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उत्तर प्रदेश सरकार का इकबाल खत्म, शासन पर नियंत्रण नहींः राजबब्बर

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि शासन पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है। यूपी कुशासन व भय में जीने को मजबूर है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 06:37 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 08:09 PM (IST)
उत्तर प्रदेश सरकार का इकबाल खत्म, शासन पर नियंत्रण नहींः राजबब्बर
उत्तर प्रदेश सरकार का इकबाल खत्म, शासन पर नियंत्रण नहींः राजबब्बर

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ वारदातों की राजधानी बन गई है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी लगातार बढ़ते अपराधों से जनता त्राहिमाम कर रही है। लोग डरे-सहमे हैं। एक तरफ जहां आत्ममुग्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अल्टीमेटम देकर भूल जाते हैं वहीं दूसरी तरफ उनके अल्टीमेटम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कुर्सी बचाने के लिए दिन-रात भाजपा के चुनावी सरोकारों में जुटे मुख्यमंत्री से उत्तर प्रदेश संभाले नहीं संभल रहा है।

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दिनदहाड़े अपराधी खुलेआम अपराध

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस को अल्टीमेटम देते हैं वहीं लखनऊ में लूट और हत्या के अपराधियों तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही है। राजधानी में दिनदहाड़े अपराधी खुलेआम अपराध कर रहे हैं, अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद है कि जहां चाहते हैं वारदात को अंजाम देकर भाग जाते हैं और पुलिस लकीर पीटती रहती है। राजधानी ही नहीं प्रदेश के दूसरे जिलों में भी अपराध चरम पर पहुंच गया है।  

कुशासन और भय में जीने की मजबूरी

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लखनऊ न सिर्फ प्रदेश की राजधानी है बल्कि देश के गृह मंत्री का संसदीय क्षेत्र भी है। ऐसे में अतिसंवेदनशील क्षेत्र लखनऊ में सरकार की नाक के नीचे जिस प्रकार हत्या, लूट और बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं वह शर्मनाक है। जिस तरह पुलिस, सरकार के सामने बगावत पर उतर आयी उससे साबित होता है कि पुलिस प्रशासन पर सरकार का नियंत्रण नहीं रह गया है। सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है। सुशासन और भयमुक्त समाज का नारा देकर सत्ता में आई भाजपा के डेढ़ वर्ष के शासन में उत्तर प्रदेश की जनता कुशासन और भययुक्त समाज में जीने के लिए मजबूर है।   

एक सच्चा मित्र खो दिया 

कांग्रेस विधान मंडल दल के पूर्व उप नेता नवाब कौकब हमीद के निधन पर प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैने अपना एक सच्चा मित्र खो दिया है।नवाब कौकब हमीद 5 बार विघान सभा के सदस्य रहे। वह एक ईमानदार, अत्यंत विनम्र स्वभाव के, और साहसी व्यक्तित्व के धनी थे जो अपनी बात पूरी दृृढता के साथ कहते थे। उनमें कौमी एकता तथा किसानों की समस्या पर दो टूक अपनी बात कहने का साहस था । उनके निधन से एक अच्छा इंसान तथा गरीबों का हितैषी हमने खो दिया है, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती है।


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