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Sonbhadra massacre जमीन विवाद से जुड़ी अहम फाइलें गायब, अब FIR दर्ज करने की तैयारी

अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित एसआइटी ने जब सोनभद्र जमीन विवाद से जुड़ी अहम फाइलें मांगी तो फाइलें वन विभाग से नहीं मिलीं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 11:48 AM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 11:49 AM (IST)
Sonbhadra massacre जमीन विवाद से जुड़ी अहम फाइलें गायब, अब FIR दर्ज करने की तैयारी
Sonbhadra massacre जमीन विवाद से जुड़ी अहम फाइलें गायब, अब FIR दर्ज करने की तैयारी

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश सरकार को बैकफुट पर लाने वाले सोनभद्र नरसंहार की जांच कर रही एसआइटी को तगड़ा झटका लगा है। अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित एसआइटी ने जब सोनभद्र जमीन विवाद से जुड़ी अहम फाइलें मांगी तो फाइलें वन विभाग से नहीं मिलीं। अब इस मामले में मुकदमा दर्ज करने की तैयारी हो रही है।

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सोनभद्र नरसंहार के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सोनभद्र में राजनेताओं, अधिकारियों और दबंगों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर वन विभाग की भूमि कब्जाने की शिकायत की गई थी। जमीन विवाद में सोनभद्र नरसंहार से जुड़ी कई महत्वपूर्ण फाइलें वन विभाग के कार्यालय से गायब हो गई हैं। इसके बाद से शासन में बड़ी खलबली मची है। सोनभद्र नरसंहार की जांच कर रही एसआइटी के कई बार फाइलें मागें जाने पर भी नहीं मिलीं तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी दी गई। शनिवार को छुट्टी होने के बावजूद दिन भर रिकॉर्ड खंगाला गया, लेकिन संबंधित फाइलें नहीं मिलीं। संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए दो-तीन दिन का समय और मांगा है। इसके बाद फाइलें न मिलने पर उच्च स्तर से आगे की कार्यवाही का निर्णय ले लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सोनभद्र में राजनेताओं, अधिकारियों व दबंगों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर वन विभाग की जमीन कब्जाने की शिकायत की गई थी। इसमें बसपा शासन में जेपी ग्रुप को अवैध रूप से एक हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन देने के मामले का भी जिक्र किया गया था। एक हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन जेपी ग्रुप को देने सबंधी फाइलें भी गायब हैं।

जांच में सामने आया मामला

जमीन विवाद में सोनभद्र नरसंहार के बाद सोनभद्र व मिर्जापुर में कृषि सहकारी समितियों के नाम दर्ज जमीन और लाख हेक्टेयर से ज्यादा वन भूमि पर अवैध कब्जों की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी ने हाल ही में जांच शुरू की है। इसी दौरान फाइलें गायब होने का मामला भी सामने आ गया।

अब सीएम आफिस ने मांगी रिपोर्ट

सोनभद्र में जमीन विवाद के मामले में सीएम आफिस ने वन विभाग से पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी। इस रिपोर्ट पर जवाब तैयार करने के लिए फाइलें खंगाली गईं तो जो स्थिति सामने आई उससे अधिकारी भी हैरान रह गए. संबंधित कई महत्वपूर्ण फाइलें शासन के पास हैं ही नहीं। इन्हें वन मुख्यालय से शासन को भेजा गया था। इसमें तो सबसे चौंकाने वाली बात जेपी ग्रुप को जमीन देने से संबंधित फाइलों का न मिलना है। जेपी ग्रुप को जिन दस्तावेजों के आधार पर जमीन दी गई थी, उस पर वन विभाग के कई अधिकारियों ने साइन करने से इंकार कर दिया था।

एनजीटी ने भी की थी सख्ती

सोनभद्र में जमीन विवाद का मामला सामने आने के बाद में एनजीटी की सख्ती के बाद प्रदेश सरकार को कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर जेपी ग्रुप से जमीन वापस लेनी पड़ी थी। शिकायत में यह भी कहा गया है कि जेपी ग्रुप को जमीन देने का अवैध निर्णय लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इतना ही नहीं इनमें से कुछेक अधिकारी सजा पाने के बजाय वर्तमान में वन विभाग में उच्च पद पर आसीन हैं। इस शिकायत के साथ वन विभाग के पूर्व मुख्य वन संरक्षक एके जैन की रिपोर्ट भी लगाई गई है, जिसमें एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा वन भूमि को खुर्द-बुर्द करने के सुबूत दिए गए थे। शासन के अधिकारियों ने जैन की रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बजाय इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।

जवाब तैयार करने के लिए फाइलें खंगाली गईं तो जो स्थिति सामने आई, उससे अधिकारी भी हैरान रह गए। संबंधित कई महत्वपूर्ण फाइलें शासन में नहीं हैं, जबकि इन्हें वन मुख्यालय से शासन को भेजा गया था।

गौरतलब है कि सोनभद्र के घोरावल थानाक्षेत्र के उम्भा-सपही गांव में 17 जुलाई को नरसंहार हुआ था। सौ बीघा विवादित जमीन को लेकर यहां गुर्जर और गोड़ बिरादरी में खूनी संघर्ष हो गया था। इस दौरान फायरिंग के साथ लाठी-डंडे और फावड़े भी चले। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई। 28 लोग घायल हो गए थे। इसके बाद जिले में धारा 144 लागू कर दी गई। 


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