स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद में वित्तीय अनियमितता का आरोप, उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में दायर की याचिका
उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए नियामक आयोग में याचिका दायर की है। परिषद ने खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है, जिससे वित्तीय नुकसान हुआ है। उन्होंने आयोग से जांच और कार्रवाई की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दर में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता किए जाने का दावा किया है। इस दावे के आधार पर परिषद ने नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव (याचिका) दायर किया है। जिसके माध्यम से उपभोक्ताओं से लिए जा रहे प्रीपेड स्मार्ट मीटर की कीमत की उच्चस्तरीय जांच या सीबीआइ से जांच कराने की मांग की है।
परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने सोमवार को नियामक आयोग में दायर याचिका में दावा किया है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की वास्तविक लागत 2,630 से 2,825 रुपये तक है, जबकि उपभोक्ताओं से 6016 रुपये वसूले जा रहे हैं।
दावा किया है कि परिषद को मिले आधिकारिक इनवायस में इस बात का जिक्र है कि टेंडर पाने वाली कंपनी इन टैली स्मार्ट जो पश्चिमांचल व मध्यांचल में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम कर रही है। उसके द्वारा खरीदे गए मीटर की वास्तविक लागत 2630 से 2825 रुपये है। एप्पलटोन व सानायीडर कंपनी से स्मार्ट प्रीपेड मीटर सिंगल फेज खरीदे जा रहे हैं।
पावर कारपोरेशन द्वारा नए कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करके नियामक आयोग से अनुमोदन लिए बिना 6016 रुपये उपभोक्ताओं से लिया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि जब टेंडर हुआ था उसी समय सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दर इन टैली स्मार्ट कंपनी को जो अवार्ड हुई थी वह लगभग 8415 रुपये थी।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की प्रदेश में टेंडर की दर कितनी ऊंची रखी गई थी। प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कुल लागत 18,885 करोड़ रुपये ही केंद्र सरकार से अनुमोदित थी, इसके विपरीत 27,342 करोड़ में टेंडर अवार्ड किया गया।
वास्तविक इनवायस जो इन टैली स्मार्ट कंपनी द्वारा दो स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता कंपनियां को इंटरनल आर्डर किए गए हैं, उसमें एप्पलटोन इंजीनियर्स लि. की सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर 2630 रुपये है।
सानायीडर कंपनी के सिंगल फेस स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत 2825 रुपये हैं। पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग को अवगत कराया है कि प्रति मीटर की लागत 7000 से 9000 रुपये तक आ रही है।
उन्होंने कहा है कि जब मीटर की वास्तविक खरीद धनराशि 2630 से 2825 रुपये है तो उपभोक्ताओं से मीटर के लिए 6016 वसूलना और आयोग को 7000 से 9000 रुपये बताना गंभीर वित्तीय अनियमितता है। यह उपभोक्ताओं का शोषण और सार्वजनिक धन की बर्बादी है।

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