Move to Jagran APP

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अमीनाबाद से दी थी अंग्रेजों को चेतावनी

सुभाष चंद्र बोस जयंती : राजधानी में बसे बंगालियों से मिलने अक्‍सर आते थे नेताजी। अमीनाबाद में निकाली थी रैली।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 10:20 AM (IST)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अमीनाबाद से दी थी अंग्रेजों को चेतावनी
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अमीनाबाद से दी थी अंग्रेजों को चेतावनी

लखनऊ, (जुनैद अहमद)। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘जय हिंदू’ जैसे नारे से देश को आजादी दिलाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस लखनऊ शहर को अपना मानते थे। यह वही शहर था जहां से खुले मंच पर उन्होंने अंग्रेजों को देश छोड़ने की चेतावनी दी थी। 26 जनवरी 1940 में अमीनाबाद स्थित झंडे वाला पार्क में आयोजित सभा में उन्होंने वह हिंदुस्तान अब जाग उठा है.. का नारा दिया। मंच से उन्होंने अंग्रेजों को बोरिया बिस्तर बांधकर अपने देश वापस जाने की चेतावनी दी थी।

loksabha election banner

राजधानी में सुभाष चौक के नाम से बने चौराहे पर उनकी विशाल प्रतिमा लोगों को आज भी देशभक्ति की भावना पैदा करती है। वह जब भी शहर आते थे तो हुसैनगंज स्थित बंगाली क्लब जरूर जाते थे। उसके अलावा स्वतंत्रता सेनानी राम कृष्ण खत्री से मिलते थे। शहर में रहने वाले बंगाली समाज समेत अन्य समाज के लोग भी सुभाष चंद्र बोस को आज भी अपना आदर्श मानते हैं, उनकी याद में आज भी कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

अमीनाबाद में विशाल जुलूस निकाला

राम कृष्ण खत्री के बेटे उदय खत्री ने बताया कि अपने पिता से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के किस्से सुनते थे। कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया जिसका प्रदेश महामंत्री मेरे पिता राम कृष्ण खत्री को बनाया। वह उनके साथ प्रदेश भर में दौरे करते थे। 26 जनवरी 1940 को उन्होंने अमीनाबाद में जुलूस व सभा करने की योजना बनाई। इस दिन कांग्रेस ने भी अपनी सभा रखी थी। कांग्रेस चाहती थी कि नेता जी भी उसी सभा के साथ अपनी सभा भी आयोजित करें, लेकिन नेता जी नहीं माने और उन्होंने अलग सभा करने का फैसला लिया। झंडेवाला पार्क में आयोजित सभा में उन्होंने लगभग डेढ़ घंटे तक भाषण दिया।

काकोरी कांड के बाद शहर आए थे नेताजी

बंगीय समाज के मुख्य संयोजक पीके दत्ता ने बताया कि नेताजी हम लोगों के लिए सबसे बड़े क्रांतिकारी नेता रहे हैं। वह पहली बार लखनऊ काकोरी कांड के बाद आए थे। काकोरी कांड में शामिल क्रांतिकारियों की फांसी के बाद जब वह शहर पहुंचे तो सभी ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।

बंगाली क्लब में हुआ था सम्मान

बंगाली क्लब के अध्यक्ष अरुण बनर्जी ने बताया कि 20 नवंबर 1938 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का बंगाली क्लब में सम्मान किया गया था। बंगाली समाज द्वारा किए गए सम्मान में उन्होंने क्लब के सदस्यों के साथ फोटो भी खिंचवाई थी।

ताकि जिंदा रहें नेताजी के आदर्श

शहर की कल्याण करोति संस्था की ओर से जयंती पर दिव्यांगों को सुविधाएं प्रदान करती है। संस्था के महामंत्री विमल कुमार शर्मा ने बताया कि 1982 से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें दिव्यांग जनों को ट्राई साइकिल, व्हीलचेयर, बैसाखी वर्किंग स्टिक, सिलाई मशीन दी जाती है। बिना किसी सरकारी मदद से संस्था लगातार सामाजिक कार्य करके नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाती है।

नेताजी के भाषण को पढ़ा गया

जयंती की पूर्व संध्या पर सोशलिस्ट फाउंडेशन की ओर से नेताजी के भाषण का विमोचन किया गया। मंगलवार को पर्वितन चौक स्थित सुभाष चौक पर आयोजित कार्यक्रम में फाउंडेशन के अध्यक्ष रामकिशोर के संयोजन में हुआ। इस दौरान 26 सितंबर 1943 में बहादुरशाह जफर की रंगून स्थित कब्र पर सुभाष चंद्र बोस के पढ़े गए भाषण को पढ़ा गया। इस मौके पर बंगीय समाज के मुख्य संयोजक पीके दत्ता, राष्ट्रीय शराबबंदी संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. आरबी लाल, हाफिज किदवई समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.