एसटीएफ के अफसर पर संगीन आरोप, एक बार फिर सवालों के घेरे में कार्यप्रणाली
एसटीएफ अधिकारियों पर शिखर श्रीवास्तव हत्याकांड के आरोपित पूर्व विधायक व एडी बेसिक के पक्ष में तत्कालीन एसपी बाराबंकी व विवेचक पर अनुचित दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगा है।
लखनऊ, जेएनएन। विदेशी मुद्रा की बरामदगी में लूट के संगीन आरोप के बाद स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। एसटीएफ के अधिकारियों पर बहुचर्चित शिखर श्रीवास्तव हत्याकांड के आरोपित पूर्व विधायक डॉ.विजय कुमार व उनकी पत्नी एडी बेसिक मृदुला आनंद के पक्ष में तत्कालीन एसपी बाराबंकी डॉ. सतीश कुमार व विवेचक पर अनुचित दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगा है। आरोप है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कई बार एसपी को फोन कर दबाव बनाया।
बाराबंकी में ट्रेडिंग कंपनी संचालकों से 65 लाख की लूट के प्रकरण में निलंबित किये गए एसपी बाराबंकी डॉ.सतीश कुमार ने इसकी शिकायत सीधे डीजीपी से की है। बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने भी डीजीपी को पत्र लिखकर एसटीएफ के अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग की। डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि उन्होंने 2013 बैच के आइपीएस अधिकारी डॉ.सतीश कुमार की शिकायत पर एक सप्ताह पूर्व ही प्रकरण की जांच एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द को सौंपी है। एडीजी को 15 दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिये गए हैं। रिपोर्ट के अनुरूप आगे की कार्रवाई की जायेगी। सूत्रों का कहना है कि डॉ.सतीश कुमार ने उन्हें की गई फोन कॉलों की रिकार्डिंग की सीडी भी डीजीपी को सौंपी है। माना जा रहा है कि प्रकरण में एसटीएफ अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।
एसटीएफ के अधिकारियों ने बनाया दबाव
शिखर श्रीवास्तव हत्याकांड में हाई कोर्ट ने आरोपितों की गिरफ्तारी के आदेश दिये थे। इस कड़ी में तत्कालीन एसपी बाराबंकी डॉ.सतीश कुमार आरोपित पूर्व विधायक व उनकी पत्नी की तलाश करा रहे थे। आरोप है कि इस दौरान एसटीएफ के अधिकारियों ने एसपी बाराबंकी व विवेचक पर आरोपितों की गिरफ्तारी न करने के लिए दबाव बनाया था। मामले में बाराबंकी पुलिस ने आरोपित पूर्व विधायक व उनकी पत्नी की गिरफ्तारी की थी। इस प्रकरण के बाद ही बाराबंकी पुलिस की साइबर सेल प्रभारी दारोगा अनूप कुमार यादव पर विश्वास ट्रेडिंग कंपनी के पदाधिकारियों से 65 लाख रुपये वसूलने का गंभीर आरोप लगा था।
एडीजी जांच में साफ होगी तस्वीर
डीजीपी से इस मामले की शिकायत भी की गई थी। तब डीजीपी ने मामले की गोपनीय जांच एसटीएफ को सौंपी थी। जांच के बाद आरोपित दारोगा को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसी प्रकरण में तत्कालीन एसपी को लचर पर्यवेक्षण का दोषी पाया गया था और उन्हें निलंबित कर दिया गया था। एसपी के निलंबन के पीछे एसटीएफ व बाराबंकी पुलिस के बीच चली खींचतान से जोड़कर भी देखा जा रहा है। पूरे प्रकरण में कई बिंदु एडीजी की जांच में ही पूरी तरह से साफ हो सकेंगे।
जीडी में की थी इंट्री भी
सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा है कि एसटीएफ के डिप्टी एसपी ऋषिकेश यादव ने बाराबंकी के तत्कालीन एसओ बद्दो सरायं मनोज कुमार शर्मा को सीयूजी नंबर पर फोन कर आरोपित मृदुला आनंद की गिरफ्तारी को लेकर दी जा रही दबिश पर गहरी नाराजगी जताई। तत्कालीन एसओ ने इसकी रिपोर्ट जीडी में दर्ज करवाई थी। नूतन ठाकुर का कहना है कि उनकी जानकारी के अनुसार एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कई बार डॉ. सतीश कुमार सहित अन्य अधिकारियों को फोन कर दबाव बनाया था। 21 फरवरी को मृदुला की गिरफ्तारी के बाद डॉ. सतीश को फोन कर देख लेने की धमकी भी दी गई।
उधर डिप्टी एसपी ऋषिकेश यादव का कहना है कि उन पर लगे आरोप निराधार हैं, जीडी में इंट्री चार फरवरी को की गई है जबकि उनकी तत्कालीन एसओ से बात 14 दिन पहले हुई थी। किसी वरिष्ठ अधिकारी को इसकी सूचना भी नहीं दी गई थी। यह सोची समझी साजिश के तहत बाद में जीडी में इंट्री की गई। शिखर हत्याकांड में एसपी बाराबंकी ने एसटीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों को जांच में सहयोग के लिए पत्र लिखा था। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर वह हत्याकांड की जांच में सहयोग कर रहे थे और इसी सिलसिले में उनकी एसओ से बातचीत होती थी।