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छोटी उम्र के नाजुक रिश्ते, नासमझी में उठाए गए कदम कर देते हैं जिंदगी दूभर-ऐसे करें सुधार

कम उम्र में रिलेशनशिप बना लेने से आ रही हैं दिक्कतें। मानसिक रूप से रिश्ते निभाने को तैयार नहीं युवा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Aug 2018 04:10 PM (IST)Updated: Thu, 02 Aug 2018 04:22 PM (IST)
छोटी उम्र के नाजुक रिश्ते, नासमझी में उठाए गए कदम कर देते हैं जिंदगी दूभर-ऐसे करें सुधार
छोटी उम्र के नाजुक रिश्ते, नासमझी में उठाए गए कदम कर देते हैं जिंदगी दूभर-ऐसे करें सुधार

लखनऊ[राफिया नाज]। दुनिया प्यार के बगैर नहीं चल सकती, यह सच है, मगर जरूरी नहीं कि यह प्यार सिर्फ पुरुष मित्र या महिला मित्र के रूप में ही मिले। फिल्मों में रिलेशनशिप को लेकर दिखाई जाने वाली एक्सट्रीम कंडीशन को लोग रियलिटी मानने लगे हैं जिसकी वजह से आजकल युवाओं में सबसे ज्यादा ब्रेकअप हो रहे हैं। यहा तक कि कम उम्र के बच्चों में भी मानसिक तनाव का सबसे बड़ा कारण ब्रेकअप बन चुका है। पिछले दिनों केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में ज्यादातर केस ब्रेकअप से जुड़े आए। विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि डिप्रेशन और सुसाइडल अटैम्प्ट के केस में ज्यादातर में कारण ब्रेकअप निकला। इनमें ज्यादातर कॉलेज या स्कूल स्टूडेंट्स हैं। उम्र के मुताबिक काउंसिलिंग के तरीकों और बदलते समय में युवाओं में आ रहे मानसिक बदलाव पर दैनिक जागरण संवाददाता की रिपोर्ट।

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हर उम्र के लिए होती है अलग काउंसिलिंग :

केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में ब्रेकअप जैसी समस्याओं को लेकर आने वाले लोगों की उम्र और मैच्योरिटी लेवल पर काउंसिलिंग की जाती है। अगर 14 से 20 साल का युवा है तो उसे करियर और परिवार की तरफ फोकस किया जाता है। वहीं अगर 20 से 30 साल के बीच के लोग हैं तो उन्हें रिलेशनशिप की वैल्यू करना। अपने अंदर क्या बदलाव लाने हैं आदि बताया जाता है, क्योंकि सुख चाहने से पहले आपको सुख को संभालना आना चाहिए।

केस:1 पर्सनल लाइफ खत्म कर दी :

ग्रेजुएशन प्रथम वर्ष की एक लड़की सीवियर डिप्रेशन में मानसिक रोग विभाग में आई। काउंसिलिंग में पता चला कि लड़की जैसे ही कॉलेज आई तो फाइनल ईयर के एक लड़के ने उसका पीछा किया, उसे प्रपोज किया। आखिरकार लड़की ने उसे हा कर दी। कुछ दिन तक रिलेशनशिप ठीक तरह से चला बाद में लड़के ने उसे टार्चर करना शुरू कर दिया। लड़की की पर्सनल लाइफ पूरी तरह से खत्म कर दी। रिलेशनशिप से बाहर निकलने की स्थिति में उसने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। जिसे लेकर लड़की के परिवार वालों के साथ उसकी काउंसिलिंग की गई। केस:2 नासमझी में उठाए गए कदम ने जिंदगी की दूभर :

बाराबंकी की रहने वाली 18 वर्षीय लड़की पढ़ाई के लिए लखनऊ शिफ्ट हुई। जहा कॉलेज में एक लड़के के साथ रिलेशनशिप की शुरुआत हुई। लड़के की उम्र भी कम थी। लड़का जरूरत से ज्यादा पजेसिव था। लड़की के किसी भी लड़के से बात न करने देना, फोन बिजी होने पर झगड़ा करना जैसी हरकत करता था। लड़की ने जब इस रिश्ते से बाहर निकलने की सोची तो उसने मर जाने की धमकी दी। जिसके बाद दोनों ने घरवालों के छिपकर शादी कर ली। लड़का आत्मनिर्भर नहीं था जिसके बाद लड़की फिर से अपने परिवार में आ गई। अब लड़की उस लड़के को लेकर डिप्रेशन में आ गई। वो उसे छोड़ना चाह रही है, वहीं बीच-बीच में लड़के को लेकर दुविधा में आ जाती है।

केस:3 मेडिसिन के साथ मैनेजमेंट से मिली राहत :

लखनऊ का एक लड़का इंजीनियरिंग का कोर्स करने दिल्ली गया। जहा उसे अपनी क्लास फैलो से प्यार हो गया। एक से दो साल तक सब ठीक से चला। बिना किसी बड़ी वजह के अचानक ही लड़की ने लड़के से बातचीत करना कम कर दी। लड़के ने कई बार वजह जानने की कोशिश की, लेकिन उसके हाथ निराशा लगी। डिप्रेशन में आकर लड़के ने सुसाइड करने की कोशिश की। बाद में उसका इलाज केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में चला। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि लड़के ने अपना सारा रुटीन उस लड़की के इर्द-गिर्द बना लिया था। बाद में जब उस लड़की से रिश्ता टूटा तो उसकी लाइफ में खालीपन आ गया था। जिसमें लड़के की दवा के साथ-साथ खुद को वैल्यू देने और मैनेजमेंट करना सिखाया गया। डॉक्टरों को करना होगा मानसिक स्वास्थ्य में डिप्लोमा:

शरीर की बीमारी कई बार मन को भी प्रभावित कर देती है। ऐसे मामलों में मर्ज समझने के लिए मरीज की मन:स्थिति भी समझना जरूरी है, इसलिए राज्य सरकार अब अपने सभी डॉक्टरों को मानसिक स्वास्थ्य में डिप्लोमा कराने जा रही है। इसके लिए दिसंबर, 2020 तक का समय दिया गया है। यह डिप्लोमा बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहंस) से ई-लर्निग के जरिए कराया जाएगा। विशेष सचिव स्वास्थ्य जीएस नवीन कुमार ने स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.पद्माकर सिंह को भेजे पत्र में बताया है केंद्र सरकार द्वारा गठित मानसिक स्वास्थ्य कोर ग्रुप समिति ने सुप्रीम कोर्ट के इस बाबत दिए गए आदेश के अनुपालन में राजकीय सेवा के सभी डॉक्टरों को मानसिक रोग विधा में 31 दिसंबर, 2020 तक प्रत्येक दशा में प्रशिक्षित किए जाने का अनुरोध किया है। इसी क्त्रम में स्वास्थ्य विभाग ने प्रातीय चिकित्सा सेवा के सभी डॉक्टरों को ऐसा प्रशिक्षण दिलाने का निर्णय लिया है। इसके तहत डॉक्टरों को निमहंस की वेबसाइट पर डिप्लोमा इन कम्युनिटी मेंटल हेल्थ के लिए पंजीकरण कराने और प्रदेश के राज्य स्वास्थ्य प्रकोष्ठ पर इसका विवरण उपलब्ध कराने को कहा गया है। डिप्लोमा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराने वाले अभ्यर्थियों को तीन महीने की अवधि में 30 घटे के सेल्फ प्लेस्ड ई-लर्निग के जरिये कोर्स पूरा करने को कहा गया है। इसके बाद परीक्षा कराई जाएगी। पास होने वाले अभ्यर्थियों को डिप्लोमा इन कम्युनिटी मेंटल हेल्थ की उपाधि प्रदान की जाएगी। रिश्ते टूटने की वजह:

आजकल लोग अपनी खुद की खुशी के आगे परिवार को तरजीह नहीं देते हैं। रिश्तों में उनकी अपेक्षा बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है। फिल्में, टीवी सीरियल सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित कर रहा है, जिसमें हमें दिखाया जाता है कि लाइफ में प्यार या रिलेशनशिप के बिना कुछ नहीं है, जिसका नकारात्मक प्रभाव युवाओं पर पड़ता है। यहा तक कि 5-6 क्लास के बच्चों में भी ब्वॉय फ्रेंड-गर्ल फ्रेंड के बारे में चर्चा करना आम बात है। किस तरह से करें सुधार: उम्र के हिसाब से बच्चों का हो गैजेट एक्सपोजर: फिल्म, टीवी, इंटरनेट (गैजेट) आदि के एक्सपोजर की वजह से आजकल बच्चे कम उम्र में भी काफी चीजें जानने लगते हैं। उनका दिमाग उम्र के हिसाब से इतना मैच्योर नहीं होता है इसलिए वो रिलेशनशिप जैसी गंभीर चीजों को समझ नहीं पाते हैं। जरूरी है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को गैजेट हाइजीन समझाया जाए। उन्हें वो ही चीजें दिखाएं जो उनकी उम्र के हिसाब से हो।

बच्चों में डालें न सुनने की आदत:

आजकल लोगों में आर्थिक समस्याएं बहुत कम हो गई हैं जिसकी वजह से वो अपने बच्चों को सारी खुशिया देने में लग जाते हैं। जरूरत है कि हम अपने बच्चों को न सुनने की आदत डालें। उन्हें यह सिखाएं कि जरूरी नहीं है कि आपको लाइफ में सारी चीजें मिल जाएं। रिश्तों के महत्व पर चर्चा जरूरी:

जरूरी है कि हम बच्चों को रिश्तों के महत्व को समझाएं। हर चीज को केवल इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति अच्छी नहीं होती है।खुद की वैल्यू करना सिखाएं 1हमेशा दूसरे की उम्मीदों पर न चलकर खुद की अपेक्षाओं को भी देखना चाहिए। आत्मसम्मान को भी महत्व देना चाहिए। अपनी शर्तो पर नहीं, रिश्तों को बराबरी से निभाएं:

जरूरी नहीं है कि हर रिश्ता नासमझी पर टिका हो। अक्सर लोग अपने हिसाब से अपनी शर्तो को दूसरे पर थोपने लगते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए, इस तरह से रिश्ते लंबे समय तक नहीं चलते हैं। इसलिए जरूरी है कि रिश्तों में दूसरे की भावना को भी महत्व दिया जाए।


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