रामनगरी में सीता-राम विवाहोत्सव संग चमका आस्था का सूर्य...फैसले के बाद भव्य उत्सव की साध पूरी
सीता-राम विवाहोत्सव अवध व मिथिला की संस्कृति के अनुरूप कहीं विवाह की रस्म हो रही है तो कहीं राम विवाह पर केंद्रित लीला की प्रस्तुति एवं प्रवचन की रसधार प्रवाहित हो रही है।
अयोध्या [रघुवरशरण]। वैसे तो प्रत्येक वर्ष अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी को सीता-राम विवाहोत्सव मनाया जाता है। संत-श्रद्धालु इस उत्सव को भव्यता देने में कोई कसर नहीं छोड़ते पर उनका प्रयास इस वर्ष रामलला के हक में आए सुप्रीम फैसले के साथ पूरी शिद्दत से फलीभूत हुआ। हालांकि दिन ढलने के साथ रविवार का सूर्य अस्त हो चला था पर आस्था का सूर्य पूरी शिद्दत से चमक रहा था। राम विवाहोत्सव की रौनक नगरी में सप्ताह भर पूर्व से ही है। अवध एवं मिथिला की संस्कृति के अनुरूप कहीं विवाह की रस्म संपादित हो रही है, तो कहीं राम विवाह पर केंद्रित लीला की प्रस्तुति एवं प्रवचन की रसधार प्रवाहित हो रही है।
रविवार को ऐन विवाहोत्सव के दिन उत्सव का शिखर परिलक्षित हुआ। यूं तो नगरी के शताधिक मंदिर विवाहोत्सव के साक्षी हैं पर कुछ मंदिरों के उत्सव भव्यता के पर्याय हैं। रामभक्तों की शीर्ष पीठ कनकभवन, इसी से कुछ फासले पर स्थित दशरथमहल बड़ास्थान, रंगमहल, मणिरामदासजी की छावनी, रामवल्लभाकुंज, जानकीमहल, अमावा राममंदिर, लक्ष्मणकिला, हनुमानबाग, रामहर्षणकुंज, विअहुतीभवन, सियारामकिला, रसमोदकुंज आदि इसी कोटि के मंदिर हैं।
अमावा मंदिर में रामरसोई शुरू
रामलला के दर्शन मार्ग पर स्थित अमावा राममंदिर में राम विवाहोत्सव के साथ इतिहास लिखा जा रहा था। इस मंदिर में रविवार को ही रामलला के दर्शनार्थियों के लिए रामरसोई की शुरुआत की गई। रामरसोई के संचालक पूर्व आइपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल एवं रामलला के प्रधान अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने रामभक्तों की विशाल पांत को भोजन परोस रामरसोई का आगाज किया।
स्वर्णछत्रयुक्त होगा बाल विग्रह
अमावा राममंदिर में गत माह ही स्थापित भगवान राम का बाल विग्रह स्वर्ण छत्र से युक्त होगा। चेन्नई से आयतित यह छत्र कॉपर और स्वर्ण निर्मित है।
...निक लागै सीता कै सजनवा अगनवा बीचे
रामकथा पार्क में आयोजित चार दिवसीय रामायण मेला की पहली शाम ने ही अमिट छाप छोड़ी। पुण्यसलिला के समांनातर सांस्कृतिक प्रवाह का साक्षी बनना विभोर करने वाला था। शुरुआत अयोध्या की ही युवा प्रतिभा राजीवरंजन पांडेय ने पखावज वादन से की। दूसरी प्रस्तुति लखनऊ से आईं डॉ. आर. मीनाक्षी ने दी। उन्होंने गुरु वंदना, देवी गीत, सोहर, विवाह गीत, पचरा गीत और अंत में जनता की मांग पर गोदना गीत प्रस्तुत किया। तीसरी प्रस्तुति अवधी गायन के संभावनाशील सितारे रत्नेश द्विवेदी के नाम रही। पूरी अवध नगरिया निक लागै, निक लागै सीता कै सजनवा, अंगनवा बीचे... की प्रस्तुति से उन्होंने खूब वाहवाही बटोरी।