लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों को मिलेंगे शोध और रोजगार के अवसर, ड्रग कंपनियां इंटर्नशिप के साथ देंगी नौकरी
स्टेट ड्रग मेन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन के संरक्षक वीरअंजनी कुमार सक्सेना ने कहा कि एमओयू होने से लखनऊ विश्वविद्यालय औद्योगिक शोध व समस्याओं को निराकरण भी होगा। त्तर प्रदेश में 515 औषधि निर्माण औद्योगिक इकाइयां हैं जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मजबूत हिस्सा है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट आफ फार्मास्युटिकल साइंसेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को आइआइटी की तर्ज पर शोध की सभी सुविधाएं मुहैया हो सकेंगी। साथ ही इंटर्नशिप और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इसके लिए लखनऊ विश्वविद्यालय ने सोमवार को जैव चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (सीबीएमआर) लखनऊ और राज्य अनुसंधान मेन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन के साथ समझौता हुआ। कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय, सीबीएमआर के निदेशक प्रो. आलोक कुमार धवन, एसोसिएशन के संरक्षक वीरअंजनी कुमार सक्सेना और इंस्टीट्यूट आफ फार्मास्युटिकल साइंसेज के निदेशक प्रो. पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
स्टेट ड्रग मेन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन के संरक्षक वीरअंजनी कुमार सक्सेना ने कहा कि एमओयू होने से लवि के छात्रों को औद्योगिक प्रशिक्षण में सहयोग दिया जाएगा। शिक्षकों के सहयोग से फार्मास्यूटिकल औद्योगिक शोध व समस्याओं को निराकरण भी होगा। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 515 औषधि निर्माण औद्योगिक इकाइयां हैं, जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मजबूत हिस्सा है। विश्वविद्यालय के पास होने वाले सभी विद्यार्थियों को रोजगार देने के अवसर दिए जाएंगे। इस अवसर पर कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने दोनों संस्थानों को बधाई दी। एमओयू के अवसर पर डीन एकेडमिक्स प्रो. राकेश चंद्रा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. पूनम टंडन भी उपस्थित रहीं।
सीबीएमआर में बेहतर शोध की सुविधाएं : सीबीएमआर के निदेशक प्रो. आलोक धवन ने बताया कि जैव चिकित्सीय अनुधान विश्व स्तरीय मशीनरियों से सुसज्जित है। इस एमओयू से साइंस एंड टेक्नोलाजी के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा मिलेगा। विद्यार्थियों के लिए नए अवसर प्राप्त होंगे। इंस्टीट्यूट आफ फार्मास्युटिकल साइंसेज के निदेशक प्रो. पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि इस एमओयू से कोविड 19 जैसी महामारी पर जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए संयुक्त रूप से प्रोजेक्ट करेंगे। छात्रों व संकाय सदस्यों के लिए नई शिक्षा नीति के अनुसार शोध के अवसर मिलेंगे। साथ ही प्रशिक्षण कार्यक्रम, ग्रीष्म व शीतकालीन इंटर्नशिप का आदान प्रदान होगा।