सीनियर सिटीजन डे : 70 की उम्र में 17 का जोश, खुलकर खेल रहे हैं लाइफ की सेकेंड इनिंग
ऊर्जावान बुजुर्गो को देखकर मिलती एनर्जी। सामाजिक सक्रियता संग लेखन और निर्देशन में भी माहिर। शौक के आगे उम्र को भी दे रहे हैं मात।
लखनऊ[दुर्गा शर्मा]। उम्र तो महज दस्तूर-ए जिंदगी है, दिल जवां रखो तो उम्र बढ़ती कहां है।। बुढ़ापा महज पड़ाव है, इस पर आकर जिंदगी थमती नहीं है। शहर में कई ऊर्जावान बुजुर्ग हैं। सारी जिम्मेदारियों को निपटाने के बाद ये जिंदगी की सेकेंड इनिंग खुलकर खेल रहे हैं। शौक के जरिए उम्र को मात दे रहे हैं। किसी का साथी कलम और कविताएं हैं तो कोई रंगकर्म में रमा है। सामाजिक सक्रियता भी कुछ कम नहीं है। इन वरिष्ठ शक्तिपुंजों से परिवार और समाज प्रकाशवान है।
सेवानिवृत्ति के बाद लिखी पहली किताब:
महेश चंद्र सकलानी
उम्र : 71 साल
दिनचर्या : रोज चार बजे उठ जाते हैं। दो घंटे ध्यान को देते हैं। पढ़ते और लिखते रहना सक्रिय बनाए रखता है।
इंदिरा नगर निवासी महेश चंद्र सकलानी 2006 में शक्ति भवन से महाप्रबंधक के पद से रिटायर हुए। अपने सरकारी दायित्वों को बखूबी निभाते हुए इन्होंने अपने कवि हृदय को सुरक्षित रखा। 71 साल की उम्र में पहली किताब 'मर्म यात्रा' प्रकाशित हुई। मर्म यात्रा 80 कविताओं का संग्रह है। महेश चंद्र बताते हैं, लिखने का शौक पहले से ही था पर गुणवत्तापरक समय सेवानिवृत्ति के बाद ही मिल पाया। एक किताब पर और काम चल रहा है। आ चुके हैं आठ संग्रह :
घनानंद पांडेय 'मेघ'
उम्र : 66 साल
सचिवालय में निजी सचिव के पद पर कार्यरत पंत नगर निवासी घनानंद पांडेय 2012 में सेवानिवृत्त हुए। गीत-संगीत से जुड़ाव तो बचपन से ही था। पिता सितार बजाते थे और भाई-बहन मिलकर भजन गाते थे। 1989 से मंचों पर स्वरचित कविताओं का पाठ करने लगे। आकाशवाणी में भी गीत प्रसारित हुए हैं। अब तक आठ संग्रह आ चुके हैं। इनके 2000 में पहला गीत संग्रह 'कल्पनाओं का सावन' आया। उसके बाद 'दर्द लेखनी का', 'भारती की आरती', 'नरह', 'चांद-सितारे आंगन के', वंदनाओं का संग्रह 'विनय करूं अंबे', 'माटी का कर्ज', खंड काव्य 'वंशावली' प्रकाशित हुई। फिलहाल एक संग्रह पर काम कर रहे हैं।
सेहत मंत्र : सुबह पांच बजे उठ जाता हूं। गर्म पानी फिर ग्री टी पीता हूं। किताबें पढ़ता हूं। हनुमान सेतु की 'भार्गव दीदी' :
कुसुम भार्गव
उम्र : 75 बीरबल साहनी मार्ग निवासी कुसुम भार्गव हनुमान सेतु और आस-पास के एरिया के लोगों के बीच भार्गव दीदी के रूप में जानी जाती हैं। मंदिर आना और सामाजिक गतिविधियों में शामिल होना दिनचर्या का अहम हिस्सा है। पास-पड़ोस में जरूरतमंद की शादी हो या समाज की किसी लड़की के हाथ पीले होने हो, भार्गव दीदी मदद को पहुंच जाती हैं। कहती हैं, भजन-कीर्तन, सत्संग समेत तमाम गतिविधियों में भागीदारी रहती है।
रखता फिट : नौ बजे नाश्ता, डेढ़ बजे लंच और शाम को साढ़े आठ बजे डिनर। रंगमंच के मेहनती निर्देशक :
स्वतंत्र काले
उम्र : 69
वकालत और रंगकर्म के अलग-अलग छोरों को थामे स्वतंत्र काले के निर्देशन में नवांकुर भी रंगकर्म के दिग्गज नजर आने लगते हैं। भारतेंदु नाट्य केंद्र में बिसारिया जी के निर्देशन में अभिनय सीखा। 1973 में संकेत संस्था के साथ जुड़कर अभिनय कौशल को और निखारा। लविवि से रंगमंच में पीजी डिप्लोमा भी किया। वकालत के साथ-साथ रंगकर्म का सिलसिला आज भी बरकरार है। 1985 में पहला नाटक 'महाभोज' का निर्देशन किया। अब तक करीब 40 नाटको का निर्देशन कर चुके हैं। हाल ही में इनके निर्देशन में प्ले 'स्वांग' में वकीलों ने उम्दा अभिनय किया था।
सेहत मंत्र : एक्टिव रहेंगे तो फिट रहेंगे।
बुजुर्गो को मोटिवेट कर रहा मोटिवेजर्स क्लब :
कुछ युवाओं ने मिलकर बुजुर्गो के लिए मोटिवेजर्स क्लब शुरू किया। क्लब के फाउंडर गौरव छाबड़ा कहते हैं, बुजुर्गो में रिटायरमेंट केबाद अकेलापन आ जाता है। उनके पास एंटरटेनमेंट का कोई साधन नहीं रहता। आज के समय में समस्या उनके साथ भी है जो सक्षम हैं। पैसा, गाड़ी सब है, लेकिन उनके साथ रहने वाला कोई नहीं है। नौकरी के सिलसिले में बच्चे बाहर हैं। ऐसे में घर में सारी सुविधाएं होने के बाद भी सीनियर सिटीजन खुद को अकेला महसूस करते हैं। कुछ बुजुगरें में अकेलेपन की वजह से गुस्सा और निराशा काफी ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसे ही बुजुर्गो के मनोरंजन के लिए मोटिवेजर्स क्लब शुरू किया। 10 दिसंबर 2017 को पहला इवेंट किया गया। अब तक 9 इवेंट हो चुके हैं। महीने के दूसरे संडे को इवेंट करते हैं जहा तमाम बुजुर्ग एकजुट होते हैं। अब तक 140 से ज्यादा परिवार क्लब से जुड़ चुके हैं। 25 स्वयंसेवी और 12-15 परफार्मर (सिंगर, वाद्य यंत्र वादक, मिमिक्री आर्टिस्ट आदि) बुजुर्गो के मनोरंजन में सक्रिय भागीदारी करते हैं।
समूह के अन्य लोग : आस्था सिंह, प्रिशिता राठी, वैभव प्रताप सिंह, ऋचा शुक्ला, शिखर यदुवंशी, इशिता चौहान आदि।