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कोरोना से ही नहीं भूख से भी जंग में काम आए खादी के मास्क: सुमन देवी

बाराबंकी की सुमन देवी वैष्णो स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं जिन्होंने आपदाकाल में खादी के मास्क बनाकर न सिर्फ कोरोना संक्रमण को रोकने में भूमिका निभाई बल्कि स्वयं की आजीविका चलाने की भी जुगुत ढूंढ ली। खादी के मास्क बना चर्चा में आई सुमन देवी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 04:21 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 06:34 AM (IST)
कोरोना से ही नहीं भूख से भी जंग में काम आए खादी के मास्क: सुमन देवी
खादी के मास्क बना चर्चा में आई स्वयं सहायता समूह से जुड़ी बाराबंकी की सुमन देवी, पीएम ने की सराहना।

बाराबंकी [दीपक मिश्रा]। कोरोना महामारी ने जहां अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है वहीं तमाम लोगों ने आपदा में अवसर तलाश कर नजीर पेश करने का काम किया है। इन्हीं में एक हैं वैष्णो स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं, जिन्होंने आपदाकाल में खादी के मास्क बनाकर न सिर्फ कोरोना संक्रमण को रोकने में भूमिका निभाई बल्कि स्वयं की आजीविका चलाने की भी जुगुत ढूंढ ली। इस समूह से जुड़ी सुमन देवी के प्रयासों की रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सराहना कर चुके हैं।

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समूह ने बनाया आत्मनिर्भर, दिलाया मान:

जिला बाराबंकी से लगभग 80 किलोमीटर दूर ब्लाक त्रिवेदीगंज के ग्राम पंचायत हसनपुर के पुरवा गुरुदत्त खेड़ा की रहने वाली सुमन वर्मा के पति रामशंकर मजदूरी व 2 बीघे में खेती करते है। एकपुत्र कुलदीप व दो पुत्रियाँ अंजली, वैशाली है। सुमन भी अपने पति की मदद करना चाहती थी। इन्होंने गांव की सुभद्रा व अन्य महिलाओं के साथ मिलकर वैष्णो स्वयं सहायता समूह बनाया। सुमन वर्मा समूह के सभी सदस्यों का ध्यान इस तरह रखती हैं जैसे सभी सदस्य उनके परिवार के हैं। जब हमारा देश कोरोना नमक महामारी संकट से जूझ रहा था तब सुमन ने समूह के सदस्यों ग्रामीणों की को हौसला दिलाया और उन्हें कोरोना से कैसे निपटा जाए इसके बारे में सब को बताया। सुमन ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार मास्क बना कर गांव के गरीब परिवारों को वितरित किया। सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए सब को प्रशिक्षण दिया।  सुमन का कहना है कि हम तब तक शारीरिक दूरी बनाए रखने के अभियान को चलाएंगे जब तक हम कोरोना पर हम विजय प्राप्त कर नहीं कर लेते। सुमन ने बाजार से खादी के कपड़ों को खरीद कर घर पर लाई और आजीविका से मिलने वाली धनराशि से मशीन खरीदी। सिलाई मशीन से वह 11 सदस्यों के साथ मास्क बनाने लगी। अब गांव की अन्य महिलाएं भी इसी रोजगार में जुड़ गई हैं। लगभग दो दर्जन महिलाएं मास्क बनाकर बाजारों में सप्लाई कर रहे हैं। मास्क से आने वाली समूह का खर्च ही नहीं चलाती है बल्कि उन महिलाओं की बेरोजगारी दूर कर रही है जो अभी तक बेरोजगार थे।

2016 में गठन, 2019 में मिली मदद 

समूह का गठन वर्ष 2016 में हुआ था, परंतु इस समूह के सदस्यों को आर्थिक एवं आजीविका से संबंधित कोई लाभ नहीं मिल सका। इस कारण समूह के सदस्यों की आजीविका में कोई सुधार नहीं हुआ। वर्ष 2019 में ब्लॉक मिशन मैनेजर ज्योति श्रीवास ने समूह को उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन  से जोड़ा तो सरकार ने समूह को सारे आजीविका से संबंधित लाभ दिए। दिसम्बर 2019 में सीआईएफ के तहत एक लाख 10 रुपये मिले।  इससे समूह के सदस्य बहुत खुश हुए।

समूह गठन का यूं आया विचार: 

सुमन बताती हैं कि सूरतगंज ब्लॉक में तमाम स्वयं सहायता समूह तरक्की पर है। इसकी कहानियां अखबारों में छपा करती थीं। इसकी प्रेरणा से हमने भी ब्लॉक पहुंचकर सहायक विकास अधिकारी से मिलकर समूह बनाने की प्लानिंग की। समूह तो बन गया लेकिन उस समय सीआईएफ फंड नहीं था। इसलिए समूह तरक्की नहीं कर पाया। अब जब पैसा मिला तो महिलाएं भी काम करने लगी हैं।

डिप्टी कमिश्नर सुनील कुमार तिवारी ने बताया कि बीते दो वर्षों से जिले में 5000 से अधिक समूहों का गठन किया गया। 80 हजार महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया। इसी क्रम में सुमन देवी भी एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने सीआईएफ के फंड से तरक्की के रास्ते पर चल पड़ी हैं।


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