'मैं थक गई हूं..और स्ट्रगल नहीं हो रहा..लव यू पापा': बंद कमरे से मिला मनीषा का सुसाइड नोट
फॉरेंसिक टीम की एक घंटे पड़ताल में मनीषा के कमरा 309 से सुसाइड नोट मिला। मरने से पहले उसने लिखा- मुझसे अब स्ट्रगल नहीं हो रहा है..मेरी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं है... लव यू पापा
लखनऊ (जेएनएन)। 'मैं थक गई हूं, अब स्ट्रगल नहीं हो पा रहा है। मेरी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं है। सॉरी पापा आइ लव यू।' लिखने के बाद डॉ. मनीषा ने बीते शनिवार खुद को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया था। बुधवार दोपहर यह खुलासा पुलिस की पड़ताल के दौरान बुद्धा हॉस्टल स्थित मनीषा के रूम नं 309 से मिले सुसाइड नोट में हुआ। मनीषा की मौत के दो दिन बाद पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने परिवारीजनों के साथ एक घंटे तक उनके कमरे की पड़ताल की। कमरे में मौजूद एक-एक सामान और तैयार रिपोर्ट बहन दीपा को दिखाई गई। वहीं, छानबीन में एक सुसाइड नोट मिला, जिसने सबके होश उड़ा दिए।
सुसाइड नोट में लिखी ये बातें
मौत से पहले डॉ मनीषा ने सुसाइड नोट में लिखा था कि मैं थक गई हूं.. मुझसे अब स्ट्रगल नहीं हो रहा है..मेरी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं है..सॉरी पापा आइ लव यू। पड़ताल में जो कुछ भी मिला फॉरेंसिक टीम ने उसे पैकेट में सील कर जांच के लिए अपने पास रख लिया।
कमरे से यह सब भी लिया गया कब्जे में
इंस्पेक्टर वजीरगंज पंकज सिंह बुधवार दोपहर करीब 01:39 बजे फॉरेंसिक और मनीषा के पिता रमेश चंद्र विद्यार्थी, बहन दीपा शर्मा और अन्य परिवारीजनों के साथ बुद्धा हॉस्टल डी ब्लाक के तृतीय तल पर स्थित सील कमरा नंबर 309 में पहुंचे। डॉ. मनीषा की मौत के बाद पुलिस ने यह कमरा सील कर दिया था, उसे खोला गया। टीम ने करीब घंटे भर तक कमरा खंगाला। पड़ताल के दौरान कमरे में रखी टेबल पर एक सुसाइड नोट मिला उसके ऊपर एक पेन रखा था। टीम को कमरे से दो वेक्यूरेनियम इंजेक्शन, एक इंजेक्शन वॉटर भी मिला। टीम ने मनीषा का लैपटाप और डायरी समेत सारा सामान कब्जे में ले लिया है। पुलिस ने सारी कार्रवाई की वीडियो रिकार्डिंग की। इंस्पेक्टर ने बताया कि सुसाइड नोट और डायरी की हैंड राइडिंग की भी जांच कराई जाएगी। जिससे डॉ. मनीषा की हैंड राइटिंग की पुष्टि हो सकेगी।
बहन ने सुसाइड नोट पर उठाए सवाल
डॉ. मनीषा की बहन दीपा ने कमरे से मिले सुसाइड नोट पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सुसाइड नोट कोई अन्य व्यक्ति भी लिखकर कमरे में रख सकता है।
डॉ. मनीषा ने लगाया था एक इंजेक्शन, कमरे में मिला सीरिंज भी
इंस्पेक्टर वजीरगंज के मुताबिक कमरे में दो वेक्यूरेनियम इंजेक्शन मिले हैं। जिसमे से एक भरा था, जबकि दूसरा खाली था। इसके अलावा एक प्रयोग किया हुआ सीङ्क्षरज मिला है, पर सीरिंज की निडिल (सुई) मौके से नहीं मिली है। परिस्थितिजन्य साक्ष्य बता रहे हैं कि डॉ. मनीषा ने खुद को एक इंजेक्शन लगाया था।
इंजेक्शन लगाने के बाद मनीषा ने डॉ. ऊधम सिंह को किया था फोन
हॉस्टल स्थित अपने कमरे में शनिवार को खुद को बेहोशी का इंजेक्शन लगाने के बाद डॉ. मनीषा ने डॉ. ऊधम सिंह को फोन किया था। बुधवार को इसका खुलासा पुलिस की पड़ताल में हुआ। पुलिस सूत्रों के मुताबिक डॉ. मनीषा ने हॉस्टल स्थित अपने कमरे में खुद को हाई डोज बेहोशी का इंजेक्शन वेक्युरेनियम लगाया था। इंजेक्शन लगाने के बाद डॉ. मनीषा ने डॉ. ऊधम सिंह को फोनकर सूचना दी थी। सूचना पर डॉ. ऊधम सिंह मनीषा के कमरे पर पहुंचे तो वहां, कमरे का दरवाजा खुला था। मनीषा की हालत बिगड़ती देख डॉ. ऊधम सिंह ने शोर मचाना शुरू कर दिया। आस पड़ोस के कमरों में रहने वाले अन्य लोग भी आ गए। हॉस्टल में कुछ डॉक्टर भी मौजूद थे। उन्होंने डॉ. मनीषा का प्राथमिक उपचार भी किया। पर हालात गंभीर होते देख डॉ. ऊधम सिंह, मनीषा को अन्य डॉक्टरों की मदद से ट्रामा सेंटर लेकर पहुंचे थे। जहां उन्हें भर्ती कर लिया गया था।
ये है जूनियर डॉक्टर मनीषा प्रकरण का पूरा मामला
दरअसल, 638 शिवनगर, मसवानपुर कानपुर निवासी रमेश चंद्र विद्यार्थी की सबसे छोटी बेटी डॉ. मनीषा शर्मा केजीएमयू के क्वीनमेरी अस्पताल में एमएस की छात्रा थी। साथ ही वह जूनियर रेजीडेंट भी थी। शनिवार की रात करीब आठ बजे मनीषा ने बुद्धा हॉस्टल में अपने कमरे में इंजेक्शन की हाई डोज लगा लगा ली थी। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती मनीषा की गई, सोमवार दोपहर करीब 2:00 मौत हो गई। वहीं, बड़ी बहन दीपा शर्मा यूरो सर्जरी विभाग के सीनियर रेजीडेंट डॉ. उधम सिंह पर आरोप लगा रही थी कि उसी की वजह से मेरी बहन की मौत हो गई। कहा, कि इसी सीनियर ने मुझे फोन करके बताया था कि मनीषा से मेरी कहासुनी हुई है। इसके बाद उसने यह कदम उठा लिया। मेरे पास मोबाइल फोन पर इसकी कॉल रिकार्ड है। डॉ. उधम सिंह के खिलाफ वजीरगंज थाने में उसके लिए आत्महत्या के लिए प्रेरित करने और उत्पीडऩ का मुकदमा भी दर्ज करवाया। बताते चलें कि मनीषा का नाम व्यापमं घोटाले में आया था। जमानत के बाद उसने कोर्ट के आदेश पर केजीएमयू में एमएस कोर्स में 2015 में दाखिला लिया था।
डॉ. मनीषा और डॉ उधम दोनों थे सहपाठी
जानकारी के मुताबिक, मनीषा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी। केजीएमयू में पीजी कोर्स में उसका दाखिला हुआ था। छह महीना देर से दाखिला लेने के कारण उसका इंतिहान अब लिया जा रहा था। डॉ उधम सिंह जोकि यूरोलॉजी सर्जरी में सीनियर रेजीडेंट है वह उसी की सहपाठी था। मनीषा का इम्तिहान अब छह महीना बाद होना था, ऐसे में डॉ उधम सिंह सीनियर रेजीडेंट हो गया था।
व्यापम घोटाले में आया था मृतका का नाम चर्चा में
2015 में केजीएमयू में क्वीन मेरी अस्पताल में पीजी कोर्स के दाखिले के समय डॉक्टर मनीषा का नाम व्यापम घोटाले में आया था। मनीषा के पिता ने बताया कि कोर्ट के निर्देश पर छह महीने बाद मनीषा को दाखिला मिला था, अभी मामला कोर्ट में चल रहा है। उधर, केजीएमयू प्रशासन का कहना है मनीषा से व्यापम घोटाले मैं पूछताछ के लिए पुलिस ले गई थी।