सड़क सुरक्षा सप्ताह: हादसों की डगर पर कैसे सुरक्षित हो सफर
शहर के ब्लैक स्पॉट दूर करने को सिर्फ बैठकें कर रहे अफसर। अभी तक धरातल पर नहीं उतरा कार्य। सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत आज से।
लखनऊ[नीरज मिश्र]। सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत सोमवार से हो रही है। करीब ढाई दशक से राजधानी के प्रमुख मार्गो पर दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों (ब्लैक स्पॉट) को खोजने का सिलसिला कागजों पर ही चल रहा है। विभागों की तमाम बैठकों में रोड इंजीनियरिंग, पुल की गलत डिजाइन, रोड साइड कर्व और डिवाइडर में बदलाव करने पर चर्चाएं खूब होती हैं लेकिन इन्हें ठीक कराने की दिशा में काम नहीं होता। जिसका नतीजा यह होता है कि इन ब्लैक स्पॉट पर आए दिन लोग हादसों का शिकार होते रहते हैं। कोई व्यक्ति जीवन भर के लिए अपंग हो जाता है तो कइयों के परिवार बेसहारा हो जाते हैं। इन घटनाओं के बाद भी विभागों के अफसर इनकी कोई सुध नहीं लेते। शहर के प्रमुख मार्गो पर बने ब्लैक स्पॉट्स पर नजर डालें तो पता चलेगा कि जानकारी के बाद भी इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट. लोहिया पार्क चौराहा
इस स्थान को देखकर आमजन को भी समझ जाएगा कि इस चौराहे पर क्या कमी है, जिससे यहा पर वाहनों में टकराव की स्थिति बनी हुई है। इसके बाद भी रोड इंजीनियरिंग से जुड़े जिम्मेदारों को शायद इसका भान नहीं है या फिर इसमें बदलाव को लेकर बजट अथवा अन्य कारणों से इसमें दिलचस्पी नहीं। दरअसल अगल-बगल बने दो पुल से वाहन सीधे चौराहे पर उतरते हैं। चारों ओर से आने वाले वाहनों की वजह से यह स्थान सर्वाधिक दुर्घटना बाहुल्य बन चुका है। वास्तव में या तो पुल से आने वाले वाहनों को चौराहे से काफी पहले उतरने की व्यवस्था होनी चाहिए थी या फिर चौराहे के बाद। दोनों ही सूरत में वाहनों का सामना एक दूसरे से कम होता। हालाकि ऐसा कुछ नहीं किया गया। इसी का नतीजा है कि दिन भर यहा वाहन टकराते रहते हैं। पॉलीटेक्निक चौराहा
यहा पर फैजाबाद, इंदिरानगर, मुंशी पुलिया, एचएएल और गोमतीनगर की ओर से आने वाले ट्रैफिक का सीधा आमना-सामना होता है। करीब आधा दर्जन घुमावदार रास्तों के बीच से गुजरते हुए वाहन अक्सर टकरा जाते हैं। इसे रोकने के लिए चौराहे में बदलाव करने की बात कई बैठकों में हुई लेकिन जमीन पर एक इंच भी कार्य नहीं किया गया। यहा तक कि गोमती बैराज से पॉलीटेक्निक की ओर जाने के लिए डिवाइडर से रास्ता बनाकर उन्हें शहीद पथ के किनारे-किनारे निकाले जाने की योजना थी। यह भी अभी हकीकत में नहीं आ सकी है।
'थ्री-ई फामरूला' सिर्फ कागजों पर ही चल रहा
सड़क सुरक्षा को लेकर बनीं कमेटी में लोनिवि, स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को शामिल किया गया। इसमें थ्री-ई (इंजीनियरिंग, इन्फोर्समेंट और एजुकेशन) फामरूले पर सभी महकमों को एक साथ आगे बढ़ने को कहा गया। सबसे अहम काम रोड इंजीनियरिंग की खामियों को तेजी से दुरुस्त करने की बात हुई लेकिन हाल देख समझ जाएंगे कि कैसी कार्रवाई जिम्मेदार पिछले कई वर्षो से कर रहे हैं। किसी भी महकमे की गंभीर पहल धरातल पर नहीं दिख रही। इन राहों पर चले संभल-संभलकर
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद भी अभी तक जिम्मेदार महकमों की ओर से तेज पहल नहीं हो सकी है। मामूली बदलावों तक पर अभी कार्रवाई धरातल पर नहीं दिखी है। कई ब्लैक स्पॉट आज तक दुरुस्त नहीं किए गए हैं। एनएच पर 51 दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र तो 38 खतरनाक स्थान स्टेट हाईवे पर मौजूद हैं। यदि आप यहा से गुजरें तो अतिरिक्त सावधानी बरतें। भिटौली चौराहा, इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहा, निगोहा, उतरेटिया पुल, रिंग रोड, आलमबाग, रजनीखंड, छोटी लालकुर्ती, तोपखाना, मटियारी चौराहा, मोहान रोड, पॉलीटेक्निक चौराहा, मुंशी पुलिया, सेक्टर 25 चौराहा, टेढ़ी पुलिया, दयाल पैराडाइज चौराहा, मनोज पाडेय चौराहा, आइटी चौराहा, भैसाकुंड, खुर्रम नगर चौराहा, हैनीमैन चौराहा, बारादरी चौराहा, शुभम, नूर मंजिल, बिजनौर, आरटीओ ऑफिस, गौरी बाजार चौराहा, एयरपोर्ट चौराहा, नादरगंज, दरोगा खेड़ा, कमता चौराहा, अजरुनपुर, परिवर्तन चौक, 1090 चौराहा, मकदूमपुर, मड़ियाव, इको गार्डन कैलाशपुरी, वीआइपी रोड, शहीद पथ, बंगला बाजार समेत कई ऐसे ब्लैक स्पॉट हैं।
सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत आज से
सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत सोमवार से हो रही है। पूर्वाह्न् दस टिहरी कोठी स्थित परिवहन निगम मुख्यालय में लोनिवि, स्वास्थ्य, शिक्षा और पुलिस विभाग के प्रतिनिधि इस कार्यशाला में हिस्सा लेंगे। यह जानकारी अपर परिवहन आयुक्त अरविंद कुमार पाडेय ने दी। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में विभिन्न महकमों के अधिकारी प्रेजेंटेशन देंगे। इस पर चर्चा होगी।समता मूलक चौराहा1अब बात समता मूलक चौराहे की। पॉलीटेक्निक की ओर से आती वाहनों की भीड़। थोड़ा आगे बढ़ते ही ताज की ओर से ऊपर पुल की तरफ आते वाहन और उतनी ही गति से दाएं बाएं रिवर फ्रंट की तरफ से आती गाड़िया। 1090 चौराहे से आते वाहनों की असामान्य गति समता मूलक चौराहे पर टकराव की स्थिति पैदा कर देती है। घुमावदार चौराहे पर कन्फ्यूजन के हालात। चालकों के सामने दिशा भ्रम जैसे हालात। यहा भी बदलाव को लेकर ठोस काम धरातल पर नहीं दिखते।