तो क्या रामपुर की जीत ने साबित किया मुस्लिमों के लिए अछूती नहीं रही भाजपा!
भाजपा ने यह साबित कर दिया है कि मुसलमानों के लिए वह अछूत नहीं रही। रामपुर को अपना बनाकर भाजपा सबका साथ सबका विकास सबका प्रयास और सबका विश्वास के अपने सूत्र वाक्य को चरितार्थ करने का संदेश देने में भी सफल रही है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो : भारतीय जनता पार्टी ने रामपुर विधानसभा सीट पर पहली बार अपना परचम लहरा कर समाजवादी पार्टी के साथ ही उसके दिग्गज सिपहसालार आजम खां को तगड़ा झटका दिया है। मुस्लिम बहुल रामपुर सीट की जीत भाजपा के लिए खास मायने रखती है। इस सीट पर विजय हासिल कर भाजपा ने यह साबित कर दिया है कि मुसलमानों के लिए वह अछूत नहीं रही। रामपुर को अपना बनाकर भाजपा सबका साथ सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास के अपने सूत्र वाक्य को चरितार्थ करने का संदेश देने में भी सफल रही है।
रामपुर में सपा के दिग्गज नेता आजम खां के धुर विरोधी आकाश सक्सेना पर उपचुनाव में फिर भरोसा जताने का भाजपा का प्रयोग यदि सफल रहा तो इसके लिए पार्टी ने जहर को जहर से काटने का तरीका अपनाया। रामपुर में आजम की ज्यादतियों के विरोध का प्रतीक बने आकाश को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने तुनकमिजाज सपा नेता के विरोधियों को लामबंद किया। इसके साथ ही मुस्लिमों के बीच 80 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों के बीच बैठ बनाने की सुनियोजित रणनीति अपनाई जिसका असर रामपुर में मिली जीत के रूप में दिखा।
मुस्लिमों के बीच बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले पसमांदा मुसलमानों की ओर हाथ बढ़ाकर उन्हें अपने पाले में लाने के लिए भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने लखनऊ और रामपुर में जलसे आयोजित किये। इन जलसों में पसमांदा मुसलमानों की विभिन्न जातियों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में शामिल हुए।
रामपुर के सियासी संग्राम में कांग्रेस भले ही न मैदान में रही हो लेकिन आजम के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बने उपचुनाव में भाजपा को रामपुर के नवाब खानदान के वारिस काजिम अली खान का साथ भी मिला। आजम के कट्टर सियासी विरोधी रहे काजिम अली खान रामपुर के उस नूरमहल के अध्यासी हैं जो कभी रूहेलखंड में कांग्रेस की गतिविधियों का केंद्र रहा था। यह बात और है कि भाजपा का साथ देने पर उन्हें कांग्रेस की सदस्यता गंवानी पड़ी।