बाराबंकी में चार डॉल्फिन का सफल रेस्क्यू कर बनाया कीर्तिमान, पांचवी की तलाश जारी
बाराबंकी में आठ दिन से देवा और एक रामनगर रेंज में देखी जा रही थीं चार डॉल्फिन चार घंटे में चारों पकड़ी गई। सुरक्षित घाघरा में छोड़ी गई।
बाराबंकी, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की वन विभाग की टीम ने एक दिन में चार डॉल्फिन मछलियों को नहर से रेस्क्यू कर सुरक्षित घाघरा में डालने का कीर्तिमान बनाया है। डीएफओ का कहना है कि इससे पहले देशभर में एक साथ चार डॉल्फिन का सफल रेस्क्यू नहीं किया गया था। टीम अभी पांचवीं डॉल्फिन का रेस्क्यू कर रही है। इस उपलब्धि का श्रेय उन्होंने अधिकारी व कर्मचारियों के साथ तकनीकी मदद करने वाली टीएसए टीम के योगदान को दिया है।
चार घंटे में चार डॉल्फिन पकड़ी
दरअसल, जिले में करीब आठ दिन से देवा और एक रामनगर रेंज में चार डॉल्फिन स्थित नहरों में देखी जा रही थी। इनके रेस्क्यू का काम लगातार दोनों टीमें संयुक्त रूप से कर रही थीं। निंदूरा ब्लॉक के कुर्सी क्षेत्र के पोखन्नी रेग्युलेटर के पास शारदा नहर में 17 मई को दिखी थीं। 24 मई की सुबह पांच बजे से नौ बजे तक चले रेस्क्यू में दोनों टीमों ने स्थानीय लोगों के सहयोग से चार डॉल्फिन को जाल के सहारे पकड़ लिया। इनमें से दो नर व दो मादा डॉल्फिन बताई जा रही है। देवा वन रेंजर अनुज सक्सेना ने बताया कि नहर में पानी कम हो गया था। इसके चलते भी डॉल्फिन को निकालना आवश्यक हो गया था। निकाली गई इन डॉल्फिन को सुरक्षित घाघरा नदी में छोड़ दिया गया है। डीएफओ एनके सिंह ने बताया कि रामनगर रेंज में भी रविवार को ही रेस्क्यू कर डॉल्फिन को सुरक्षित घाघरा में डालने का काम किया जा रहा है।
टीम में यह रहे शामिल
डीएफओ एनके सिंह के निर्देशन में रेस्क्यू करने वाली टीम में वन क्षेत्राधिकारी रामसनेहीघाट एसके तिवारी, देवा अनुज सक्सेना, फतेहपुर रमेश चंद्र भट्ट, रामनगर सुबोध शुक्ला, वन दारोगा प्रशांत वर्मा, विनीत जायसवाल, अनिल गुप्ता शामिल थे। इसके अतिरिक्त टर्टल सर्वायवल एलियांज (टीएसए) टीम के डॉ. शैलेंद्र सिंह, डॉ. सुरेश पाल सिंह, डॉ. अरुणिमा सिंह डॉ. ऋषिका दुबला ने तकनीकी सहायता प्रदान की। अब रामनगर रेंज के कैनाल में फंसी डॉल्फिन का रेस्क्यू किया जा रहा है।
क्या कहते हैं अफसर ?
डीएफओ एनके सिंह के मुताबिक, भारत में भारतीय गांगेय डॉल्फिन का किया गया यह सबसे बड़ा ऑपरेशन है। इससे पहले इतनी भारी संख्या में डॉल्फिंस का रेस्क्यू कहीं नहीं किया गया है। भारतीय गांगेय डॉल्फिन वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में दर्शित शेड्यूल एक का वन्य जलीय जीव है, टाइगर भी इसी श्रेणी में आता है।