खट्टा-मीठा सा है ये रिश्ता, भाई की नोकझोंक से लेकर छिपा है मां का दुलार
कुछ देवर-भाभी ने दैनिक जागरण से अपने अनुभव बाटे, जो आपको बता रहा है।
लखनऊ[कुसुम भारती]। साची कहे तोरे आवन से हमरे अंगना मा आई बहार भौजी' नदिया के पार फिल्म का यह मशहूर गीत देवर और भाभी के एक प्यारे से रिश्ते को दर्शाता है। वहीं, इसी फिल्म का रीमेक हम आपके हैं कौन मूवी में माडर्न भाभी को एक दोस्त के रूप में दिखाया गया है। इस रिश्ते पर ऐसी बहुत सी बॉलीवुड मूवी बनी हैं, जिनमें भाभी को कभी ममतामयी मा तो कभी एक प्यारी सी दोस्त के रूप में दर्शाया गया है। रील लाइफ में ही नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी इस रिश्ते का अहसास शब्दों में बया नहीं किया जा सकता है। इसे तो केवल महसूस किया जा सकता है। इस रिश्ते को लेकर कुछ देवर-भाभी ने भी दैनिक जागरण से अपने अनुभव बाटे, जो आपको बता रहा है।
दोस्तों से बढ़कर है हमारा रिश्ता
स्पेशल एजूकेटर, सलोनी शर्मा कहती हैं, मेरी शादी को 25 साल हो गए हैं। हमारी ज्वाइंट फैमिली है। सास-ससुर के अलावा पति, ननद और एक देवर हैं। अगर बात करूं देवर और भाभी के रिश्ते की तो यह एक ऐसा रिश्ता है जो स्पेशल होने का अहसास दिलाता है। मुझे तो देवर के रूप में एक अच्छा दोस्त मिल गया। चूंकि, हम दोनों हमउम्र हैं इसलिए शादी के बाद हमारी अच्छी बॉन्डिंग हो गई। हमारा रिश्ता दोस्तों से बढ़कर है। पति से ज्यादा देवर का सपोर्ट मिला। शादी के चार-पाच साल बाद देवर आलोक की नौकरी पीलीभीत में लग गई। मेरा मायका बरेली का है। शादी के शुरुआती दिनों में लड़की को मायका बहुत याद आता है। जब कभी मुझे मायके जाना होता था और काम की व्यस्तता के चलते पति मुझे मना कर देते। तब देवर ही मुझे लेकर मायके छोडऩे जाते थे। वह हमेशा कहते थे कि भाभी आपके चेहरे पर मायूसी अच्छी नहीं लगती। आप हंसते हुए ही अच्छी लगती हो। उनका अपनापन और प्यार आज भी खुशी देता है। बेटे की तरह पाला है देवर को
सोशल वर्कर, ज्योत्सना सिंह कहती हैं, मेरी शादी को 18 साल हो गए हैं। जब शादी के बाद ससुराल आई तो मेरे देवर शरद इंटर कर रहे थे। मेरी शादी के दो साल पहले ही सास का निधन हो गया था इसलिए परिवार में मैं अकेली महिला थी। उस दौरान मैंने न केवल मा बनकर देवर को पाला बल्कि पढऩे-लिखने में भी उनकी मदद करती थी। अगर मैं उनको कह देती थी कि शाम के समय घर से बाहर नहीं जाना है तो वह कभी मेरी बात नहीं टालते थे। हमेशा मा की तरह मेरा कहना मानते थे और वैसा ही सम्मान देते थे। जब कभी मैं दुखी या परेशान होती थी तो हमेशा मोरल सपोर्ट करते थे। मुझे हंसाने और खुश करने के लिए नए-नए तरीके अपनाया करते थे। यह रिश्ता जितना खूबसूरत और खास है उतना ही इस रिश्ते को सहेजने की भी जरूरत है। प्यार और अपनेपन के साथ इस रिश्ते में आदर व सम्मान की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मर्यादा में रहकर निभाएं रिश्ता
नवयुग गर्ल्स पीजी कॉलेज, लखनऊ में स्टैटिस्टिक्स डिपार्टमेंट में एचओडी, डॉ. मंजू गुप्ता कहती हैं, मेरी शादी को 25 साल पूरे हो चुके हैं। परिवार में सबसे बड़ी बहू हूं। शादी के एक साल बाद सास नहीं रहीं। परिवार में ससुर, पति और दो देवर हैं। छोटे देवर जयप्रकाश के साथ मेरी अच्छी ट्यूनिंग है। एक बार मेरी ग्यारह महीने की बेटी बहुत बीमार हो गई थी, उस समय पूरे परिवार ने मेरा साथ दिया, पर छोटे देवर पूरी रात हॉस्पिटल में बेटी और मेरी देखभाल में रहे। इस तरह के मामलों वह शुरू से बहुत एक्टिव रहे हैं। मेरी ज्वाइंट फैमिली है। इस रिश्ते का मेरा अच्छा अनुभव रहा है। मेरा मानना है कि हर रिश्ते की अपनी मर्यादा होती है। यदि मर्यादा में रहकर रिश्ते निभाए जाएं तो कभी कोई समस्या नहीं आती है। और, यदि कभी ऐसी कोई समस्या आती है या लगता है कि इस रिश्ते की मर्यादा भंग हो रही है तो पहली ही स्टेज पर रोक लगाएं। आपस में बैठकर समस्या को सुलझाएं।
शब्दों में बाधना है मुश्किल
बिजनेस वूमेन पूनम सक्सेना कहती हैं, बहुत ही प्यार है देवर-भाभी का रिश्ता। इसमें देवर के रूप में हमें एक भाई, एक बेटा और एक अच्छा दोस्त भी मिलता है। कई ऐसे मौके आते हैं जब हम पति से कोई बात नहीं कर पाते तब देवर से कहते हैं। अक्सर देवर भाभी पर आत्मनिर्भर रहते हैं। अपना हर काम भाभी से करवाते हैं क्योंकि इसे वह अपना हक समझते हैं। पर जब उसी देवर की शादी हो जाती है और पत्नी के आने के बाद भी उसका रवैया वही रहता है तो उसकी नई-नवेली दुल्हन को शायद यह बातें बुरी भी लगने लगती हैं। ऐसे मामलों में भाभी को बेहद समझदारी से काम लेना चाहिए। मैंने भी ऐसा ही किया था। मेरे देवर बालों में तेल लगवाना, कपड़े धुलवाना, खाना परोसना जैसे कई काम मुझसे ही करवाते थे। देवरानी के आने के बाद भी वह नहीं बदले। मगर जब मैंने देखा कि देवरानी को यह अच्छा नहीं लगता है तो मैंने समझदारी के साथ किनारा कर लिया। अक्सर नई लड़की को रिश्ते समझने में समय लगता है, पर धीरे-धीरे वह भी सब समझने लगती है। मेरी देवरानी भी अब इस बात को अच्छी तरह समझती है।
मुझे मिल गया छोटा भाई
एक संस्थान की ओनर, ज्योत्सना वालिया कहती हैं, मेरी शादी को 18 साल हो गए हैं। शादी के बाद जब देवर मिलता है तो उसके साथ छोटे भाई वाला रिश्ता हो जाता है। मुझे भी शादी के बाद भाई की कमी महसूस नहीं हुई क्योंकि वह मुझे देवर के रूप में मिल गया। परिवार में पति मचर्ेंट नेवी में हैं। एक बड़ी ननद और एक देवर है। गलती करने पर उसको डाटना, किसी काम को करने के लिए हक के साथ आर्डर देना, अपनी बात को पति या घर के बड़ों तक पहुंचाना यह सब काम देवर से आसानी से लेती हूं। यह बहुत ही क्यूट सा रिलेशन होता है। देवर हमारे बीच एक अच्छे मीडिएटर का काम करते हैं। मेरे लिए तो यह बहुत ही खास रिश्ता है। इसे शब्दों में डिस्क्त्राइब करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल है। जहा तक देवर-भाभी के नकारात्मक रिश्तों की बात है तो ऐसा कभी मेरे साथ नहीं हुआ है। हा, कभी-कभी कुछ लोग इस रिश्ते का गलत फायदा उठाने की सोचते हैं। पहली बार में ही कड़ा कदम उठाया जाए फिर भले ही सामने वाले को बुरा लगे या अच्छा।
किचन में करता हूं भाभियों की मदद
एक निजी कंपनी में कार्यरत, सुनीत सिंह कहते हैं, मेरी दो भाभिया हैं। बड़ी भाभी 2007 में शादी होकर घर आईं फिर छोटी भाभी आईं। मैं तो दोनों भाभियों का लाडला हूं और वे भी मुझे बिल्कुल बच्चों की तरह प्यार करती हैं। मैं भी हमेशा उनको मा वाला सम्मान देता हूं। अगर भाभी कह दें कि मुझे बाहर लेकर चलो तो मैं कभी मना नहीं करता फिर चाहे मेरे पास समय हो या न हो। हा, कभी-कभी मैं उनको रेस्ट करने को कहता हूं और किचन में पूरा खाना बनाता हूं और सर्व भी खुद ही करता हूं। जब कभी मौका मिलता है तो अपनी मजाकिया बातों और चंचल हरकतों से उनका मनोरंजन करता हूं।