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Jeetegabharat: पैर के छालों से निकला सेवाभाव का रास्ता, सीनियर्स से मिली ट्रेनिंग काम आई

Corona Warriors कोरोना योद्धा केजीएमयू सीटीवीएस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विवेक तीवारसन ने साझा किए अपने अनुभव जो हम आपको बता रहे हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 11:25 AM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 11:25 AM (IST)
Jeetegabharat: पैर के छालों से निकला सेवाभाव का रास्ता, सीनियर्स से मिली ट्रेनिंग काम आई
Jeetegabharat: पैर के छालों से निकला सेवाभाव का रास्ता, सीनियर्स से मिली ट्रेनिंग काम आई

लखनऊ, जेएनएन। Corona Warriors: मुझे याद है जब एमएस कर रहा था तो दो- दो दिन तक सोने को नहीं मिलता था। चलते -चलते पैरों में छाले पड़ जाते थे । उस समय तो बहुत बुरा लगता था लेकिन आज वही ट्रेनिंग काम आ रही है। मैं कार्डियक सर्जन हूं लेकिन कोरोना वार्ड में आईसीयू में ड्यूटी कर रहा हूं। यह समय  जिम्मेदारी लेने का है और मुझे खुशी है कि मैं इसमें योगदान दे पा रहा हूं। हालांकि कार्डियक सर्जरी में भी बहुत ज्यादा सावधानी बरते जाने की जरूरत होती है लेकिन कोविड-19 बेहद इनफेक्शियस बीमारी है।

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अक्सर हम ट्यूबरकुलोसिस, एचआईवी व हेपेटाइटिस से पीड़ित मरीजों की कार्डियक सर्जरी करते हैं। इसलिए कोविड-19 के मरीजों की देखभाल में कोई समस्या नहीं आई लेकिन आईसीयू में मरीजों के संघर्ष को देखकर बुरा लगता है। पेशेंट के लिए मन में आता है काश ऐसा ना हुआ होता। कोशिश करते हैं कि उनके लिए अपनी तरफ से बेस्ट कर सकें । भगवान ने हमें यह अवसर दिया है ऐसे संकट में मरीजों की खिदमत कर सकें यह बड़ी बात है । मेरी मां भी जॉर्जियन और पिता साइंटिस्ट हैं। वे लोग प्रयागराज में रहते हैं । मदर को जब पता चला कि मैं कोविड-19 आईसीयू में ड्यूटी कर रहा हूं तो उन्होंने कहा कि अपना बेस्ट देना। पिताजी ने  कहा कि खाने-पीने का ध्यान रखना जिससे   इम्यूनिटी बनी रहे। खाली पेट ड्यूटी मत करना और जिस तरीके से जंग में सैनिक जाते हैं और जीत करके आते हैं उसी तरीके से तुम भी अवश्य जीतकर आओगे । माता-पिता का यह कहना कि हमें तुम्हारे ऊपर गर्व है, ऊर्जा से लबरेज कर देता है । शायद यही वजह थी कि मैं अपने काम को ईमानदारी से पूरा कर सका। 

दो दिन पहले दुर्भाग्यवश हमारे यहां के एक जॉर्जियन की कोरोना से जंग लड़ते हुए मृत्यु हो गई। यह बहुत दुखदाई था। हमने बहुत कोशिशें की लेकिन वह रिकवर नहीं हो सके। ऐसे में जब पेशेंट को जीवन के लिए संघर्ष करते देखते हैं तो खासतौर पर उनके परिवार वालों के लिए बहुत बुरा लगता है।

 यह वह भी समय था जब हमने यह महसूस किया की पढ़ाई के समय हमारे सीनियर्स जो सकति करते थे वह कितने काम आती है । छोटी-छोटी टेक्निक जो हमारे टीचर व सीनियर सिखाते थे । वह किस तरीके से ऐसे समय पर काम आती हैं। इसकी कोई क्लासरूम ट्रेनिंग नहीं हो सकती। यह हम एक दूसरे से ही सीखते हैं।

परिवार ने भी किया मोटिवेट  

केजीएमयू सीटीवीएस विभाग के  एसोसिएट प्रोफेसर  डॉ. विवेक तीवारसन बताते हैं कि जब रोस्टर में मेरा नाम आया तो पत्नी व बच्चों को मैंने बताया कि मैं कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी पर जा रहा हूं एक हफ्ते आईसीयू में रहूंगा और फिर 14 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन में। इस तरह से तीन सप्ताह मैं ड्यूटी करूंगा। पेरेंट्स को भी फोन करके जानकारी दे दी थी। उन्होंने कहा कि अपना ध्यान रखना और अपने को सुरक्षित रखते हुए जिम्मेदारी निभाना। सब ठीक होगा। उनके यह शब्द बहुत बड़ा संबल देते हैं और मैं खुश हूं कि मैं अपनी ड्यूटी अच्छे से कर पाया। अब मैं कारंटाइंड में जाऊंगा।

प्रोफाइल

  •  डॉ. विवेक तीवारसन, एमबीबीएस, सीएमसी लुधियाना
  •  एमएस ,सीएमसी लुधियाना
  •  एमसीएच कार्डियक सर्जरी, केजीएमयू

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