Super Pink Moon : चांद के दिखे अलग-अलग रंग, जानिए क्या है इसकी खासियत
मंगलवार की रात 11.38 पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब था। इस समय चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी घटकर मात्र 356900 किलोमीटर रह गई थी।
लखनऊ, जेएनएन। आसमान का नजारा बुधवार को विशेष रहा। सुपरमून के दीदार के लिए शाम से ही लोग उत्साही दिखे । कोई छत पर था तो कोई अपनी बालकनी में तो कोई बगीचे में । हर व्यक्ति चंद्रोदय के साथ ही चांद के दीदार के लिए लालायित था । जिनके पास टेलीस्कोप थी वह टेलिस्कोप लगाकर चांद के अवलोकन की तैयारी में थे जिनके पास डीएसएलआर कैमरा था वह अपने कैमरे में चांद की तस्वीरें कैद करने के लिए प्रयासरत दिखें । सूर्यास्त के साथी 6बज कर 51 मिनट पर जैसे ही चांद क्षितिज पर आया लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। शुरुआत में यह नारंगी आभा लिए दिखाई पड़ा जैसे-जैसे चांद ऊपर होराइजन की तरफ बढ़ा इसका रंग गुलाबी सा नजर आया। पूरा चांद होते -होते यह सफेद रंग की चमक के साथ बड़ा नजर आया ।
चांद के इन रूपों को देखकर सभी लोग अभिभूत रह गए एस्ट्रोनॉमी में पीएचडी कर रहे अमृतांशु बाजपेई जहां शोध की नजर से चांद की विभिन्न कलाओं को परख रहे थे । वही बारहवीं कक्षा के होजाइफा शकील इंदिरा नगर स्थित अपने मकान की छत पर परिवार के साथ टेलीस्कोप से चांद को निहारने में जुटे थे। वह एस्ट्रोनॉमी में अपना करियर बनाना चाहते हैं । वहीं बालागंज में अर्पण गुप्ता अपने डीएसएलआर कैमरे में चांद की तस्वीर कैद करने के लिए आतुर दिखे । अमृतांशु ने बताया कि चांद का फेस 99.6% विजिबल था। यानी यह सुपरमून के बेहद करीब रहा । उन्होंने कहा चंद्रमा के उदय के साथ ही अलग-अलग आभा रोमांच करने वाली थी । बहुत बारीकी से और अच्छे टेलिस्कोप के साथ इसके हिल्स और वैली भी देखे जा सकते थे । चांद की सतह पर गड्ढे (क्रेटर्स) हैं । यह क्रेटर साफ नजर आ रहे थे।
मंगलवार की रात 11.38 पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब था। इस समय चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी घटकर मात्र 356900 किलोमीटर रह गई। इससे चंद्रमा पृथ्वी से कुछ ज्यादा बढ़ा दिखाई दिया। इस वर्ष में चन्द्रमा इससे ज्यादा करीब नहीं आएगा। इसका मतलब यह है कि अप्रैल 2020 में दिखाई देने वाला सुपर मून अपने आप में एक अद्भुद खगोलीय घटना है ।
इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि आज जहां चांद सामान्य तौर पर दिखने वाले साइज से 14 फीसद बड़ा दिखाई दिया ।वहीं इसकी चमक भी आम दिनों के मुकाबले 30 फीसद ज्यादा थी । यही वजह है कि सुपर पिंक मून बेहद आकर्षक नजर आ रहा था । सुपरमून का अवलोकन लोग पूरी रात कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह एक यादगार खगोलीय घटना है जिसके लिए सभी लोग बहुत उत्सुक थे ।लॉक डाउन के चलते यूपी एमेच्योर एस्ट्रो नामक क्लब बड़ी संख्या में लोगों को टेलिस्कोप के जरिए सुपरमून का अवलोकन नहीं करा सका। लेकिन सबने अपने-अपने तरह से चांद के दीदार किए जिनके पास टेलिस्कोप नहीं भी था उन्होंने भी चांद की तस्वीर अपने जहन में उतार ली।
यह है खगोलीय घटना
इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के वैज्ञानिक अधिकारी सुमित श्रीवास्तव बताते हैं कि यह इस साल का सबसे चमकदार और सबसे बड़ा फुल मून है। आमतौर पर अप्रैल पूर्णिमा को गुलाबी चंद्रमा यानी पिंकमून कहा जाता है। वहीं, इस साल इसे सुपर पिंक मून कहा जाएगा, क्योंकि ये पूर्णिमा के दिन दिखाई देने वाला सुपरमून है। वह बताते हैं कि हर पूर्णिमा एक सुपरमून ही हो, ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा अंडाकार कक्षा में घूमता है।
चंद्रमा हमें पूरा तब भी दिखाई दे सकता है, जब वो हमारे ग्रह यानी पृथ्वी से ज्यादा दूरी पर हो। हालांकि, कहा जा रहा है कि आठ अप्रैल को दिखाई देने वाला सुपरमून इस साल का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला सुपरमून होगा। किसी भी वर्ष में अधिकतम चार सुपरमूंस दिखाई दे सकते हैं। सुपरमून की स्थिति में चन्द्रमा सामान्य से 14 % बड़ा एवम् 30% ज्यादा चमकदार नजर आता है।