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बेबसी की जंजीर नहीं तोड़ पा रहा विजय एस ज्वॉय

शुरू नहीं हो पा रही लखनऊ रेसकोर्स क्लब की इस साल की रेस, आर्मी कमांडर कप और प्रेसीडेंट कप पर खतरा, क्लब को नोटिस भेजी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 03:59 PM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 03:59 PM (IST)
बेबसी की जंजीर नहीं तोड़ पा रहा विजय एस ज्वॉय
बेबसी की जंजीर नहीं तोड़ पा रहा विजय एस ज्वॉय

 लखनऊ, [निशांत यादव]। हैदराबाद के प्रतिष्ठित क्लब में कई बड़ी रेस जीतने वाले विजय एस ज्वॉय ने पिछले साल लखनऊ रेसकोर्स क्लब में शामिल होते ही अपना जलवा बिखेरा। जनवरी 2017 में वह लखनऊ लाया गया और अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 तक रेसकोर्स की अधिकांश रेस में उसने कब्जा जमाया। विजय एस ज्वॉय इस साल की रेस में दौड़ने को तैयार है, लेकिन उसके पैरों की गति पर सिस्टम ने लगाम लगा दी है। जलवा बिखेरने को वह बेबस है और बेताब भी। अब वह कभी ब्रिटिशकालीन लखनऊ रेसकोर्स के ट्रैक पर हवा से बातें कर पाएगा या नहीं इसे लेकर अब संशय बना गया है।

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दरअसल,126 साल पुराने लखनऊ रेसकोर्स क्लब में हर साल नवंबर के पहले सप्ताह से रेस शुरू हो जाती है जो कि मार्च तक चलती है। इस समय लखनऊ रेसकोर्स क्लब में विजय एस ज्वॉय के साथ सुपर डुपर, पॉलिसी मेकर और डार्क टाइगर जैसे थारो नस्ल के घोड़े सीजन की रेस शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। पिछले साल ही तीन नए घोड़े टॉप रिस्क, ब्लू बेरी चीज केक और क्लाउड डांसर पहली बार एक किलोमीटर लंबे एंटी क्लॉक टैक पर उतरे थे। विजय विधाता भी अपनी उपस्थित दर्ज कराने के लिए मेहनत कर रहा है। रेसकोर्स के हरे भरे ट्रैक को संवारा गया, क्लब का रंग रोगन भी हुआ लेकिन रक्षा मंत्रलय के एक आदेश ने सारा उत्साह ठंडा कर दिया। अब रेसकोर्स में घोड़ों के और तेज और तेज की आवाज नहीं सुनायी दे रही। हर तरफ सन्नाटा पसरा है।

आर्मी कमाडंर कप पर भी संकट

रेसकोर्स की सबसे प्रतिष्ठित दौड़ आर्मी कमांडर कप होती है। इसके अलावा प्रेसीडेंट कप को भी अहम माना जाता है। पिछले साल विजय एस ज्वॉय ने प्रेसीडेंट कप सहित तीन लगातार रेस जीती थी। इस बार यह कप होने के आसार ही नहीं हैं।

इसलिए लगा ग्रहण

दरअसल रेसकोर्स क्लब की लीज 1978 में समाप्त हुई। इसके बाद से क्लब की लीज का रिन्यूवल नहीं हुआ। अब रक्षा मंत्रलय की ओर से 31 दिसंबर 2018 से पहले लीज रिन्यूवल के आदेश दिए गए हैं। ऐसे में 40 साल बकाया करीब 35 लाख रुपये क्लब को देने की नोटिस रक्षा संपदा कार्यालय ने भेजी है।

क्या कहते हैं अ‍फसर 

लखनऊ सर्किल के रक्षा संपदा अधिकारी अभिषेक मणि त्रिपाठी के मुताबिक, रेसकोर्स क्लब की लीज का रिन्यूवल नहीं हुआ है। मंत्रलय के आदेश के बाद 35 लाख रुपये का डैमेज शुल्क जमा करने को कहा गया। वह नहीं जमा किया गया तो अधिग्रहण की नोटिस दे दी गई है। आदेश का पालन न होने तक रेसकोर्स क्लब में कोई गतिविधि नहीं होगी।


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