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विश्व अंगदान दिवस: आपका अंग, किसी के जीवन में भर देगा रंग Lucknow News

15 कैडेवरिक ट्रांसप्लांट पीजीआइ में सफलतापूर्वक किए गए अब तक। 22 कैडेवरिक लिवर केजीएमयू में सफलतापूर्वक निकालकर ट्रांसप्लांट के लिए भेजे गए दिल्ली एक का यही हुआ प्रत्यारोपण।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 04:30 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 12:38 PM (IST)
विश्व अंगदान दिवस: आपका अंग, किसी के जीवन में भर देगा रंग Lucknow News
विश्व अंगदान दिवस: आपका अंग, किसी के जीवन में भर देगा रंग Lucknow News

लखनऊ [दीप चक्रवर्ती]। 26 जून को केजीएमयू के सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग ने कैडेवरिक लिवर ट्रांसप्लांट कर इतिहास रचा। हर तरफ वाहवाही हुई। डॉक्टरों को तारीफ मिली और लाभार्थी मरीज को नई जिंदगी, पर इसमें सबसे ज्यादा जिनकी प्रशंसा होनी चाहिए वह वे लोग हैं, जिन्होंने परिवार के मृत सदस्य के अंगदान का फैसला किया।

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सड़क हादसे में घायल हुईं सुलतानपुर निवासी वंदना को इलाज के बाद ब्रेनडेड घोषित कर दिया गया था। उनके पति हरि प्रसाद ने अंगदान का फैसला लिया ताकि किसी और का जीवन बच सके। हालांकि, वे जानते थे कि रूढ़िवादी गांववाले उनके इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे, फिर भी वे किसी का जीवन बचाने के निर्णय पर अटल रहे।

जागरूकता की कमी बड़ी बाधा:

केजीएमयू के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी के ऑर्गन ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर पीयूष श्रीवास्तव का कहना है कि लोगों में अब भी जागरूकता की कमी है। इससे उन्हें अंगदान के लिए मनाने में काफी समस्याएं आती हैं। धार्मिक विश्वास और रूढ़िवाद के कारण वे अंगदान के लिए जल्दी तैयार नहीं होते। इसके लिए काउंसलर को उन्हें समझाना पड़ता है कि इससे किसी का जीवन बच सकता है। हालांकि, अब कई लोग इस पुनीत कार्य में आगे आ रहे हैं, फिर भी अभी लंबा रास्ता तय करना है।

काउंसलर की भूमिका अहम:

पीयूष बताते हैं कि लाइव ट्रांसप्लांट के लिए तो डोनर मिल जाते हैं लेकिन मृत्योपरांत अंगदान करने वालों की अभी भारी कमी है। किडनी प्रत्यारोपण के केस में ज्यादातर रिश्तेदार ही अंगदान करते हैं। इसलिए उसमें ज्यादा समस्या नहीं है। किसी की मृत्यु के बाद परिजनों को अंगदान के लिए मनाना मुश्किल भरा होता है। ऐसे में काउंसलर की भूमिका अहम हो जाती है।

नया नजरिया अपनाना होगा:

लोग यह समझते हैं कि मृत्यु के बाद यदि शरीर को क्षति पहुंचाई जाए तो धार्मिक संस्कारों में व्यवधान उत्पन्न होगा। लोगों में यह दृष्टिकोण विकसित करना होगा कि मृत्यु के बाद यदि वे अंगदान करते हैं तो उनका परिजन मौत के बाद भी एक रूप में जीवित रहेगा। साथ ही किसी का जीवन बचाने का पुण्य मिलेगा, वह अलग। लोग अगर इस नजरिये से सोचें तो मुश्किलें हल हो जाएं।

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