सोनम हत्याकांड: यूं धुलने वाला नहीं खाकी और डॉक्टरों के दामन पर लगा ये दाग...
लखीमपुर में सोनम हत्याकांड में दागदार हुए थे पुलिस से लेकर डॉक्टरों के दामन। घटना से उबरे पुराने दर्द।
लखीमपुर, जेएनएन। नौ साल पहले जिस दाग ने कानून के रखवालों को दागदार किया वह आसानी से धुलने वाला नहीं। ये मुंकिन तक होता जब सोनम के कातिल पुलिस वाले खुद को तब ही कानून के हवाले कर देते लेकिन वह तो इस मासूम बच्ची के खून से सने अपने हाथों को पाक-साफ करने की हर मुंकिन कोशिश आखिरी दम तक करते रहे।
इस वारदात की तह में जाने पर पता चलता है कि 11 जून की देरशाम सोनम अपने घर नहीं पहुंची तो घरवाले उसकी तलाश में जुट गए। इधर पुलिस वालों ने उसकी लाश को पहले थाना परिसर से बाहर फेंकने की कोशिश की लेकिन ऐनवक्त उनका इरादा बदला तो उन्होंने थाने के ही एक पेड़ की डाल उसके ही कपड़ों से उसे आत्महत्या किए जाने का फिल्मी सीन तैयार कर दिया। पुलिस वालों की करतूत यहीं पर खत्म नहीं हुई। अगले दिन जब उसका पोस्टमार्टम जिला अस्पताल के तीन डॉक्टरों के पैनल ने किया तो उसे भी पुलिस वालों ने अपने ही इशारों पर नचा दिया और सोनम की मौत को फांसी लगाने से करार दिया गया। तत्कालीन एसपी डीके राय भी अपने ही जवानों को बचाने में जुट गए। हालांकि राजधानी लखनऊ-दिल्ली तक जब सोनम कांड की गूंज हुई तो एसपी साहब भी सस्पेंड किए गए। तब भी पुलिस वालों का खेल बंद नहीं हुआ। वारदात का मास्टमाइंड सिपाही अतीक खुद को बचाने के लिए कई खेल खेलता रहा और उसके खासम खास सीओ साहब उसे बचाने के लिए साक्ष्यों को मिटाने का खेल करते रहे। लेकिन सीबीआई की पड़ताल पर किसी का भी जोर नहीं चला। कुल मिलाकर जितनी होशियारी पुलिस ने इस कांड से खुद को बचाने के लिए दिखाई अब उतना ही ज्यादा वक्त दागदार खाकी को मित्र पुलिस बनने में लगेगा।
राहुल, राजनाथ, उमा समेत कई दिग्गज थे पहुंचे
जिले के बहुचर्चित सोनम हत्याकांड के बाद जिले में सियासी भूचाल आ गया था। बसपा सरकार ये मानने को तैयार नहीं कि उसके प्रशासन ने कुछ गलत किया, लेकिन पूरा विपक्ष होकर इस हत्याकांड में सरकार पर निशाना साध रहा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह, उमा भारती, भाकपा माले की प्रदेश नेत्री कृष्णाणिकारी समेत तमाम राजनैतिक दल इस मामले को लेकर निघासन पहुंचे थे। विधानसभा से लेकर लोकसभा तक ये मामला खूब चर्चा में रहा।
डॉक्टरों ने पार की थी संवेदना की हद
जिले के बहुचर्चित सोनम हत्याकांड में खीरी जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने संवेदनशीलता की हद पार कर दी थी। ये कहना है सोनम हत्याकांड में पैरवी करने वाले उनके वकील सीपी अग्निहोत्री का। वरिष्ठ अधिवक्ता अग्निहोत्री कहते हैं कि दोबारा आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लखीमपुर के डाक्टरों की पीएम रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा साबित हुई। जिसकी बिनाह पर सभी आरोपितों की जमानतें यहां से खारिज हुईं। सीओ व उनके गनर को दोषी पाए जाने से गदगद अग्निहोत्री कहते हैं कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन परास्त नहीं।
पोस्टमार्टम करने वाले धरती के भगवान भी पा चुके सजा
लखीमपुर के चर्चित सोनम हत्याकांड में मृतिका सोनम की पीएम रिपोर्ट में हेराफेरी व गलत रिपोर्ट देने के मामले में आरोप सिद्ध हो जाने पर सीजेएम सुनील प्रसाद ने पीएम करने वाले तीनो डॉक्टरों को तीन-तीन साल के कारावास व दस दस हजार रुपया जुर्माना की सजा सुनाई थी।
सोनम के शव का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों की टीम डॉ एसपी सिंह, डॉ अजय अग्रवाल व डॉ अरुण शर्मा की टीम ने किया था और मृतका के पीएम रिपोर्ट में मृतिका के गाल पर चोट के निशान दो निशान व मौत का कारण फांसी पर लटकने से होना बताया गया था। घटना चर्चा में आने के बाद सामाजिक व राजनैतिक संगठन ने सड़को पर उतर कर विरोध जताया था और पीएम रिपोर्ट के भी संतुष्ट नही थे तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश व शासन के पत्र पर 13 जून 2011को चार डॉक्टरों के पैनल लखनऊ के बलराम अस्पताल के डॉ प्रमोद कुमार,श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल के डॉ आर पी सिंह, आरएमसी अस्पताल के डॉक्टर ए एस चंदेल व वीरानगी अस्पताल की डॉक्टर सुशील पन्त ने सोनम का दुबारा पीएम किया और अपनी पीएम रिपोर्ट में हायड बोन का फिकचर होना व मौत का कारण गला घोंटकर मारना बताया गया। दोनोंं पीएम रिपोर्टों में भिन्नता होने के कारण दोनों पीएम रिपोर्टों को राज्य विधि विशेषज्ञ के पास भेज दी गयी चार जुलाई 2011 को। विशेषज्ञ की रिपोर्ट में पहले पीएम में आरोपितों को लाभ पहुचाने के उद्देश्य से पीएम रिपोर्ट में हेराफेरी व गलत रिपोर्ट दिए जाने का मामला पाया गया अपराध पाए जाने पर अनुसंधान शाखा के इंस्पेक्टर हरपाल ङ्क्षसह की तहरीर पर पहला पीएम करने वाले तीनो डॉ एसपी सिंह डॉक्टर अजय अग्रवाल, डॉ अरुण शर्मा के खिलाफ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई तीनों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल हुए। मुकदमा सीजेएम की अदालत में परीक्षण किया गया।
अभियोजन पक्ष की ओर से मुकदमा पैरवी करते हुए अभियोजन अधिकारी एसपी यादव ने मुकदमे के समर्थन में वादी हरपाल सिंह, डॉ प्रमोद कुमार, डॉ सुशील पन्त, तत्कालीन एसपी सीतापुर शिव सिंह, सेवानिवर्ती सीएमओ जे पी भार्गव को गवाही में पेश किया आरोप सिद्ध हो जाने पर सीजेएम सुनील प्रसाद ने तीनों आरोपितों डॉ एसपी सिंह, डॉ अजय अग्रवाल डॉ अरुण शर्मा को तीन तीन साल की सजा व दस दस हजार जुर्माने की सजा सुनाई थी।