World Maths Day : गणित से डरें नहीं, इसे बना लें अपना दोस्त Lucknow News
विश्व गणित दिवस पर लखनऊ के गणित विशेषज्ञों से खास बातचीत।
लखनऊ [जुनैद अहमद]। गणित एक ऐसा विषय है जिसे कम ही विद्यार्थी पसंद करते हैं, लेकिन जो पसंद करते हैं, उनके लिए इससे आसान विषय कुछ नहीं होता। गणित सिर्फ जोडऩा, घटाना, गुणा और भाग करना ही नहीं, बल्कि जीवन को आसान बनाने का मंत्र भी है। कुछ देर के लिए डर को भूलकर अपने आसपास देखें तो पाएंगे कि मैथ्स हर जगह है, जैसे खेलने, गाने और खाना खाने-पकाने जैसी हर चीज में गणित छिपी है। इतना ही नहीं, पसंद के सब्जेक्ट चाहे ड्राइंग हो, म्यूजिक हो या फिर साइंस सभी किसी न किसी रूप में गणित से जुड़े हैं। राजधानी में कुछ ऐसे छात्र और शिक्षक हैं, जिन्होंने मैथ्स को आधार बनाकर एक खास मुकाम हासिल किया। आइए उन्हीं से जानते हैं कि इस डराने वाले विषय को कैसे अपना दोस्त बनाया जाए।
गणित रटने का नहीं समझने का विषय : वर्ष 2015 में गणित से पीएचडी करने वाले डॉ. विकास कुमार पांडेय ने यह रटने का विषय नहीं है, उसे समझकर पढ़ें। इसको बेहतर बनाने के लिए अच्छे शिक्षक, अभ्यास और समझ होनी चाहिए। मैं पहले मैथ्स का अच्छा छात्र नहीं था और कभी नहीं सोचा था कि भविष्य में गणित का टीचर बनूंगा, लेकिन मुझे इतने अच्छे शिक्षक मिले कि मैं पीएचडी करके नेशनल पीजी कॉलेज में मैथ्स पढ़ाता हूं। मैथ्स के सवाल एक-एक स्टेप में आगे बढ़ते हैं, जिससे अनुशासन का पाठ सीखने को मिलता है। इससे हमारी तार्किक क्षमता, जानकारी और आत्मविश्वास बढ़ता है। गणित के सवाल हल करते समय हमारे दिमाग के दोनों हिस्से काम करते हैं।
-अभ्यास से आसान बन सकती है मैथ्स: पिछले करीब 26 सालों से बच्चों को मैथ्स पढ़ा रही डॉ. सरिता द्विवेदी ने वर्ष 1992 में मैथ्स से पीएचडी पूरी की। उन्होंने बताया कि जिस समय मैं बीएससी और एमएससी किया उस समय पूरे बैच में तीन से पांच ही लड़कियां थी, लेकिन मैंने कभी भी पढ़ाई में अपने आपको लड़कों से कमतर नहीं माना। मुझे मैथ्स पसंद थी, तो नियमित रूप से अभ्यास करती रही और आज बच्चों को पढ़ा रही हूं। समस्याओं का हल करना भी हम मैथ्स से सीखते हैं। मैथ्स के बेसिक रूल्स हमें दैनिक कार्य करने में भी सहयोग करते हैं। मैं क्लास में भी बच्चों को ज्यादा से ज्यादा अभ्यास करने के लिए कहती हूं। फार्मूला का बेसिक समझाती हूं, उसके बाद उदाहरण के साथ सवाल को हल कराती हूं।
गणित में थ्योरम समझना जरूरी
वर्ष 1998 से लविवि से मैथ्स में पीएचडी करने वाली डॉ. स्वर्निमा बहादुर वहीं बच्चों को मैथ्स पढ़ा भी रही हैं। उन्होंने बताया कि हायर एजुकेशन में मैथ्स विषय में थ्योरम का काफी महत्व होता है। बच्चों को पढ़ाने से पहले थ्योरम की बेसिक जानकारी देती हूं। उन्होंने बताया कि अभ्यास एकमात्र विकल्प है मैथ्स को सीखने का। अगर आप किसी टॉपिक को नहीं समझ पा रहे हैं, तो उसे छोड़कर आगे बढऩे के बजाए उसी पर फोकस करें। गणित के सारे चैप्टर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। अगर आप पहले वाला कोई चैप्टर छोड़ेंगे तो आगे के चैप्टर में आपको और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए मेहनत करके पहले जो चैप्टर हाथ में है, उसे तैयार करें।
मैथ्स में कान्सेप्ट समझना जरूरी
पिछले 14 वर्षों से लविवि में मैथ्स पढ़ा रहे डॉ. विनीत गुप्ता ने मैथ्स में पीएचडी भी लविवि से ही की। उन्होंने बताया कि मैथ्स को समझने से पहले कान्सेप्ट समझना बहुत जरूरी है। मुझे मैथ्स बहुत आसान लगती है। इंटर करने के बाद से ही मैं बच्चों को मैथ्स का ट्यूशन देने लगा। एसएससी करने के बाद मैंने नेट जीआरएफ किया। फिर कई विवि में गेस्ट लेक्चर लिया फिर लविवि में पढ़ाने लगा। मैथ्स समझने के लिए उसका बेसिक समझना बहुत जरूरी है। मैं क्लास में पहले हर बच्चे का स्तर समझता हूं। उसके बच्चों को बेसिक ही पढ़ाता हूं। स्टेप बाई स्टेप सवाल को हल करता हूं।
मैथ्स में आए 100 नंबर
एसकेडी अकादमी की तनुष्का गुप्ता ने वर्ष 2019 हाईस्कूल की परीक्षा में 95.5 प्रतिशत अंक हासिल किए। वह मैथ्स में 100 नंबर लाकर टॉपर बनी। तनुष्का बताती हैं कि मैथ्स से डरने की जरूरत नहीं है, नियमित रूप से अभ्यास करने से यह बहुत आसान लगने लगेगी। इसके अलावा फार्मूला को रटने से पहले उसका बेसिक समझें।
पसंदीदा विषय है मैथ्स
एसकेडी अकादमी की श्रुति कीर्ति पांडे इस वर्ष हाईस्कूल में 98.4 प्रतिशत अंक लाई। मैथ्स में उन्होंने 98 अंक हासिल किए। श्रुति ने बताया कि शुरू से ही यह मेरा पंसदीदा विषय रहा है। रोजाना दो घंटे अभ्यास करती थी। क्लास में शिक्षक भी अच्छे से समझाकर पढ़ाते थे, इसलिए मेरा मन भी लगा।
मुझे कभी मुश्किल नहीं लगी
एलपीएस आशियाना की वर्ष 2019 में इंटर की परीक्षा में 98.4 प्रतिशत लाने वाली मुस्कान जिंदल ने मैथ्स में 98 अंक हासिल किए। मुस्कान ने बताया कि शुरू से ही मेरा लगाव इस विषय की ओर रहा है। कभी भी कोई परेशानी नही हुई। जब भी थोड़ा स्ट्रेस होता है, तो मैथ्स के सवाल लगाती रहती हूं।
मैथ्स ओलंपियाड में इन्होंने दिखाई बौद्धिक दक्षता
बौद्धिक दक्षता और तार्किक क्षमता को बढ़ाने के मकसद में शहर में मैथ्स आलंपियाड का आयोजन भी किया जाता है। इसके अलावा विभिन्न शहरों में भी इस तरह की प्रतियोगिता आयोजित होती है। विदेश में भी इस तरह की प्रतियोगिता होती है। जिसमें बच्चें अपनी प्रतिभा दिखाते हैं। राजधानी में कई ऐसे बच्चे है, जो इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं।
सीएमएस में कक्षा आठ में पढऩे वाले अध्यात्म अग्निहोत्री के लिए मैथ्स सबसे आसान विषय है। उन्होंने इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड में कई मेडल जीते हैं। वह साउथ अफ्रीका में आयोजित मैथ्स ओलंपियाड में प्रतिभाग किया और गोल्ड और सिल्वर मेडल हासिल किया। ब्रेनो ब्रेन प्रतियोगिता में भी मेडल जीता। इंटरनेशनल ब्रेंच मार्किंग प्रतियोगिता में 50 हजार कर इनाम जीता। उन्होंने बताया कि मैथ्स मेरा सबसे पसंदीदा विषय है। क्लास में पढऩे के साथ-साथ घर पर भी मैथ्स की किताब पढ़ता हूं।
वहीं सीएमएस के कक्षा दस के नमन मिश्रा के लिए भी मैथ्स सबसे आसान विषय है। पिछले वर्ष इंटरनेशनल यंग मैथमिटिशियन कांफ्रेंस में एक गोल्ड और दो सिल्वर जीते हैं। उन्होंने बताया कि इसे सीखने के लिए जिज्ञासा बहुत जरूरी है। खुद को डर से बाहर निकालकर समझने की कोशिश करें। मेरे लिए यह सबसे मजेदार विषय है।
माता-पिता भी समझें जिम्मेदारी
मैथ्स के लिए बच्चों को डराएं नहीं। खेल के तरीके से बात करें। ऐसा भाव न डालें कि यह एक बोर विषय है। कभी-कभी ऐसे खेल भी खेलें, जिनमें कुछ जोडऩे-घटाने का काम हो। चित्र जोडऩे वाले कार्डबोर्ड आदि खेलों में गोल, आयत और त्रिभुज आदि शेप्स को पहचानने के लिए कहें। बच्चों को उदाहरण व आसान तरीकों से मैथ्स के सवाल हल करना सिखाएं। इससे उनकी जानकारी और आत्मविश्वास दोनों बढ़ेंगे। शॉपिंग से रुपये का हिसाब सिखा सकते हैं। उनकी हर गतिविधि से किस तरह मैथ्स विषय जुड़ा है, उसके बारे में उन्हें बताएं।