बनिए: देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी के 75वें वर्ष में क्या हम यह विचार कर सकते हैं कि अगर खुद में कुछ बदलाव करने से मेरे जीवन व स्वास्थ्य के साथ ही समाज को मैं कुछ दे सकता हूं तो बेहतर है कि हम 2022 में यह संकल्प लें कि ऐसे कौन से बदलाव हैं, जो मेरे घर, परिवार के साथ ही समाज के लिए भी लाभकारी होंगे। जब कोई संक्रमण फैलता है तो उससे बचने के उपाय भी होते हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस पर काबू पाने के लिए अपना काम करते हैं, लेकिन हमें भी इस बात के लिए संवेदनशील होना चाहिए कि इसकी रोकथाम में हम अपनी भागीदारी कैसे कर सकते हैं। इसके लिए खुद जागरूक रहने के साथ ही दूसरों को भी जागरूक करें।
अपने साथ दूसरों के बारे में सोंचे: इस देश में 12 करोड़ लोग धूमपान करते हैं और जब वे धूमपान करते हैं तो उनकी बीड़ी और सिगरेट का धुआं 30 फीसद उनके फेफड़े में जाता है और 70 फीसद आसपास के लोग या परिवार के सदस्यों के फेफड़ों में जाता है। यदि हम इन चीजों की लत रखते हैं तो क्यों न संकल्प लें कि खुद ऐसी चीजों से दूर रहेंगे और अपनों को इनसे दूर रखने में मदद करेंगे। अल्कोहल व अन्य नशे के शौक के चलते हर साल लाखों लोगों की सेहत खराब होती है या जान से हाथ धोना पड़ता है और परिवार भी बर्बाद होते हैं।
कोरोना ने बहुत कुछ सिखाया: कोरोना महामारी में बहुत से लोग संक्रमित हुए तो बहुतों की जान गई, लेकिन इस बुरे दौर ने हमें बहुत कुछ सिखाया भी है। इस संक्रमणकाल में हमें साफ-सफाई, सेहत का खयाल रखना, बीमार और बुजुर्गों की देखभाल करना, पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्व को समझते हुए एक दूसरे के दुख-सुख में खड़े होने की गंभीर समझ मिली है। इस महामारी ने हमें सिखा दिया है कि क्यों जरूरी है सेहत के लिए समय निकालना। योग, प्राणायाम और पौष्टिक आहार सेहत के लिए कितने अहम हैं और जो चीजें प्राकृतिक रूप से सेहत के लिए खराब हैं, शौक के लिए उनका सेवन कितना खतरनाक हो सकता है। कोरोना से सबक लेकर हम योगआदि को अपने जीवन का हिस्सा बना सकते हैं, जिससे हर बीमारी या महामारी का आसानी से मुकाबला किया जा सके।
स्वस्थ जीवन के लिए हों संकल्पित: इसके साथ ही कौन सी वो अच्छी चीजें हैं, जो सबक से रूप में मिली हैं, उन सबका पालन करते हुए हम कैसे अपने को स्वस्थ बना सकते हैं। इसके साथ ही अपने परिवार के लोगों को स्वस्थ बना सकते हैं और पूरे समाज व राष्ट्र को भी स्वस्थ बना सकते हैं, इससे बेहतर नए वर्ष का संकल्प और कुछ नहीं हो सकता है।