National Science Day : आविष्कारों की जननी हैं लखनऊ की बेटियां, किसी ने पराली से निपटने का फामरुलेशन तो सेंसर रोकेगा एक्सीडेंट
National Science Day वैज्ञानिक शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में महिलाओं के उत्कृष्ट योगदान और क्षमता को देखते हुए सरकार द्वारा प्रोत्साहन और अवसर दिए जा रहे हैं।
लखनऊ, जेएनएन। National Science Day : पृथ्वी से लेकर अंतरिक्ष तक नारी शक्ति ने आज न केवल खुद को साबित किया है बल्कि भावी पीढ़ी के लिए मिसाल भी पेश की है। राजधानी की विभिन्न प्रयोगशालाओं में काम कर रहीं महिला वैज्ञानिकों का मानना है कि विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का भविष्य सुरक्षित है। हालांकि पुरुषों की तुलना में उनकी संख्या काफी कम है लेकिन अब वक्त बदल रहा है। वैज्ञानिक शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में महिलाओं के उत्कृष्ट योगदान और क्षमता को देखते हुए सरकार द्वारा प्रोत्साहन और अवसर दिए जा रहे हैं। महिला वैज्ञानिक भी इस क्षेत्र में अपना परचम बुलंद करते हुए नजीर बन रही हैं। महिलाओं के विज्ञान में बढ़ते दखल के चलते ही इस बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का थीम भी ‘वुमन एंड साइंस’ रखी गई है। राजधानी के वैज्ञानिक संस्थानों में कार्य करने वाली कुछ महिला वैज्ञानिकों से उनकी शोध उपलब्धियों पर रिपोर्ट...
पराली से निपटने के लिए बनाया माइक्रोबियल फामरुलेशन
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) की डॉ.शुचि श्रीवास्तव ने ऐसा माइक्रोबियल फामरुलेशन तैयार किया है, जिसे किसान खेत में डालकर मलचिंग करके उपज को बढ़ा सकते हैं। उनके इस शोध से न केवल पराली से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम हो सकेगी बल्कि रासायनिक उर्वरक पर आने वाले खर्च को बचाकर आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। सबसे महत्वपूर्ण यह कि इससे मृदा की ताकत बढ़ेगी। दुधवा के कई गांव में उनके इस शोध को परखा जा रहा है। अब तक के परिणाम काफी उत्साहवर्धक हैं।
पालक व शीशम से बनाई दवा
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की डॉ.रितु त्रिवेदी ने मेनोपॉज के बाद महिलाओं को होने वाली ऑस्टियोपोरोसिस केउपचार के लिए शीशम से रीयूनियन नामक दवा तैयार की है। साथ ही आस्टियोआर्थराइटिस के लिए पालक से ज्वाइंट फ्रेश नामक न्यूट्रास्यूटिकल तैयार किया है। डॉ.त्रिवेदी बताती हैं कि दोनों ही दवाएं बाजार के साथ-साथ अमेजन पर भी उपलब्ध हैं। वह कहती हैं कि खासकर महिलाओं में मेनोपॉज के बाद होने वाली ऑस्टियोपोरोसिस के लिए दवा तैयार करने में दस साल से अधिक का समय लगा। खुशी इस बात की है कि महिलाओं के लिए खास तौर पर कुछ कर सकी। डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि दवा ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर हीलिंग में बहुत कारगर है। पालक (स्पिनेशिया ओलेरेसिया) में न केवल अस्थि बनाने बल्कि प्रभावित स्थान पर कार्टिलेज कोशिकाओं की एक स्वस्थ पर्त तैयार करने की क्षमता भी है।
नदियों की निगरानी का जिम्मा
भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) में जलीय विषविज्ञान विभाग की डॉ.प्रीति चतुर्वेदी नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के लिए काम करते हुए गंगा व उसकी सहायक नदियों की गुणवत्ता पर नगर रख रही हैं। गंगोत्री से गंगा सागर तक हाल में आयोजित यात्र में उन्होंने गंगा के पानी की गुणवत्ता की लाइव नापजोख की थी। डॉ.चतुर्वेदी केवल प्रदूषण पर निगाह ही नहीं रख रही हैं, बल्कि प्रदूषित हिस्से के आसपास रहने वालों को जागरूक भी कर रही हैं।
तैयार की अश्वगंधा की नई किस्म
केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) की डॉ. तृप्ता झंग ने लंबे शोध के बाद अश्वगंधा की नई वेरायटी सिम-पुष्टि तैयार की है। इस वेरायटी को राजस्थान व मध्यप्रदेश में किसान सफलतापूर्वक उगा रहे हैं। डॉ. झंग बताती हैं कि इसमें विधानोलॉइड ए की मात्र एक प्रतिशत तक होती है जबकि टोटल विधानोलॉइड आठ प्रतिशत तक पाया जाता है। वह बताती हैं इस किस्म में जड़ों से अधिक मात्र में पाउडर प्राप्त होता है जिससे किसानों की आय बढ़ सकेगी।
सेंसर रोकेगा एक्सीडेंट
राजकीय महिला पॉलीटेक्निक की छात्रओं के दल ने एक ऐसा सेंसर बनाया है जो पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्घटनाओं से बचाव कर सकता है। वाहन चालकों को पहाड़ी की ओर से सामने से आने वाले वाहन नहीं दिखाई पड़ते। छात्रओं के डिवाइस से जैसे ही कोई वाहन आएगा, पहाड़ी के दोनों तरफ लगे पोल में स्थापित सेंसर दूसरे वाहन को बीप के साथ सूचना देगा। सूचना मिलते ही वाहन चालक रुक जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड की छात्र रुचि ने बताया कि प्रियंका, प्रीति, अंजलि और पूनम के सहयोग से डिवाइस बनाया है।
बनाया उपकरण, भगाएगा प्रदूषण
राजकीय महिला पॉलीटेक्निक की इंस्टूमेंटेशन एंड कंट्रोल ट्रेड की तृतीय वर्ष की छात्रएं अमृता मिश्र व दीपांशी गुप्ता ने मिलकर वातावरण में फैले प्रदूषण को कम करने का उपकरण बनाकर सभी को चकित कर दिया। करीब पांच हजार की लागत में बनने वाले इस उपकरण से 150 वर्ग फीट क्षेत्र वायु प्रदूषण से मुक्त हो जाएगा। अमृता ने बताया कि प्रधानाचार्य एसके श्रीवास्तव और शिक्षक राघवेंद्र सिंह के विश्वास ने हम दोनों को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। उपकरण की खास बात यह है कि आप कुछ देर के लिए इसे चलाकर फिर बंद कर सकते हैं। खिड़की दरवाजे बंद होने से पूरा कमरा प्रदूषण मुक्त होगा। इसका साइज बढ़ाया जाएगा तो लागत भी बढ़ जाएगी। उपकरण का मॉडल बनाने में पुराने सामानों का ही इस्तेमाल किया गया है।
बाढ़ में मिलेगा पीने का शुद्ध पानी
केंद्रीय विद्यालय अलीगंज के 12वीं के छात्र अर्जित चंद्रा ने बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों को शुद्ध पानी देने के लिए सोलर से चलने वाला वॉटर प्यूरीफायर बनाकर सभी को हैरान कर दिया। विज्ञान प्रचारक व शिक्षक सुशील द्विवेदी के निर्देशन में अर्जित ने यह मॉडल बनाया है। अर्जित ने बताया कि पत्थरों और मलमल के कपड़ों के बीच पानी को निकालने और फिर 50 वाट का सोलर पैनल लगाया। दो से ढाई हजार रुपये की लागत में तैयार होने वाला डिवाइस लोगों को प्रदूषित पानी से होने वानी बीमारी से बचा सकता है।
फसल सुरक्षा के लिए ‘स्मार्ट गन’
नील गाय व मवेशियों से परेशान किसानों के लिए केंद्रीय विद्यालय के आलोक मिश्र ने फसल सुरक्षा ‘स्मार्ट गन’ बनाई है। रासायनिक क्रिया पर आधारित इस गन में प्रबल ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाया गया है। प्लास्टिक के पाइप के सहारे बनाई गई स्मार्ट गन से इतनी तेज आवाज होती है कि मवेशी भाग जाते हैं। इससे मवेशियों को भी कोई नुकसान नहीं होता है।