गठबंधन का एलान होते ही सपा-बसपा कार्यकर्ताओं में दिखी करीबी, रैली कर दिखाएंगे ताकत
सपा-बसपा गठबंधन के हिस्से में सीटें तय हो गई हैं लेकिन, यह तय होना बाकी है कि किस सीट पर कौन लड़ेगा। इसके साथ ही गठबंधन ने माहौल बनाने के लिए भी जमीनी तैयारी शुरू कर दी है।
लखनऊ, जेएनएन। सपा-बसपा गठबंधन के हिस्से में सीटें तय हो गई हैं लेकिन, यह तय होना बाकी है कि किस सीट पर कौन लड़ेगा। इसके साथ ही गठबंधन ने माहौल बनाने के लिए भी जमीनी तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही राजधानी या किसी अन्य जिले में गठबंधन एक बड़ी रैली करके अपनी ताकत दिखाएगा। इस बीच सपा-बसपा कार्यकर्ताओं के बीच भाईचारा और आपसी समरसता के लिए दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व का फरमान जारी हो गया है। वर्ष 1993 में सपा-बसपा गठबंधन के बाद बेगम हजरत महल पार्क में मुलायम सिंह यादव और कांशीराम की संयुक्त रैली हुई थी। तब उस रैली के जरिये गठबंधन ने अपनी हैसियत दिखाई थी।
शनिवार को लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का एलान होने के बाद से ही विधानसभा, लोकसभा और जिले स्तर पर सपा और बसपा कार्यकर्ताओं के बीच मेल-मुलाकात शुरू हो गई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तो कांफ्रेंस में भी सीधे कह दिया कि मायावती का सम्मान मेरा सम्मान है। सपा के प्रदेश पदाधिकारियों और बड़े नेताओं ने नीचे तक यह संदेश प्रसारित किया है। दोनों दलों की जिले स्तर पर बैठकें भी शुरू हो जाएंगी।
दरअसल, दोनों दलों का इस बात पर जोर है कि एक-दूसरे का परंपरागत वोट ठीक से ट्रांसफर हो और कहीं कोई संदेह न रह जाए। सीटों के बंटवारे में भी दोनों दल एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखेंगे। ध्यान रहे कि गोरखपुर-फूलपुर उप चुनाव के बाद से ही बसपा और सपा नेताओं के बीच निकटता बढऩे लगी थी। विधान मंडल सत्र में बसपा और सपा के सदस्य एक दूसरे की मदद में खुलकर सक्रिय दिखे। अब निचले स्तर तक यह भाव पैदा करने में दोनों दल सक्रिय हो गये हैं।