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मुनाफे का झांसा देकर करोड़ो हड़पने वाले गिरोह का राजफ़ाश, तीन महिलाओं समेत छह गिरफ्तार

गिरोह ने सेवानिवृत्त अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा डॉक्टर सीबी चौरसिया से 40 लाख तथा सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक रंजीत सिंह बोरा से चार लाख 14 हजार रुपये हड़प लिए थे।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 10:40 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 12:55 PM (IST)
मुनाफे का झांसा देकर करोड़ो हड़पने वाले गिरोह का राजफ़ाश, तीन महिलाओं समेत छह गिरफ्तार
मुनाफे का झांसा देकर करोड़ो हड़पने वाले गिरोह का राजफ़ाश, तीन महिलाओं समेत छह गिरफ्तार

लखनऊ, जेएनएन। सेवानिवृत्त अधिकारियों को झांसे में लेकर करोड़ों रुपये हड़पने वाले गिरोह का एसटीएफ ने राजफाश किया है। एसटीएफ ने बुधवार को गिरोह के छह लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। आरोपित बीमा में बोनस दिलाने, कम समय में रुपये डबल कराने और निवेश का झांसा देकर लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। हाल में ही पुलिस ने गिरोह के एक अन्य आरोपित को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा था। एसटीएफ के मुताबिक गिरोह ने सेवानिवृत्त अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा डॉक्टर सीबी चौरसिया से 40 लाख तथा सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक रंजीत सिंह बोरा से चार लाख 14 हजार रुपये हड़प लिए थे। आरोपितों ने दोनों को बीमा में बोनस देने, जीवन भर हेल्थ इंश्योरेंस दिलाने और फर्जी कंपनियों में निवेश कर रुपये दोगुना कराने का झांसा दिया था। डॉक्टर सीपी चौरसिया ने गाजीपुर थाना और रंजीत सिंह ने विकास नगर थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। छानबीन के दौरान एसटीएफ ने मीना बाजार इंदिरा नगर से आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।

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आरोपितों में मूल रूप से भीटी चौबेपुर कानपुर निवासी अभिनव सक्सेना, गोमती नगर विस्तार निवासी वेद प्रकाश द्विवेदी, फतेहपुर बाराबंकी निवासी मोहम्मद अरमान, लिबर्टी कॉलोनी सर्वोदय नगर इंदिरा नगर निवासी नेहा सक्सेना, चौबेपुर कानपुर निवासी प्रिया सक्सेना और गंगा सागर अपार्टमेंट नरही हजरतगंज निवासी मीनाक्षी भारती शामिल हैं।आरोपितों के पास से 11 मोबाइल फोन, एक एटीएम कार्ड, तीन चेक बुक, तीन पासबुक, चार आधार कार्ड, पैन कार्ड, रजिस्टर व एक कार बरामद की गई है।

आरोपितों ने बनाई थी फर्जी कंपनियां

पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि उन्होंने कई फर्जी कंपनियां बना रखी थी, जिसके बैंक खातों में रुपये जमा कराते थे। एसटीएफ के मुताबिक एलायंज ग्रीन सिटी, आरआइएल डेवलपर्स, एमडीआइ, ई-कॉमर्स, मैक्स लाइफ म्युचुअल फाउंडेशन, गोल्डन आर्किड और वेट फोलियो सर्विस के नाम से गिरोह ने फर्जी कंपनियां बनाई थी।

आपस मे बांट रखा था काम

पूछताछ में गिरफ्तार किए गए अभिनव सक्सेना ने बताया कि गिरोह में शामिल सभी लोगों को अलग-अलग काम दिए गए थे। वेद प्रकाश फर्जी नाम पते पर कंपनी रजिस्टर कराता था और इन कंपनियों के नाम पर अलग-अलग बैंकों में खाता भी खुलवाता था। इन खातों में ठगी की जो रकम आती थी उसका 25% कमीशन वेद प्रकाश लेता था और बाकी के रुपये सभी आरोपित आपस में बांट लेते थे।

बहन और पत्नी को भी किया शामिल

आरोपित अभिनव सक्सेना ने ठगी के इस खेल में अपनी बहन नेहा सक्सेना को भी शामिल कर लिया था। नेहा पीएनबी मेटलाइफ में काम करती है, जहां से वह इंश्योरेंस संबंधित ग्राहकों का डाटा गिरोह को उपलब्ध कराती थी। यही नहीं अभिनव ने अपनी पत्नी प्रिया को भी फर्जीवाड़े में शामिल किया था। प्रिया व मीनाक्षी दिल्ली और मुंबई ऑफिस की इंश्योरेंस कर्मचारी बनकर सेवानिवृत्त अधिकारियों को फोन करती थी। इसके बाद लोगों को भरोसा दिलाने के लिए इंश्योरेंस कर्मचारियों के साथ मिलकर कंपनी के नम्बर से मैसेज, फोन व वाट्स एप भी करवा देती थीं। इससे लोगों को उनपर शक नहीं होता था।

खुद जाकर करते थे मुलाकात

अभिनव के मुताबिक कस्टमर को भरोसे में लेने के बाद वह और मीनाक्षी उनसे मुलाकात करते थे। इसके बाद सेवानिवृत्त अधिकारियों से कैश अथवा चेक लेकर वापस लौट आते थे। अगर कोई व्यक्ति कैश नहीं देता था तो उससे फर्जी कंपनियों के नाम से चेक पर पेमेंट करा लेते थे। इसके लिए आरोपित चेक पर कंपनी का आधा नाम लिखते थे। ताकि लोगों को शक ना हो।

खुद ही दर्ज कर लेते थे शिकायत

कई वर्ष तक रुपये जमा करने पर जब कस्टमर को बताई गई योजना के अनुसार लाभ नहीं मिलता था तो वह पुलिस अथवा इंश्योरेंस कंपनी के ऑफिस में जाकर शिकायत करने की बात करता था। इस पर आरोपित ग्राहकों को फोन कर खुद को इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी आफ इंडिया का अधिकारी बताकर फोन करते थे। इसके बाद उनसे प्रार्थना पत्र लेकर अपने पास ही शिकायत दर्ज कर लेते थे। यही नहीं अधिवक्ता के सिविल सूट दायर करने और रुपये वापस दिलाने का झांसा देकर विभिन्न मदों में आरोपित सेवानिवृत्त अधिकारियों से दो-तीन साल तक फिर रुपये ऐंठते थे। इस काम में अभिनव की मदद उसका बहनोई रितेश करता था, जिसे पुलिस ने हाल में ही गिरफ्तार कर जेल भेजा है। आरोपितों ने कॉल सेंटर भी बना रखा था, जिसमें 30 लोग काम करते थे। हालांकि रितेश के जेल जाने के बाद से वह बंद है। छानबीन में गिरोह के द्वारा पिछले पांच साल में सैकड़ों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की बात सामने आई है। 


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