अस्थमा में मुंह से सांस लेने पर दोहरा खतरा, सांस के रोगियों को खास सलाह Lucknow new
सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे ने सांस रोगियों को बचाव के उपाय बताए।
लखनऊ, जेएनएन। सुबह-शाम कोहरा पड़ रहा है और दिन में धूप निकल रही है। सर्द-गर्म का यह मौसम सांस रोगियों पर भारी पड़ रहा है। इस स्थिति में अस्थमा व ऐसी अन्य बीमारियों के मरीजों को सतर्क रहना होगा। उन्हें ठंड से बचाव करना होगा। वह मुंह से सांस न लें। सर्द हवा व प्रदूषित कण सीधे सांस की नली में पहुंचने से अटैक का खतरा दोगुना हो जाता है। वहीं, नाक से सांस लेने में साइनस में मौजूद टर्बिनेट्स एयर कंडीशनर का काम करते हैं। यह ठंडी हवा को गर्म में तब्दील कर देते हैं।
प्रश्न : दो से तीन सौ मीटर चलने व थोड़ा मेहनत करने पर सांस फूलने लगती है। क्या करें।
उत्तर : धूल-धुआं से बचाव करें। आप पहले धूमपान करते थे। ऐसे में सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रैक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का खतरा है। डॉक्टर को दिखाकर इलाज शुरू कराएं। ठंड से बचाव करें।
प्रश्न : पापा को सीओपीडी है। दिक्कत बढ़ गई है। क्या उपाय है।
उत्तर : ठंड से बचाव करें। रोजाना तीन लीटर पानी कम से कम पीएं। फेफड़ा संबंधी व्यायाम करें। इनहेलर लेने के बाद कुल्ला अवश्य करें। इलाज ब्रेक न करें।
प्रश्न : ठंड में सांस व हृदय रोग के खतरे से कैसे बचा जा सकता है।
उत्तर : ठंड में श्वसन नलिका व रक्त वाहिकाओं में सिकुडऩ आ जाती है। ऐसे में दोनों बीमारियों में अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में शरीर को ठंड से बचाएं। गुनगुना पेय पदार्थ लें। पानी की कमी शरीर में न होने दें।
प्रश्न : वजन उठाकर थोड़ी दूर जाता हूं तो हांफने लगाता हूं। क्या यह अस्थमा रोग है।
उत्तर : सांस फूलना सिर्फ अस्थमा का लक्षण नहीं है। हृदय रोग का भी हो सकता है। अभी आपकी उम्र 28 वर्ष की है। एक बार डॉक्टर को दिखा लें। बीमारी कन्फर्म होने पर इलाज कराएं।
प्रश्न : ब्रांकाइटिस है। आयुर्वेद का इलाज करा रहा हूं। क्या ठीक हो जाएगा।
उत्तर : ब्रांकाइटिस में धूल-धुआं से परेशानी बढ़ जाती है। दुकान पर मास्क लगाकर बैठें। इसे उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है। जड़ से बीमारी खत्म नहीं हो सकती।
प्रश्न : 57 साल का हूं। मौसम बदलने के बाद खांसी, सांस फूलने की दिक्कत बढ़ गई है।
उत्तर : आपके लक्षण सीओपीडी के अनुसार हैं। एक बार पीएफटी टेस्ट करा लें। रिपोर्ट के आधार पर इलाज की दिशा तय की जाएगी।
प्रश्न : पहले साइनस की समस्या थी। अब डॉक्टर सीओपीडी बता रहे हैं। क्या करें।
उत्तर : सीओपीडी की पुष्टि के लिए पीएफटी जांच होगी। फेफड़े की कार्य क्षमता का आकलन किया जाएगा। इसके बाद इलाज तय होगा।
प्रश्न : बेटी को अस्थमा है। अब सांस लेने में तकलीफ हो रही है। क्या करें।
उत्तर : मौसम में बदलाव आया है। अस्थमा की समस्या उभर रही है। ऐसे में दोबारा चिकित्सक से मिलें। परामर्श कर इलाज शुरू कराएं।
प्रश्न : बार-बार जुकाम हो जाता है। दवा खाने के बाद कुछ दिन आराम मिलता है। इसके बाद समस्या फिर बढ़ हो जाती है।
उत्तर : आपको नाक की एलर्जी है। धूल-धुआं व एलर्जेन तत्वों से बचाव करें। एलर्जी प्रोफाइल चेक कराकर इलाज शुरू कराएं।
प्रश्न : सांस फूल रही है। इनहेलर भी काम नहीं कर रहा है। क्या करें।
उत्तर : डॉक्टर से मिलें। डोज में बदलाव हो सकता है। वहीं, इनहेलर लेने का तरीका भी सीख लें। गलत तरीके से इनहेलर लेने पर पर्याप्त फायदा नहीं होगा।
प्रश्न : पत्नी सुबह उठती हैं तो सांस फूलने लगती है। चलने-फिरने में भी सांस फूलती है।
उत्तर : सांस फूलने के कई कारण होते हैं। इनमें खून की कमी होना, फेफड़े में इंफेक्शन व हार्ट में दिक्कत होना प्रमुख है। एक बार पहले फिजीशियन को दिखाएं। बीमारी कन्फर्म होने पर विशेषज्ञ से संपर्क करें।
प्रश्न : तीन-चार वर्ष से सांस फूल रही है। इनहेलर ले रही हूं। खांसी बंद नहीं हो रही है।
उत्तर : ठंड से बचाव करें। स्टीम लें। इनहेलर नियमित लेने से दिक्कत बनी हुई है तो एक बार चिकित्सक से दिखाकर डोज तय कराएं।
क्या है सीओपीडी व अस्थमा
अस्थमा अनुवांशिक है। इसमें श्वसन नलिकाओं में सूजन व सिकुडऩ आ जाती है। ठंड व प्रदूषण की चपेट में आने पर खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को एलर्जेंस व प्रदूषित कणों से बचाव करना होगा। इसमें पहले नाक, गले की एलर्जी, छींके आना, नाक बंद होना, कफ, खांसी, सांस फूलना व श्वसन प्रक्रिया के वक्त सीटी जैसी आवाज निकले तो सतर्क हो जाएं। वहीं, सीओपीडी 30 वर्ष के बाद होती है। सुबह-सुबह खांसी आना, बाद में बलगम आना फिर सांस फूलना सीओपीडी के लक्षण हैं।
गरिष्ठ भोजन और तनाव से रहें दूर
सांस रोगी अत्यधिक मिर्च, मसाले फास्टफूड का सेवन न करें। इससे एसिडिटी बनती है। उसें रेफलेक्स ईसो फेजाइटिस हो जाता है। व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ व खांसी आने लगती है। वहीं, तनाव से भी सांस रोगियों को दूर रहना होगा। ठंडे पेय पदार्थों का सेवन न करें। अदरक, सोंठ, गुड़ व तिल से बने खाद्य पदार्थ, हरी सब्जी, सूप, दूध में हल्दी मिलाकर लें। गुनगुने पेय पदार्थों का सेवन करें।
ब्लोअर चलाकर न सोएं। सिर ऊंचा रखें
रूम में हीटर व ब्लोअर लगाकर न सोएं। इसमें कार्बन मोनो ऑक्साइड और कार्बनडाइ ऑक्साइड का लेवल बढ़ जाता है। वहीं, ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। यह अस्थमा अटैक का कारण बन सकता है। इसके अलावा सिर ऊंचा कर सोएं। कारण, सिर के नीचे सोते वक्त ऊंचाई न होने से आंत ऊपर की ओर उठ जाती हैं। यह फेफड़े के डायफ्रॉम पर दबाव डालती हैं। ऐसे में श्वसन प्रक्रिया में बाधा पहुंचती है।