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ताड़ के पत्ते पर चित्रकारी तो अखबार की रद्दी से तैयार कलाकृतियां.. जब शौक ने दिलाई पहचान

झूलेलाल वाटिका में चल रहे सरस महोत्सव में लगे स्टाल पर कुछ खास कलाकारों से दैनिक जागरण आपको रूबरू करा रहा है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 04:16 PM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 04:16 PM (IST)
ताड़ के पत्ते पर चित्रकारी तो अखबार की रद्दी से तैयार कलाकृतियां.. जब शौक ने दिलाई पहचान
ताड़ के पत्ते पर चित्रकारी तो अखबार की रद्दी से तैयार कलाकृतियां.. जब शौक ने दिलाई पहचान

लखनऊ, [कुसुम भारती]। अगर शौक संतुष्टि और सफलता दोनों दे तो उसे पहचानने और संजोने के लिए हर प्रयास करना चाहिए। अपने ऐसे ही शौक को पहचाना और उसे आकार दिया शहर की ही कुछ महिलाओं ने। उन्होंने इसे आय का जरिया बनाया और खुद को आत्मनिर्भर बनाया। झूलेलाल वाटिका में चल रहे सरस महोत्सव में लगे स्टाल पर कुछ ऐसे ही कलाकारों पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट..

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ताड़ के पत्तों पर पट्टचित्र पेंटिंग

ओडीशा के हेरिटेज विलेज से आए विश्वजीत स्वैन कहते हैं, पट्टचित्र पेंटिंग उड़ीसा की मशहूर पारंपरिक कला है जो भगवान जगन्नाथ जी से प्रेरित है। इसे फैब्रिक व सिल्क कपड़े और बोतल के अलावा, ताड़ के पत्तों पर खूबसूरत पेंटिंग तैयार करते हैं। ओडीशा में न केवल महिलाएं बल्कि युवा भी पढ़ाई के साथ इस पारंपरिक कला को भी सीखते हैं।

मामूली घास को बनाया आय का जरिया

नदी किनारे उगने वाली मामूली घास से बेहतरीन कलाकृतियां भी बनाई जा सकती हैं। ओडीशा की केमूस्मिता नायक कहती हैं, पिछले पांच सालों से उड़ीसा में मयूर शिल्प नाम से महिलाओं का स्वयं सहायता समूह चलाया जा रहा है। चार साल पहले मैंने भी ट्रेनिंग ली थी। उसके बाद देशभर में लगने वाली प्रदर्शनियों में अपनी कला प्रदर्शित करते हैं। साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें अपने साथ जोड़ते हैं। इस घास से रोटी रखने का बॉक्स, टोकरी, अन्य सजावटी सामान के साथ ही सुंदर ज्वेलरी भी बनाते हैं।

पुराने अखबार से बनाती हैं कलाकृतियां

पुराने अखबार से सुंदर कलाकृतियां भी तैयार की जा सकती हैं, इसे देखना हो तो सरस महोत्सव का रुख कर सकते हैं। यहां लगे एक स्टाल पर झांसी से आईं आकांक्षा ताम्रकार कहती हैं, पांच-छह सालों से वह पुराने अखबार से सजावटी चीजें तैयार कर रही हैं। इसकी प्रेरणा कहां से मिली, इस पर वह कहती हैं, पेपर से ऐसे ही कुछ न कुछ बनाती रहती थी। परिवार व अन्य लोगों के प्रोत्साहन पर आगे बढ़ने लगी। आज नवसृजन महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर दूसरी महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ लिया है। झांसी में एक कलाकृति को 51 हजारा रुपये में बेचा था। अखबार से लैंप, गुड़िया, फ्लावर पॉट, बास्केट, वॉल हैंगिग जैसी तमाम कलाकृतियां बनाती हूं।

 

सुतली-जूट से तैयार पेंटिंग

रस्सी यानी साधारण से जूट को रंगकर तैयार की गईं जूट की पेंटिंग देखने में जितनी सुंदर हैं, बनाने में उतनी ही मेहनत लगती है। गाजीपुर से आए दीपक बताते हैं, इनको बनाने के लिए साधारण जूट को लाकर पहले उसे हाइड्रोजन में डालकर उसको सफेद किया जाता है। फिर अलग-अलग रंगों में रंगकर उनसे पेंटिंग तैयार की जाती हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने समूह में जोड़कर उनको सिखाते हैं।


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