धूमपान से शरीर में पड़ते हैं 65 तरह के कुप्रभाव
- तम्बाकू मुक्त लखनऊ अभियान के तहत कार्यशाला का आयोजन - अभियान से जुड़ लिया शहर को त
- तम्बाकू मुक्त लखनऊ अभियान के तहत कार्यशाला का आयोजन
- अभियान से जुड़ लिया शहर को तम्बाकू मुक्त बनाने का संकल्प
- नगर निगम द्वारा शहर में वेंडर लाइसेंसिंग को लागू करने की मांग
जागरण संवाददाता, लखनऊ : धूमपान से शरीर में 65 तरह के कुप्रभाव पड़ते हैं, जिसमें 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य तरह की बीमारियां होती हैं। इसमें सबसे खतरनाक फेफड़े का कैंसर है, जिसके लिए सीधे तौर पर धूमपान जिम्मेदार है। धूमपान से 30 प्रतिशत धुआं फेफड़ों में जाता है, वहीं 70 प्रतिशत बाहर रह जाता है। जो कि न जाने कितने लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है और वातावरण को भी प्रदूषित करता है। यह बातें केजीएमयू के पल्मोनरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ. सूर्यकांत ने कही।
वह बुधवार को विनोबा सेवा आश्रम की ओर से लखनऊ को तम्बाकू मुक्त बनाने में सिविल सोसाइटी संगठन की भूमिका विषय पर कार्यशाला में बोल रहे थे। तम्बाकू मुक्त लखनऊ अभियान के तहत विधान सभा मार्ग स्थित एक होटल में आयोजित सेमिनार में प्रो. सूर्यकांत ने कहा कि तम्बाकू हमारे देश में 400 साल पहले आया था। आज तम्बाकू लोगों की लत बन चुकी है। 15 से 25 वर्ष के बीच उम्र के युवा इसकी गिरफ्त में हैं। यहीं कारण हैं कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 10 शहर हमारे देश के हैं। इसमें नई दिल्ली और लखनऊ शामिल हैं। कैम्पेन फॉर टोबैको फ्री किड्स नई दिल्ली के नरेंद्र कुमार ने लखनऊ को तम्बाकू मुक्त शहर बनाने पर जोर दिया। कहा कि राज्य तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के साथ मिलकर सेवा आश्रम की ओर से चलाए जा रहे अभियान को पूरा किया जा सकता है, इसलिए लखनऊ को चुना गया। राज्य तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. आलोक कुमार ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को नशे की आदत से छुटकारा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। स्कूलों व विद्यालयो में अभियान चलाकर जागरुक किया जा रहा है। प्रकोष्ठ के सलाहकार सतीश त्रिपाठी ने कहा कि तम्बाकू उत्पाद बिक्री नियामक नीति के साथ ही उन उत्पादों की उपलब्धता युवाओं तक नहीं होनी चाहिए। युवाओं तक तम्बाकू उत्पादों की उपलब्धता को रोकने के लिए नगर निगम द्वारा वेंडर लाइसेंसिंग को लागू करना होगा। एनएचएम के टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम के उप महानिदेशक डॉ. एबी सिंह ने लखनऊ को तम्बाकू मुक्त करने में हर तरह से सहयोग कर भरोसा जताया। कार्यशाला में शामिल राज्य ग्राम्य विकास संस्थान के पूर्व अपर निदेशक डॉ. ललित मोहन जोशी व सिफ्सा के महाप्रबंधक (ट्रेनिंग) संजय सेनगुप्ता सहित कई सामाजिक संस्था के पदाधिकारियों ने शिरकत कर अभियान से जुड़ने का संकल्प लिया।