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‘एप’के जरिये त्वचा रोग का इलाज ठप, लाखों खर्च के बाद सेवा ने तोड़ा दम

लोहिया अस्पताल में शुरू हुई थी टेली डर्मेटोलॉजी योजना। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने वर्ष 2017 में किया था उद्घाटन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 10:14 AM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 08:40 AM (IST)
‘एप’के जरिये त्वचा रोग का इलाज ठप, लाखों खर्च के बाद सेवा ने तोड़ा दम
‘एप’के जरिये त्वचा रोग का इलाज ठप, लाखों खर्च के बाद सेवा ने तोड़ा दम

लखनऊ, [संदीप पांडेय]। एक तरफ सरकार जहां ई-हॉस्पिटल पर जोर दे रही है, वहीं राजधानी के लोहिया अस्पताल में शुरू पहली टेली डर्मेटोलॉजी सुविधा ठप हो गई है। यहां लाखों रुपये खर्च कर तैयार किया गया सर्वर सिस्टम लड़खड़ा गया है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने सॉफ्टवेयर भी वापस कर दिया है।

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दरअसल, लोहिया अस्पताल में राज्य की पहली टेली डर्मेटोलॉजी सुविधा शुरू की गई थी। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने वर्ष 2017 में इसका उद्घाटन किया था। लेकिन, प्रचार-प्रसार के अभाव में सेवा अब ठप हो गई है। महीनों तक मरीजों की बेरुखी देखकर अस्पताल प्रशासन ने सॉफ्टवेयर भी वापस कर दिया है। कारण, अस्पताल को सॉफ्टवेयर का हर वर्ष 70 से 80 हजार रुपये किराये का भुगतान करना पड़ रहा था। ऐसे में लाखों रुपये सर्वर सिस्टम पर खर्च करने के बावजूद एप सर्विस को पंख नहीं लग सके। अब अस्पताल की वेबसाइट पर सुविधा शुरू होने का दावा किया जा रहा है, मगर मरीजों तक इसकी जानकारी नहीं पहुंच पा रही है।

वेबसाइट से भी बेरुखी

अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी के मुताबिक एप का इस्तेमाल मरीज नहीं कर रहे थे। ऐसे में सॉफ्टवेयर पर बेवजह पैसा खर्च हो रहा था। लिहाजा, उसे वापस कर दिया गया। अब उसे वेबसाइट http://www.rmlch.com/से इंटरलिंक कर दिया गया है। मरीज वेबसाइट पर परामर्श ले सकते हैं। हालांकि, वेबसाइट पर लंबी प्रक्रिया के चलते मरीज इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

अस्पतालों में त्वचा रोग विशेषज्ञों का संकट

राज्य में करीब 170 जिला अस्पताल, महिला अस्पताल व संयुक्त अस्पताल संचालित हैं लेकिन अधिकतर में त्वचा रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। पीएमएस सेवा में सिर्फ 77 के करीब त्वचा रोग विशेषज्ञ हैं। इनमें से भी आधा दर्जन ही एमडी स्किन हैं। शेष डीवीडी डिप्लोमाधारी हैं।

ओपीडी में भीड़ बरकरार

अस्पताल में सिर्फ एक त्वचा रोग विशेषज्ञ हैं। ऐसे में ओपीडी में मरीजों की कक्ष के बाहर भारी भीड़ जुटने से अफरा-तफरी का महौल उत्पन्न हो जाता है, जबकि त्वचा संबंधी 80 फीसद बीमारियों का निदान तकनीक का इस्तेमाल कर घर पर ही किया जा सकता है। एप सर्विस में मरीजों को त्वचा रोग की फोटो खींचकर भेजनी थी और डॉक्टर को बीमारी देखकर एप पर परामर्श भेजना था। मगर, कुछ ही दिन में सुविधा ठप हो गई।


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