UP News: कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना अब नहीं बेच सकेंगे सोसाइटी की अचल संपत्ति, एक्ट में किया गया संशोधन
Society Registration Act सोसाइटी की कार्यप्रणाली से जुड़ी कई विसंगतियों को दूर करने के लिए राज्य सरकार पिछले साल विधेयक लाई थी। राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी देने के बाद राज्य सरकार ने सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम 2021 को 18 जुलाई को गजट में अधिसूचित कर दिया है।
UP Latest News: लखनऊ [राजीव दीक्षित]। सोसाइटी में निहित अचल संपत्ति को अब सक्षम न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना बेचा या बंधक नहीं रखा जा सकेगा। न ही उसे लीज पर या दान में दिया जा सकेगा और न ही किसी को ट्रांसफर किया जा सकेगा।
सोसाइटी की कार्यप्रणाली से जुड़ी कई विसंगतियों को दूर करने के लिए राज्य सरकार पिछले साल विधेयक लाई थी। सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 में संशोधन के लिए सरकार ने पिछले साल मार्च में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 को विधानमंडल से पारित कराया था।
चूंकि सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम एक केंद्रीय अधिनियम है, इसलिए विधानमंडल से पारित विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति की ओर से बीती सात जुलाई को विधेयक को मंजूरी देने के बाद राज्य सरकार ने सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2021 को 18 जुलाई को गजट में अधिसूचित कर दिया है।
संशोधित अधिनियम में प्राविधान है कि सोसाइटी के पंजीकरण, उसके सदस्यों की सदस्यता के निर्धारण और चुनाव संबंधी विवादों में सहायक या डिप्टी रजिस्ट्रार या एसडीएम की ओर से पारित आदेश के विरुद्ध संबंधित मंडलायुक्त के समक्ष एक माह के अंदर अपील दाखिल की जा सकेगी।
पहले यह प्राविधान न होने के कारण रजिस्ट्रार या विहित प्राधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता था। इसमें समय ज्यादा लगता था और यह खर्चीला भी था।
संशोधित अधिनियम में यह भी व्यवस्था की गई है कि किसी सोसाइटी की साधारण सभा के सदस्यों की सूची में किसी सदस्य का नाम जोड़ने, हटाने या त्यागपत्र देने या मृत्यु होने के कारण यदि कोई बदलाव होता है तो ऐसे परिवर्तन की तारीख से एक माह के भीतर साधारण सभा के सदस्यों की परिवर्तित सूची रजिस्ट्रार के पास दाखिल की जाएगी। साधारण सभा की सूची में कोई परिवर्तन तब तक विधिमान्य नहीं होगा जब तक कि उसका अनुमोदन प्रबंध निकाय न कर दे।
सोसाइटी में अयोग्य और अवांछित व्यक्तियों के प्रतिनिधित्व को समाप्त करने की जरूरत भी लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इसलिए संशोधित अधिनियम में यह प्राविधान किया गया है कि ऐसा कोई व्यक्ति जो दिवालिया हो या किसी सोसाइटी/निगमित निकाय के गठन, प्रोन्नति, प्रबंधन या कार्यकलापों के संचालन से संबंधित किसी अपराध या नैतिक अधमता से जुड़े किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया गया है या जिसे न्यायालय ने किसी अपराध के लिए दो वर्ष या अधिक का दंड दिया हो तो वह निर्णय की तारीख से शासी निकाय का सदस्य या सोसाइटी का अध्यक्ष, सचिव या किसी अन्य पदधारक के रूप में चुने जाने के लिए अयोग्य होगा।