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Strike of UPPCL Workers: यूपी सरकार ने निजीकरण को 15 जनवरी तक टाला, बिजली कर्मियों का कार्य बहिष्कार वापस

Strike of UPPCL Employees पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथ में सौंपने का फैसला फिलहाल टाल दिया गया है। निजीकरण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और बिजली विभाग के अधिकारियों के बीच बैठक में बिजली व्यवस्था के निजीकरण को 15 जनवरी 2021 तक टाल दिया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 05:41 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 06:57 PM (IST)
Strike of UPPCL Workers: यूपी सरकार ने निजीकरण को 15 जनवरी तक टाला, बिजली कर्मियों का कार्य बहिष्कार वापस
पूर्वांचल के जिलों के साथ ही सूबे की राजधानी लखनऊ में भी बजली संकट खड़ा हो गया

लखनऊ, जेएनएन। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथ में सौंपने का फैसला फिलहाल टाल दिया गया है। निजीकरण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और बिजली विभाग के अधिकारियों के बीच बैठक में बिजली व्यवस्था के निजीकरण को 15 जनवरी, 2021 तक टाल दिया गया है। इस फैसले के बाद बिजलीकर्मियों की अनिश्चिकालीन हड़ताल को कर्मचारी संगठनों ने वापस ले लिया है। इससे पहले सीएम योगी आदित्यनाथ से मंत्रियों के साथ आला अधिकारियों को लेकर हाइलेवल बैठक भी की थी।

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पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को निजी हाथ में सौंपने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ बिजलीकर्मियों की घोषित अनिश्चिकालीन हड़ताल का दो दिनों से बड़ा असर हो रहा। प्रदेश में करीब 30 घंटे से 27 से 30 जिले इससे काफी प्रभावित रही। पानी नहीं आने से कई जगह हाहाकार मचा रहा।  सरकार के फैसले के खिलाफ कर्मचारी विरोध में डटे रहे। इन लोगों ने कई जगह पर बिजली काटी। बिजली ना आने से कई जिलों में पेयजल न होने के कारण हालात बिगड़ गए। सूबे की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री से लेकर डिप्टी सीएम और तमाम मंत्रियों के आवास पर बिजली व्यवस्था चरमराती दिखी। कार्य बहिष्कार के पहले ही दिन कई मंत्रियों के यहां बिजली गुल हो गई।

प्रदेश के पूर्वांचल के जिलों के साथ ही सूबे की राजधानी लखनऊ में भी बजली संकट खड़ा हो गया। लोग इसके कारण काफी परेशानी में थे। वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, कानपुर, आगरा, बरेली, मुरादाबाद के साथ अन्य सभी जिलों में बिजली का संकट गहरा गया। निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मी ब्रेकडाउन की शिकायतें भी नहीं ली।

उत्तर प्रदेश के पूरब में 27 से 30 जिलों में बिजली की किल्लत झेल रहे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। लोग पीने के पानी को लेकर काफी परेशान हैं। 30 घंटे से ज्यादा का समय हो गया है। बिजली आपूॢत बंद पड़ी है। इस हड़ताल का एलान विद्युत कर्मचारी संगठन ने किया है। इनको संयुक्त संघर्ष समिति के साथ ही अब पॉवर ऑफिसर्स एसोसिएशन का भी साथ मिल गया है। कर्मचारियों के समर्थन में ऑफिसर्स संघ ने भी आज कार्य बहिष्कार का एलान किया है। यूपी पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों का संगठन है। कर्मियों के साथ अफसरों के भी कार्य बहिष्कार में शामिल होने से जनता की मुसीबतें और बढ़ गई हैं।

सरकार ने कहा-हड़ताल का फैसला ठीक नहीं

दूसरी ओर सरकार का कहना है कि बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का फैसला ठीक नहीं है। बिजली सेवा बाधित करना गैर कानूनी है। यह स्वीकार्य नहीं है। सरकार ने बिजली विभाग के कर्मचारियों से अपील की है कि प्रदेशहित में कार्य बहिष्कार ना करें। गैर कानूनी हड़ताल ना करें। इसके साथ ही साथ जनता से भी धैर्य बनाए रखे। हम समाधान निकालने के प्रयास में हैं।

चेयरमैन अरविंद कुमार पक्ष में नहीं

ऊर्जा मंत्री और संघर्ष समिति के बीच सोमवार को जिस समझौते पर सहमति बनी थी। घाटे को कम करने के लिए कर्मचारियों को सुधार के लिए मौका दिया गया था। मंत्री ने सुधार के लिए बिजली कर्मचारियों को 31 मार्च तक का समय दिया था, जिसके बाद मार्च तक पूर्वांचल विधुत वितरण निगम के निजीकरण को टालने पर सहमति बनी थी। बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति ने आंदोलन वापस लेने का ऐलान कर दिया था, लेकिन यूपीपीसीएल चेयरमैन अरविंद कुमार इसके लिए तैयार नहीं हुए और बात बिगड़ गई।


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