Move to Jagran APP

फिर दहकी समाजवादी कुनबे में रार, सपा की याचिका से खतरे में शिवपाल की विधायकी

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य पद से शिवपाल सिंह यादव को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 09:30 AM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 10:27 AM (IST)
फिर दहकी समाजवादी कुनबे में रार, सपा की याचिका से खतरे में शिवपाल की विधायकी
फिर दहकी समाजवादी कुनबे में रार, सपा की याचिका से खतरे में शिवपाल की विधायकी

लखनऊ, जेएनएन। इटावा में लंबे समय से समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की विरासत के सहेज रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी ने बड़ा झटका दिया है। समाजवादी पार्टी ने इटावा के जसवंतनगर से विधायक शिवपाल सिंह को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया है। जसवंतनगर से मुलायम सिंह यादव विधायक हुआ करते थे, उनके लोकसभा सदस्य बनने के बाद से शिवपाल सिंह यादव 1996 से वहां से लगातार विधानसभा सदस्य हैं। 

loksabha election banner

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य पद से शिवपाल सिंह यादव को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराया है। शिवपाल सिंह यादव इटावा के जसवंत नगर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक हैं। काफी समय भतीजे अखिलेश चाचा शिवपाल के खिलाफ ऐसा कोई सख्त एक्शन लेना चाहते थे। अब उन्होंने शिवपाल सिंह यादव की विधायकी को खत्म करने की चाल चल दी है। 

2017 में यूपी विधानसभा चुनावों के समय से ही मुलायम सिंह यादव के कुनबे में बिखराव शुरू हो गया था। इस टकराव का नजीता ये हुआ कि शिवपाल को सपा छोडऩी पड़ी और उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली। लोकसभा चुनावों 2019 में शिवपाल ने भतीजे और भाई के खिलाफ ताल ठोंका था। शिवपाल की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। शिवपाल सिंह यादव खुद फिरोजाबाद से लोकसभा का चुनाव हार गए थे।

निशाने पर शिवपाल की विधायकी

समाजवादी पार्टी की आंतरिक कलह के बाद अब निशाने पर शिवपाल यादव की विधायकी है। सपा की ओर से विधानसभा में दलनेता रामगोविंद चौधरी ने दलबदल कानून के तहत शिवपाल यादव की सदस्यता को समाप्त करने की मांग की है। विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में चौधरी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियमावली 1987 के नियम 7 के अंतर्गत शिवपाल सिंह यादव के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गयी है।

नितिन अग्रवाल के मामले में राह जुदा

अहम बात यह है कि समाजवादी पार्टी ने दूसरे बागी सदस्य नितिन अग्रवाल की सदस्यता खत्म करने की मांग नहीं की गयी जबकि नितिन अपने पिता नरेश अग्रवाल के साथ भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर चुके है।

फिर जोर पकड़ेगी परिवार की कलह

उपचुनाव से पूर्व शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त करने की याचिका से यादव परिवार की कलह फिर से जोर पकड़ेगी और आरोप प्रत्यारोप भी तेज होगा। अलग अपना दल (प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया) का गठन करने के बावजूद सपा अभी शिवपाल पर दलबदल की कार्रवाई करने से कतरा रही थी जबकि दोनों की बीच तनातनी में कोई कमी नहीं थी। इसके चलते दोनों ओर आंदोलनों को लेकर शक्ति प्रदर्शन जैसे हालात बने हुए थे। दोनों ओर से एक दूजे पर हमले करने का कोई मौका नहीं गवांते थे।

गत नौ अगस्त को समाजवादी पार्टी के तहसीलों पर प्रदर्शन से एक दिन पहले शिवपाल समर्थकों ने आठ अगस्त को लखनऊ में भारी भीड़ जुटाकर अपनी अलग उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की थी। इसी क्रम में एक अक्टूबर को सपा ने प्रदेश व्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया गया तो जवाब में शिवपाल के समर्थक 18 सितंबर को आंदोलन का ऐलान कर चुके है। अब प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल ने आजम को लेकर समाजवादी पार्टी को घेरने की कोशिश की है। 

नोटिस जारी होगा  

दलबदल कानून के तहत शिवपाल की सदस्यता खत्म होना तय है। प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे का कहना है कि इस बारे में नोटिस जारी करके आगे सुनवाई होगी। उधर विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की याचिका पर शिवपाल यादव की ओर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.