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स्वाइन फ्लू के मरीज को 12 घंटे तक दौड़ाया, इलाज न मिलने से हुई मौत

केजीएमयू व बलरामपुर अस्पताल के बीच 12 घंटे दौड़ता रहा। स्वाइन फ्लू का संदिग्ध मरीज। परिवारीजनों ने लगाया आरोप समय पर नहीं मिला वेंटिलेटर व सही इलाज।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 09:10 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 09:10 PM (IST)
स्वाइन फ्लू के मरीज को 12 घंटे तक दौड़ाया, इलाज न मिलने से हुई मौत
स्वाइन फ्लू के मरीज को 12 घंटे तक दौड़ाया, इलाज न मिलने से हुई मौत

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में गंभीर मरीजों को भी इलाज के नाम पर टकराया जा रहा है। हरदोई से आए स्वाइन फ्लू के एक संदिग्ध मरीज को करीब 12 घंटे तक इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर से लेकर बलरामपुर अस्पताल के बीच दौड़ाया गया। आखिरकार उसे इलाज नहीं मिला और उसकी मौत हो गई। पिता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे को समय पर वेंटिलेटर नहीं मिला और न ही मुकम्मल इलाज। इसी के कारण उसकी मौत हो गई। 

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हरदोई के गौर खेड़ा गांव में रहने वाला 18 वर्षीय ललित दिल्ली में एक निजी कंपनी में कर्मचारी था। करीब एक हफ्ते पहले उसे बुखार व सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई। तबीयत खराब होने पर परिवारीजनों ने उसे हरदोई बुलाया और गुरुवार को दोपहर करीब तीन बजे उसे एक निजी अस्पताल ले गए। 

यहां डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। गुरुवार को ही रात करीब डेढ़ बजे परिवारीजन उसे लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने जांच करवाई। पिता राम विलास का आरोप है कि ट्रॉमा सेंटर में उसे बेवजह दौड़ाया गया। शुक्रवार की सुबह करीब चार बजे उसे वेंटिलेटर खाली न होने की बात कहकर बलरामपुर अस्पताल भेज दिया गया। 

अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टरों ने मरीज के लक्षण के आधार पर उसे स्वाइन फ्लू होने की आशंका जताई। मरीज की हालत गंभीर देखकर फिर यहां से उसे ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। तीमारदार उसे एंबुलेंस से जैसे-तैसे ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे। यहां इलाज के दौरान ललित ने दम तोड़ दिया। केजीएमयू के मीडिया इंचार्ज प्रो. संतोष कुमार का कहना है कि ट्रॉमा में बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। जरूरत के अनुसार वेंटिलेटर उपलब्ध करवाया जाता है। 


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