UP News: विधान सभा में गन्ना विकास मंत्री बोले- योगी सरकार में अधिक भुगतान के कारण बढ़ा गन्ना उत्पादन और रिकवरी
गन्ना मूल्य बकाये के भुगतान को लेकर विधान सभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष की तकरार के बीच गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि योगी सरकार में अधिक भुगतान के कारण गन्ना उत्पादन और रिकवरी बढ़ी है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। Sugarcane Farming In UP गन्ना मूल्य बकाये के भुगतान को लेकर विधान सभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तकरार हुई। 14 दिनों में गन्ना मूल्य की अदायगी न होने पर ब्याज सहित भुगतान न हो पाने के लिए उन्होंने अखिलेश सरकार को जिम्मेदार ठहराया। यह कहते हुए कि अखिलेश सरकार ने चीनी मिल मालिकों से ब्याज न लेने का निर्णय किया था। यह मामला न्यायालय में लंबित है।
ब्याज सहित गन्ना मूल्य भुगतान न होने के लिए सपा सरकार जिम्मेदार
- सपा के पंकज मलिक के सवाल पर गन्ना विकास मंत्री ने बताया कि प्रदेश की सहकारी चीनी मिलों पर पेराई सत्र 2018-19, 2019-20 व 2020-21 का कोई बकाया नहीं है। सहकारी चीनी मिलों पर मात्र पेराई सत्र 2021-22 का 440.67 करोड़ रुपये बकाया है।
- निजी क्षेत्र की चीनी मिलों पर भी 2018-19 व 2019-20 का कोई बकाया नहीं है। पेराई सत्र 2020-21 में एकमात्र महाराज की गड़ौरा चीनी मिल पर 11.44 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य बकाया है जिसकी वसूली के लिए वसूली प्रमाणपत्र जारी किया जा चुका है।
- पेराई सत्र 2021-22 में निजी चीनी मिलों पर 3964.45 करोड़ रुपये बकाया है। पेराई सत्र 2021-22 के बचे हुए गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए बकायेदार चीनी मिलों को नोटिसें जारी की गई हैं।
- पंकज मलिक ने सवाल किया 14 दिनों में गन्ना मूल्य भुगतान न होने पर किन मिलों पर कार्रवाई हुई? क्या सरकार किसानों को ब्याज सहित भुगतान करेगी? रालोद के प्रसन्न कुमार ने पूछा कि क्या भुगतान न करने वाली चीनी मिलों पर बुलडोजर चलेगा?
- जवाब में गन्ना विकास मंत्री ने कहा कि अखिलेश सरकार ने निर्णय किया था कि चीनी मिल मालिकों से ब्याज नहीं लिया जाए। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
- सरकार ने इस मामले को हल करने के लिए कमेटी बनाई है। इस पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हमें यह निर्णय इसलिए लेना पड़ा था क्योंकि जब बाजार में चीनी के भाव गिरा हुआ था।
योगी सरकार ने 46 लाख किसानों को जारी किए शेयर सर्टिफिकेट
गन्ना विकास मंत्री ने बताया कि पूर्ववर्ती बसपा और सपा सरकारों के 10 वर्षों के शासनकाल में कुल 147346 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य भुगतान हुआ जबकि योगी सरकार के पिछले पांच वर्षों के दौरान 178924 का भुगतान हुआ जिसमें पूर्ववर्ती सरकारों का 10000 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है। गन्ना मूल्य के अधिक भुगतान के कारण ही उप्र चीनी उत्पादन में प्रथम है।
प्रदेश में गन्ने का रकबा बढ़ा है और रिकवरी भी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 120 में से 63 मिलों ने शत प्रतिशत भुगतान किया है। 20 मिलों ने 86 प्रतिशत भुगतान किया है। बची हुईं मिलों को भी भुगतान के निर्देश दिये गए हैं। यह भी कहा कि उप्र से ज्यादा गन्ना मूल्य किसी दूसरे राज्य में नहीं है। योगी सरकार ने 46 लाख किसानों को शेयर सर्टिफिकेट जारी कर उन्हें सहकारी चीनी मिलों में उनकी हिस्सेदारी का अहसास कराया है।