ट्रेनों में मिलने वाले बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनेगी रणनीति
जीआरपी भटके बच्चों के लिए संगठित कदम बढ़ाने जा रही है। यूनीसेफ के साथ मिलकर ऐसे बच्चों के बचाव व पुनर्वास पर योजनाबद्ध तरीके से काम करेगी।
लखनऊ (जेएनएन)। छोटी-छोटी वजहों पर अपने घर की सरहद लांघने का बड़ा कदम उठाने वाले मासूम अक्सर ट्रेनों व प्लेटफार्म पर भटकते पाए जाते हैं। कई गिरोह ऐसे बच्चों को निशाना बनाकर उनसे भीख मंगवाने से लेकर दूसरे काम कराते हैं या फिर उन्हें दूसरे गिरोह को बेच दिया जाता है। बच्चों के साथ होने वाले इस बड़े अपराध पर शिकंजा कसने के लिए राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) पहली बार संगठित कदम बढ़ाने जा रही है। यूनीसेफ सहित अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर ऐसे बच्चों के बचाव व पुनर्वास पर योजनाबद्ध तरीके से काम करेगी।
जीआरपी की ओर से 11 अगस्त को पहली बार प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। जिसमें निजी संस्थाओं व विशेषज्ञों के साथ बच्चों के अधिकारों से लेकर उनके संरक्षण पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। जीआरपी अभी चाइल्ड लाइन की मदद से ट्रेनों में लावारिस मिलने वाले बच्चों को उनके परिवारीजन तक पहुंचाने का प्रयास करती है। ट्रेनों व प्लेटफार्म पर घरों से भागकर आने वाले अथवा परिवार से बिछड़ गए मासूमों की बड़ी संख्या होती है। ऐसे बच्चों को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक शोषण का शिकार होने से बचाने के लिए रेल मंत्रालय ने वर्ष 2015 में एसओपी तैयारी की थी। जीआरपी अब कार्यशाला में ऐसे बच्चों के संरक्षण के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं, आरपीएफ, राज्य महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में आपसी समन्वय को बढ़ाने की कार्ययोजना बनाएगी। एडीजी जीआरपी बीके मौर्य ने बताया कि कार्यशाला का आयोजन यूपी डायल 100 मुख्यालय में होगा। बताया गया कि कार्यक्रम का उद्घाटन करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से समय मांगा गया है। कार्यक्रम में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, डीजीपी ओपी सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।