Move to Jagran APP

विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं मानी हार, अब अपने हुनर से दूसरों को बना रहीं आत्मनिर्भर

हुनर की तालीम: कम पढ़ी-लिखीं महिला कारीगरों ने फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थियों को दी ट्रेनिंग। चिकनकारी और जरदोजी की बारीकियों से हुए रूबरू ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 04:57 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 06:04 PM (IST)
विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं मानी हार, अब अपने हुनर से दूसरों को बना रहीं आत्मनिर्भर
विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं मानी हार, अब अपने हुनर से दूसरों को बना रहीं आत्मनिर्भर

लखनऊ(जेएनएन)। शिक्षा, प्रतिभा और स्वास्थ्य। ये तीनों हमारे सामाजिक जीवन के आधारस्तंभ हैं। हमारा, शिक्षित होना जरूरी है, तो हुनरमंद होना भी। इसी तरह स्वास्थ्य भी अहम है। शहर में तीन कार्यक्रम ऐसे हुए जिनमें इन तीनों का बढि़या उदाहरण नजर आया। ऐसा उदाहरण जो हमें प्रेरित करता है, हिम्मत दिलाता है। इन तीनों आयोजनों पर जागरण सिटी की रिपोर्ट -

loksabha election banner

मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है, जिद तो उसकी है. जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं।। हौसला और हुनर हो तो नामुमकिन भी मुमकिन है। वक्त भी बदलेगा। हर मुकाम भी तय होगा। जिजीविषा और लगन 'डिग्री' नहीं मागती। शनिवार को शहर की महिला कारीगर इन बातों के पर्याय के रूप में नजर आईं। कम पढ़ी-लिखीं इन हुनरमंद महिला कारीगरों ने फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थियों को चिकन और जरदोजी की बारीकिया बताईं। गोमती नगर स्थित होटल में एमिटी विवि और आसमा हुसैन इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग के विद्यार्थियों की कार्यशाला ली। सभी महीन, कलात्मक और धैर्य से की जाने वाली कशीदाकारी (चिकन वर्क) की एक्सपर्ट के रूप में विद्यार्थियों के सामने थीं। हुनर क्रिएशन क्राफ्ट एसोसिएशन, लखनऊ की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया था। मेहनत रंग लाती है संघर्षो के बाद:

इंटर की पढ़ाई कर रहीं शबनम बानो बताती हैं कि 14 साल की थीं जब दो साल तक पैरालाइज रहीं मा का इंतकाल हो गया। हाईस्कूल परीक्षा के दौरान पिता का साथ भी छूट गया। चार भाइयों और बहनों में सबसे छोटी शबनम ने आगे की पढ़ाई जारी रखी। इसके साथ ही सिलाई और कढ़ाई का काम भी सीखती रहीं। इंटर के बाद निकाह हो गया। छह साल बाद घर पर ही सिलाई और चिकनकारी का प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया। मौजूदा समय में 20 लड़कियों को प्रशिक्षित करने के साथ शबनम आत्मनिर्भर हैं। सिलाई और चिकनकारी आजीविका का साधन हैं। कहती हैं, विपरीत परिस्थितियों में घबराई, रोयी पर कभी हिम्मत नहीं हारी। चिकनकारी को बनाएं ब्राड :

गोष्ठी में लविवि के अर्थशास्त्र विभाग के हेड प्रोफेसर अरविंद मोहन ने कहा कि चिकनकारी को ब्राड बनाए जाने की जरूरत है। सेवानिवृत्त आइएएस अनीस अंसारी ने कहा कि सरकार और विभागों की मदद से कारीगरों की मदद की जानी चाहिए। कारीगरों को सरकारी योजना के प्रति जागरूक भी होना चाहिए। तारीक गौरी ने कहा कि 'एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट' की जरूरत है। गोष्ठी में फरीदा यासमीन, नवाब मीर जाफर अब्दुल्ला, प्रो. पूजा वर्मा, सुनन्दा प्रसाद आदि मौजूद रहे। इनके जज्बे को भी सलाम :

- सायरा : स्नातक हैं। चिकनकारी के काम से खर्च निकल लेती हैं।

- शबीना: हाई स्कूल तक पढ़ी हैं। शौहर को गुजरे करीब छह साल हो गए हैं। चिकनकारी, सिलाई और ससुराल वालों की मदद से दो बेटों को पाल रही हैं।

- तन्नू: स्वास्थ्य कारणों से पति काम नहीं कर पाते हैं। चिकनकारी से एक बेटा-एक बेटी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।

- सायरा: स्नातक हैं। चिकनकारी के काम से खर्च निकल लेती हैं।

- शबीना: हाई स्कूल तक पढ़ी हैं। शौहर को गुजरे करीब छह साल हो गए हैं। चिकनकारी, सिलाई और ससुराल वालों की मदद से दो बेटों को पाल रही हैं।

- तन्नू: स्वास्थ्य कारणों से पति काम नहीं कर पाते हैं। चिकनकारी से एक बेटा-एक बेटी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। इन्होंने भी दिया प्रशिक्षण :

- मोहम्मद हलीम, शिवागी और जुबैर समेत करीब 35 कारीगर।

प्रशिक्षण में शामिल:

- चिकनकारी में शामिल फंदा, उल्टी बखिया, सील कंगन, मरुे, जाली, टेप्ची और टप्पा आदि शैलिया। जरदोजी वर्क के साथ टाके निकालना आदि। छपाईकारी की बारीकिया भी बताईं।

- चिकनकारी में शामिल फंदा, उल्टी बखिया, सील कंगन, मुर्रे, जाली, टेप्ची और टप्पा आदि शैलिया। जरदोजी वर्क के साथ टाके निकालना आदि। छपाईकारी की बारीकिया भी बताईं।

साक्षरता से ही धरती स्वर्ग बन सकती है :

साक्षरता हमें जगाती है, शोषण से बचाती है। साक्षर होंगे धरती पर सभी इंसान तभी धरती होगी स्वर्ग समान। अक्षर ज्ञान बड़ा अनमोल. समेत तमाम साक्षरता मंत्र लोगों को शिक्षा से जोड़ रहे हैं। नवयुग कन्या महाविद्यालय की एनसीसी कैडेट लोगों से शिक्षा से जुड़ने की अपील कर रही हैं।

कॉलेज की 19वीं उप्र ग‌र्ल्स बटालियन की कैडेट एनसीसी अधिकारी मेजर डॉ. मनमीत कौर सोढी के दिशा निर्देशन में जागरूकता अभियान चला रही हैं। पोस्टर, स्लोगन, नुक्कड़ नाटक और संवाद के माध्यम से जीवन में शिक्षा के महत्व को बताने का प्रयास करती हैं। साक्षरता दिवस के मौके पर भी कैडेट स्नेहा पाडे, सोनाली दुबे ने संवाद के माध्यम से बताया कि आज भी पुरुष व महिला साक्षरता के अनुपात में बड़ा अंतर पाया जाता है, जो कि चिंता विषय है। कैडेट चैतन्या, प्रियाशी, राखी, निशा, उजाला, पलक, आयुषी, अंकिता, अपेक्षा, नेहा, अंजली, अर्शाली, अनिका, सौम्या, ज्योति, छवि, शिल्पी, शालिनी, अंशुल, सुषमा, वर्तिका, सोनी और खुशी की टीम ने नुक्कड़ नाटक के जरिए दर्शाया कि अनपढ़ होना अभिशाप है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.