Move to Jagran APP

बीस महीने में 15 हजार से अधिक मामले लंबित, बदलते रहे विवेचक- बढ़ती रहीं विवेचनाएं

मुकदमों के निस्तारण में अफसर सुस्त, वर्ष 2017 और अगस्त 2018 तक के आंकड़े से खुली पोल। एसएसपी ने सभी विवेचकों को तत्काल निस्तारण के दिए आदेश।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 02:16 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 03:00 PM (IST)
बीस महीने में 15 हजार से अधिक मामले लंबित, बदलते रहे विवेचक- बढ़ती रहीं विवेचनाएं
बीस महीने में 15 हजार से अधिक मामले लंबित, बदलते रहे विवेचक- बढ़ती रहीं विवेचनाएं

लखनऊ[शोभित मिश्र]। लखनऊ व सटे जिलों में सालों से संज्ञेय मामलों में लंबित विवेचनाओं का अंबार लगा हुआ है। ऐसे में न्यायालय ने 21 साल में पूरी न होने वाली सीतापुर के मिश्रिख थाने में डकैती जैसे संज्ञेय अपराध की विवेचना का संज्ञान लिया। साथ ही उच्चाधिकारियों को प्रदेशभर के थानों में ऑडिट के आदेश दिए। इससे विवेचकों में खलबली मच गई।

prime article banner

उदाहरण के तौर पर दो मामले भी आपके सामने हैं। पुलिस ऑफिस से मिले आंकड़ों के अनुसार यहां वर्ष 2017 में 8,130 विवेचनाएं और जनवरी से पंद्रह सितंबर 2018 तक 7,690 विवेच नाएं लंबित हैं। एसएसपी ने कुल 15,820 लंबित विवेचनाओं के जल्द निस्तारण के आदेश दिए हैं। सभी विवेचनाएं नब्बे दिन से एक साल से अधिक समय की हैं। जबकि नियम के अनुसार विवेचक को  अधिकतम नब्बे दिन में विवेचना पूरी करके हर हाल में केस की फाइल न्यायालय में भेजनी होती  है। जब राजधानी का यह हाल है तो प्रदेश के अन्य जिलों में लंबित विवेचनाओं का अंदाजा  सहज ही लगाया जा सकता है।

लॉ एंड ऑर्डर और वीआइपी ड्यूटी से अलग हों विवेचक

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि विवेचकों की लॉ एंड ऑर्डर के साथ वीआइपी  ड्यूटी की भी जिम्मेदारी निर्धारित है। ऐसे में विवेचनाओं को शत प्रतिशत निष्तारण होना  संभव नहीं है। हालांकि कई विवेचक जान बूझकर लापरवाही करते हैं। अच्छे विवेचकों को  चिह्नित करके उनको सिर्फ लंबित विवेचनाओं की जिम्मेदारी दी जाए।

केस- 1

चार दिसंबर 2015 को मडिय़ांव में धड़ और सीतापुर में दो महिलाओं के सिर मिलने की घटना में करीब तीन साल होने को हैं। आठ विवेचक बदल गए। शवों की शिनाख्त त क नहीं हो सकी। महीनेभर पहले आई डीएनए रिपोर्ट में सिर और धड़ का आपस में मिलान  नहीं हो पाया है। विवेचना जारी है।

केस-2

 सरोजनीनगर में 22 जून 2015 को बाइक सवार दो बदमाशों ने कैश वैन लूटकर क स्टोडियन अमरीश की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।  कैश वैन सवार कर्मचारी राजाराम पांडेय गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दोनों लुटेरे आसानी से भाग निकले थे।  अब तक  राजफाश नहीं हो सका।

क्या कहते हैं एसएसपी

एसएसपी कलानिधि नैथानी का कहना है कि सभी विवेचकों को मोहर्रम के बाद लंबित विवेचनाओं को तत्काल निस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं। मैं स्वयं लंबित विवेचनाओं की मॉनीटङ्क्षरग कर रहा हूं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.