बीच सड़क एक मां गाड़ियां रोक बांटती हेलमेट-लगवातीं शीशे, जानें क्यों करती है ऐसा
सड़क हादसे में बेटी के मौत के गम को दबाकर लोगों को जागरूक कर रही मां। बेटी की जयंती व पुण्यतिथि पर बांटती हैं हेलमेट, अंधे मोड़ पर लगवातीं हैं शीशे।
लखनऊ [महेन्द्र पाण्डेय]। आंसू होते नहीं बहाने के लिए, गम होते हैं पी जाने के लिए। इंसान की जिंदगी में खुशियों के मोड़ पर कब गम मिल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए गम को दबा कर जीवन के रास्ते पर बढऩा ही बेहतर होता है। सड़क हादसे में 12 साल की बेटी तितीक्क्षा की मौत का गम दबाए बैठी शिक्षिका रीना पांडेय इस बात की मिसाल पेश कर रही हैं। वह ट्रैफिक जागरूकता अभियान चलाती हैं और बेटी की पुण्यतिथि, जयंती व अन्य अवसरों पर हेलमेट बांटती हैं। सड़कों के अंधे मोड़ पर साइड मिरर (शीशे) लगवाती हैं। उनका मानना है कि इस प्रयास से अगर एक भी जान बचा ली तो बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी।
दो साल पहले हुई थी दर्दनाक घटना
रीना बताती हैं कि दो वर्ष पूर्व की घटना है। पति रत्नेश कुमार पाठक उसे और उसके भाई वरद को 29 मार्च 2016 को स्कूल से लेकर लौट रहे थे। पत्रकारपुरम चौराहे के पास एक कार ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी थी। उस वक्त सिर्फ रत्नेश ही हेलमेट पहने थे। हादसे में गंभीर रूप से घायल रत्नेश व दोनों बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया। तीन दिन बाद बेटी ने दम तोड़ दिया। जबकि बेटा व पति कई दिनों तक बेड पर रहे। इस दुर्घटना के बाद से रीना व उनका परिवार मानसिक रूप से टूट गए।
बेटी की याद में उन्होंने लोगों को सचेत करने की पहल की। दुर्घटना के तीन महीने बाद दो जुलाई को बेटी की जयंती थी। रीना ने उस दिन बलिया जिले में यातायात जागरूकता अभियान चलाया और 40 लोगों को बच्चों के हेलमेट बांटे। इसके बाद से वह सड़क सुरक्षा सप्ताह, बेटी की पुण्यतिथि व जयंती पर हेलमेट बांट रही हैं। इस क्रम में गत दो जुलाई को बेटी की जयंती पर लखनऊ में रीना ने करीब दो सौ लोगों को बच्चों के हेलमेट बांटे।
स्कूल में छुट्टी के बाद अभिभावकों को करतीं है जागरूक
रीना खुद टीचर हैं। वह स्कूल में छुट्टी के बाद अभिभावकों को पंपलेट बांटकर यातायात नियमों के प्रति जागरूक करती हैं। साथ ही वाहनों पर ट्रैफिक रूल के स्टीकर लगवाती हैं। उन्होंने गोमतीनगर में पत्रकारपुरम के आसपास कुछ अंधे मोड़ पर शीशे लगवाएं हैं। ताकि विपरीत दिशा से अचानक आ रहे वाहनों से लोग सजग रह सकें।