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समझा पढ़ाई का मूल्य, हालात से सबक लेकर बेटी को बनाया PCS

बाराबंकी की ढकौली स्थित सूत मिल बंद हो जाने के बाद भी आफिसर्स कॉलोनी निवासी सुनीता मिश्रा ने अपनी बेटी को पढ़ाने का संकल्प लिया। वर्ष 2018 में बेटी नेहा का चयन पीसीएस में हुआ नेहा का लक्ष्य आइएएस सेवा में जाना है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 09:03 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 09:25 AM (IST)
समझा पढ़ाई का मूल्य, हालात से सबक लेकर बेटी को बनाया PCS
सूत मिल आफीसर्स कालोनी निवासी सुनीता मिश्रा ने खुद के सपनों को मारकर बच्चों का भविष्य बनाया।

बाराबंकी [जगदीप शुक्ल]। कहते हैं कि सबसे अच्छा पाठ समय ही पढ़ाता है। हालातों से डरने के बजाय सबक लेकर नजीर बना जा सकता है। बेटी को पीसीएस बनाकर कुछ ऐसी मिसाल ढकौली स्थित सूत मिल आफीसर्स कॉलोनी निवासी सुनीता मिश्रा ने पेश की है।

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वर्ष 2015 में मिल बंद होेने पर पति ज्ञान प्रकाश मिश्र की प्रतिमाह 25 से 35 हजार रुपये होने वाली आमदनी भी बंद हो गई। इससे परिवार आर्थिक संकट से जूझने लगा। इंटरमीडिएट तक पढ़ीं सुनीता को अहसास हुआ कि काश वह उच्च शिक्षित होतीं तो इस दौर में पति की मददगार बन पातीं। फिर क्या था उन्होंने बच्चों की पढ़ाई को हर हाल में जारी रखने का संकल्प लिया और इसे पूरा करने के लिए न सिर्फ घर बनवाने का इरादा छोड़ा बल्कि अपनी इच्छाओं और सपनों तक को मार दिया। बच्चों ने भी माता-पिता के संघर्ष को बेजा नहीं जाने दिया। पहला सुखद परिणाम वर्ष 2017 में पीसीएस में नायब तहसीलदार के पद पर चयन के रूप में आया। वर्ष 2018 में भी नेहा का चयन पीसीएस में हुआ है। नेहा का लक्ष्य आइएएस सेवा में जाना है। अन्य बच्चे भी पढ़ाई को जारी रखे हैं।

बच्चों का भविष्य संवर जाए अब यही सपना

सुनीता बताती हैं कि आर्थिक संकट के दौर में बच्चों ने भी अपनी भूमिकाओं का ईमानदारी से निर्वहन किया है। मिल बंद होने के बाद भी नेहा ने अपने सपने को मरने नहीं दिया। वर्ष 2016 में स्नातक करने के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लखनऊ पहुंचीं तो एक निजी संस्थान में शिक्षण कार्य कर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने जिम्मेदारी ली। उन्होंने बताया कि छोटी बेटी मुस्कान बीए की पढ़ाई, बड़ बेटा प्रतीक बीटेक और छोटा बेटा प्रतीक इंटर के बाद स्नातक कर रहा है। नेहा ने छोटे भाई-बहनों ही नहीं पूरे परिवार को हौसला दिया है। अभी भी दो कमरों के मकान में रह रहीं सुनीता ने बताया कि सभी बच्चों का भविष्य संवर जाए अब यही मेरा सपना है।

दस गांवों में इकलौती पीसीएस ‘बिटिया’

सुनीता ने बताया कि वह लोग मूल रूप से कुशीनगर जनपद के मिश्रौली गांव के रहने वाले हैं। गांव के आसपास दस गांवों में कोई किसी की बेटी पीसीएस नहीं है। जबसे नेहा का चयन हुआ है गांव से लोग फोन करके स्वागत करने को लेकर बुला रहे हैं। यह किसी भी आर्थिक पूंजी से बड़ा है।


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