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अनदेखा लखनऊ : यहां एक ऐसा हनुमान मंदिर, जिसके गुंबद पर है चांद का निशान

लखनऊ अलीगंज में रामायण काल से ही स्थापित है यह मंदिर बेगम आलिया ने कराया था जीर्णोद्धार। एकता और भाईचारे को दिखाता है गुंबद पर चांद का निशान। मंदिर के महंत बोले नवाबी काल में यहां बाहर के व्यापारी आते थे।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:58 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 07:58 AM (IST)
अनदेखा लखनऊ : यहां एक ऐसा हनुमान मंदिर, जिसके गुंबद पर है चांद का निशान
लखनऊ : अलीगंज में रामायण काल से ही स्थापित है यह मंदिर, बेगम आलिया ने कराया था जीर्णोद्धार।

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। तहजीब के शहर-ए-लखनऊ में हिंदू-मुस्लिम एकता के कई निशान मौजूद है। अलीगंज में स्थापित पुराना हनुमान मंदिर भी उनमे से एक है। मंदिर तो रामायण काल में भी स्थापित हुआ था, लेकिन नवाबी काल में बेगम आलिया ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। एकता और भाईचारे को दिखाने के लिए मंदिर के गुंबद पर चांद का निशान मौजूद है।

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इतिहासकार पद्मश्री डॉ.योगेश प्रवीन ने बताया कि लक्ष्मण द्वारा बसाई गई लक्ष्मण नगरी के अलीगंज क्षेत्र में हनुमान जी की स्थापना भी रामायण काल में हुई। मंदिर के गर्भगृह में पवनसुत हनुमान की प्रतिमा के सामने बैठ कर श्रीराम का जप करने से हनुमान के साथ ही श्रीराम की कृपा का एहसास हाेता है। आलिया बेगम के नाम से अलीगंज का नाम रखा गया है। यहीं से ज्येष्ठ मास के मंगल की शुरुआत मानी जाती है। 

 

मंदिर के गुंबद पर चांद का निशान बेगम की ओर से मंदिर के जीर्णोद्धार के समय बनाया गया था। एकता और भाईचारे को कायम रखने की सोच वर्तमान समय में भी सभी को एकता के सूत्र में बांधने का काम करती है। मंदिर के महंत गोपालदास ने बताया कि नवाबी काल में यहां बाहर के व्यापारी आते थे। ज्येष्ठ मास के महीने में आए व्यापारियों के लिए मंदिर के पास भंडारा लगाया गया तब से यहां हर साल ज्येष्ठ के महीने में भंडारे की परंपरा शुरू हो गई। यह भी कहा जाता है कि बेगम के संतान होने पर उन्होंने भंडारा लगवाया था तब से यहां भंडारा होता है। मंदिर में श्रीराम दरबार के साथ ही भगवान के कई प्रतीक भी स्थापित है। कल्याण हनुमंता धार्मिक ग्रंथ में मंदिर को सीता के वनवास के दौरान स्थापित हाेने का जिक्र है।


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