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Lucknow University: शिक्षक के समर्थन में छात्र संगठनों ने किया प्रदर्शन, विवादित बयान का मामला

हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. रविकांत चंदन ने एक चैनल पर लेखक पट्टाभि सीता रमैया की लिखित किताब का हवाला देकर काशी विश्वनाथ मंदिर पर बयान दिया था। इसको लेकर बीते 10 मई से लगातार उनका विरोध चल रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 03:08 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 03:08 PM (IST)
Lucknow University: शिक्षक के समर्थन में छात्र संगठनों ने किया प्रदर्शन, विवादित बयान का मामला
विवादित बयान देने वाले शिक्षक का विरोध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. रविकांत चंदन के समर्थन में आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा), भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) व अन्य संगठन भी आ गए हैं। बीते दिनों काशी विश्वनाथ मंदिर पर बयान देने के बाद उनके खिलाफ एबीवीपी ने विरोध प्रदर्शन किया था। इसी विरोध के खिलाफ और समाज के लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए मंगलवार को छात्र संगठन ने लखनऊ विश्वविद्यालय के गेट नंबर दो के बाहर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

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दोपहर 12 बजे एनएसयूआइ के विशाल सिंह, आइसा के निखिल सहित अन्य छात्र संगठनों के कार्यकर्ता विश्वविद्यालय के गेट नंबर एक पर धरने के लिए पहुंचे, लेकिन यहां छुट्टी होने की वजह से विश्वविद्यालय का गेट बंद था। साथ ही विरोध की सूचना पर पुलिस बल भी मौजूद रहा। उसके बाद छात्र संगठन गेट नंबर दो पर पहुंच कर बाहर धरने पर बैठ गए।

आइसा के संयोजक निखिल उनका कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन एक सजग प्रोफेसर के साथ ही एक मुखर सामाजिक चिंतक व विचारक हैं। विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर एबीवीपी ने उनका विरोध कर अपशब्द कहे। अलोकतांत्रिक व धमकी भरे नारे का प्रयोग कर उन्हें मारने की धमकी दी गयी। हम एबीवीपी के इस आक्रामक प्रदर्शन को असहिष्णुता और बहुसंख्यक सांप्रदायिकता और हिंसा के एक और उदाहरण के रूप में देखते हैं जो पूरे देश में, खासकर भाजपा शासित राज्यों में आदर्श बनता जा रहा है।

कहा, यदि हम सभ्य राष्ट्रों के समूह में गिना जाना चाहते हैं, तो ज़रूरत है कि आज साथ खड़े होकर इस असहिष्णुता और बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता की राजनीति का मजबूती से विरोध किया जाए। समाज के लोकतांत्रिक अधिकारों व अभिव्यक्ति की आजादी की सुरक्षा की जाए। अन्य छात्र संगठनों एवं नागरिक समाज ने भी शिक्षक के खिलाफ व समाज के लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए विरोध प्रदर्शन में प्रतिभाग किया।


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