26 साल बाद खुद के पैर पर खड़ा हो सका सागर, 1700 रुपये में तैयार हुआ कैलीपर ब्रेश
लिंब सेंटर में जरूरत के अनुसार डिजाइन किया गया हल्का कैलीपर ब्रेश। तैयार हुए कैलीपर ब्रेश की मदद से चलने में सक्षम हुआ सागर।
लखनऊ, जेएनएन। सीतापुर के सिधौली में रहने वाले सागर गुप्ता को जन्म से ही पोस्ट पोलिया रिस्यूडियल पैरालिसिस है। ऐसे में कमर के नीचे का अंग बिल्कुल काम नहीं करता। 26 वर्ष का हो चुका सागर अभी तक दोनों हाथ व पैरों की मदद लेकर चौपाया की तरह चलता था। बीमारी पुरानी व गंभीर होने की वजह से सर्जरी द्वारा भी इसे ठीक करने में कठिनाई थी।
कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद सागर परिवारीजनों के साथ केजीएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (लिंब सेंटर) पहुंचा। यहां पर विशेषज्ञों ने उसके वजन व अंगों की जरूरत के अनुसार कैलीपर ब्रेश डिजाइन किया। यह सामान्य कैलीपर ब्रेश से करीब ढाई किलो हल्का है। इसे तैयार करने में केवल 1700 रुपये खर्च हुए।
लिंब सेंटर के कार्यशाला इंचार्ज अरविंद कुमार निगम ने बताया कि आमतौर पर स्टील का कैलीपर ब्रेश साढ़े पांच किलो का होता है, लेकिन सागर इतना भारी लोड नहीं उठा पा रहा था, उसे चलने में दिक्कत थी। ऐसे में इसकी डिजाइन में फेरबदल किया गया। एल्यूमिनियम का तीन किलो का कैलीपर ब्रेश बनाया गया।
इसके पैर के अनुसार नी कैप, चमड़े का स्ट्रेप और बेल्ट डिजाइन की गई। इसके बाद यहां छड़ी के सहारे करीब एक घंटे चलाकर इसे ट्रेनिंग दी गई। अब यह चौपाया नहीं बल्कि अपने दो पैरों पर चलने में सक्षम है।