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नवाबी दौर से जुबां को मिठास दे रही मलाई गिलौरी, स्वाद भरपूर-सेहत मजबूत

चौक स्थित रामआसरे की दुकान में विदेशी पर्यटक मलाई गिलौरी का स्वाद लेते नजर आते हैं। इस मिठाई को कोई यहां मलाई पान तो कोई मलाई गिलौरी और कोई सिर्फ गिलौरी कहता है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 04:34 PM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 08:51 AM (IST)
नवाबी दौर से जुबां को मिठास दे रही मलाई गिलौरी, स्वाद भरपूर-सेहत मजबूत
नवाबी दौर से जुबां को मिठास दे रही मलाई गिलौरी, स्वाद भरपूर-सेहत मजबूत

लखनऊ, [कुसुम भारती]। ‘भैया, बाहर से मेहमान आए हैं, जल्दी से आधा किलो गिलौरी पैक कर दीजिए’, खासियत पूछने पर करन सिंह कहते हैं, हमारे मालिक की चिकन के कपड़ों की दुकान है और जब भी कोई बाहर से मेहमान दुकान पर आता है, तो मालिक उसे यहां की मलाई गिलौरी जरूर खिलाते हैं। वहीं पास खड़े चौक निवासी अजय मेहरोत्र कहते हैं, पिछले 30 सालों से मैं यहां केवल गिलौरी खाने ही आता हूं। 

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जी हां, लखनवी दस्तरख्वान में रामआसरे की मलाई गिलौरी शाही व्यंजनों में शामिल है। यह भी कहा जाता है कि नवाब वाजिद अली शाह के लिए खासतौर से रामआसरे ने इस मिठाई को इजाद किया था। इसके स्वाद के चर्चे देश ही नहीं विदेश तक लोगों की जुबां पर हैं। अक्सर चौक स्थित रामआसरे की दुकान में विदेशी पर्यटक मलाई गिलौरी का स्वाद लेते नजर आते हैं। इस मिठाई को कोई यहां मलाई पान, तो कोई मलाई गिलौरी और कोई सिर्फ गिलौरी कहता है। मिठाई के शौकीन नाम से ज्यादा इसकी मिठास और मुंह में घुल जाने वाले स्वाद से मतलब रखते हैं। रखें भी क्यों न, मलाई गिलौरी का स्वाद है ही इतना लाजवाब है कि एक बार खाने के बाद लोग इसके मुरीद हो जाते हैं।

नवाब वाजिद अली शाह के लिए इजाद हुई मलाई गिलौरी

हमने भी अपने पुरखों से यही सुना है कि मलाई पान का इजाद नवाबों के जमाने में हुआ था। दुकान के मालिक व रामआसरे के पौत्र सुमन बिहारी बताते हैं, नवाब वाजिद अली शाह पान खाने के शौकीन थे और खाना खाने के बाद वह पान खाते थे। यह भी कहा जाता है कि हकीमों ने उनको पान न खाने की सलाह दी। मगर, जब नवाब साहब को पान की तलब लगती तो, वह खुद को रोक नहीं पाते थे। हमारे फोर फादर रामआसरे ने खासतौर से दूध और मेवों से तैयार मलाई पान को इजाद कर उनको पेश किया। जिसे खाने के बाद नवाब इस मिठाई के दीवाने हो गए और पान खाना छोड़ दिया। फिर उनके दस्तरख्वान में मलाई गिलौरी भी शामिल हो गई।

केसरिया व सादा मलाई पान

रामआसरे की दुकान में केसरिया मलाई पान और सादा मलाई पान की दो वैराइटी मिलती हैं। केसरिया मलाई पान में केसर मिश्री और सादा मलाई पान में सादी मिश्री डाली जाती है। खांडसारी शुद्ध होती है। इसे रिफाइन नहीं किया जाता है इसलिए सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाती। हालांकि, अब शहर में दूसरी दुकानों पर भी मलाई गिलौरी मिलने लगी है, पर हर कहीं अलग स्वाद मिलेगा।


सेहत के साथ स्वाद भरपूर

मलाई गिलौरी तैयार करने के लिए कंडे की भट्ठी पर कड़ाही में दूध को धीमी आंच पर पकाया जाता है। दूध में मलाई जमने के बाद उसकी तीन-चार परत निकालकर बड़ी ट्रे में रखी जाती हैं। फिर तिकोने आकार में काटकर उसमें मिश्री, काजू, बादाम, पिस्ता, केसर, इलायची, खांडसारी चीनी का मिश्रण भरा जाता है। पान के आकर में लपेटकर, चांदी के वर्क से सजाकर पेश की जाती है। ये पान न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि स्वाद में भी लाजवाब होता है।


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