दिन में नौकरी, रात में रामलीला...कई दिनों तक पसीना बहा करते हैं मंचन
रेलवे रामलीला दशहरा कमेटी वेजीटेबल ग्राउंड, आलमबाग।
लखनऊ(जेएनएन)। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र को मंच पर दिखाकर आने वाली पीढ़ी को इतिहास से परिचित कराने की भूमिका रामलीला निभाती हैं। रामलीला के किरदारों को मंच पर निर्वाध रूप से दिखाने के लिए कलाकार पिछले कई दिनों से पसीना बहाते हैं। शहर की पुरानी रामलीलाओं में आलमबाग के वेजीटेबल ग्राउंड में होने वाली रामलीला का भी नाम आता है।
कब से शुरू हुआ मंचन
रेलवे रामलीला दशहरा कमेटी के नाम से रामलीला का मंचन 1951 से शुरू हुआ तो अब तक अनवरत जारी है। 68वें वर्ष में प्रवेश करने वाली रामलीला के संस्थापक ओमप्रकाश शर्मा की ओर से लिपिबद्ध किए गए संवादों में उर्दू-हिंदी के साथ ही पंजाबी का तड़का लगता है। संवादों का समायोजन और संवादों की शैली रामलीला को अन्य रामलीलाओं से अलग करती है।
दिन में नौकरी, रात में रामलीला का मंचन
रामलीला मंचन के सभी कलाकार निश्शुल्क अपनी प्रतिभा दिखाते हैं। वीरेंद्र शर्मा के निर्देशन में होने वाली रामलीला के कलाकार दिन में नौकरी करते हैं और रात में रामलीला का मंचन करते हैं। नौकरी के साथ मंचन करने की चुनौती को न केवल कलाकार स्वीकार करते हैं बल्कि मंचन में किसी भी तरह की कमी नजर नहीं आती। रावण का किरदार निभाने वाले जितेंद्र तिवारी और मंथरा के रूप में अश्विनी कुमार कोहली जीवंत मंचन को तैयार हैं तो मनोज श्रीवास्तव हनुमान की भूमिका निभाने की तैयारी पूरी कर चुके हैं।
निकलेगी भरत मिलाप शोभायात्रा
20 अक्टूबर को आलमबाग के सिंगारनगर से रामलीला मैदान तक शोभायात्रा निकाली जाएगी। महामंत्री जसवंत सिंह माटा ने बताया कि पहली बार सिंगार नगर से भरत मिलाप शोभायात्रा निकाली जाएगी। महापौर संयुक्ता भाटिया अपने आवास से शाम चार बजे आरती के साथ यात्रा को रवाना करेंगी।
रामलीला में कब क्या होगा
रेलवे रामलीला दशहरा कमेटी की ओर से होने पहले दिन श्रीराम-सीता जन्म, दूसरे दिन ताड़का वध व सीता स्वयंवर, तीसरे दिन राम वनवास, चौथे दिन चित्रकूट भरत मिला, पांचवे दिन सीताहरण, छठे दिन राम-सुग्रीव मित्रता, अशोक वाटिका, सातवें दिन हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन, अंगद-रावण संवाद, आठवें दिन लक्ष्मण शक्ति, कुंभकरण वध व मेघनाद वध, नवें दिन हनुमान पाताल विजय व रावण वध और अंतिम दिन राजतिलक।
शेयर की अपने अनुभव
- संरक्षक ओएस श्रीवास्तव का कहना है कि भारत पाकिस्तान बंटवारे के दौरान आलमबाग में आए शरणार्थियों के आने के बाद से यह रामलीला शुरू हुई। मंचन के 67 साल बीतने के बावजूद अभी भी उतना ही उत्साह हैं।
- अध्यक्ष आरएस राणा ने बताया कि नौकरी के बाद सभी युवा कलाकारों में रामलीला मंचन का उत्साह अपने आप में बड़ी बात है। सभी मिलकर यहां रामलीला का मंचन करते हैं। हर वर्ष रामलीला में कुछ नया होता है। इस बार भरत मिलाप यात्रा खास होगी।
- कोषाध्यक्ष रामपाल के मुताबिक, रामलीला के अनवरत संचालन के पीछे एक पूरी टीम काम करती है। हम सब नौकरी करने के बावजूद रामलीला के मंचन के लिए समय निकाल लेते हैं। युवाओं को संस्कृति का ज्ञान भी रामलीला के माध्यम से ही मिलता है।
- उपाध्यक्ष ओम प्रकाश का कहना है कि रामलीला शुरू होने के एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। सभी पदाधिकारी व निवासी मिलकर आयोजन को करते हैं। रामलीला की ड्रेस को तैयार करके मैं भी खुद को किसी कलाकार से कम नहीं समझता।