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आय दोगुना करने के लिए प्रस्तावित नई कृषि निर्यात नीति में हाशिए पर लघु व सीमांत किसान

कृषि निर्यात नीति के अंतर्गत निर्यात क्लस्टर बनाए जाएंगे। इसके लिए न्यूनतम 50 हेक्टेयर भूमि अनिवार्य है। ऐसे में लघु व सीमांत किसानों को एफपीओ या एफपीसी में सदस्य बनना जरूरी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 06:07 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 06:14 PM (IST)
आय दोगुना करने के लिए प्रस्तावित नई कृषि निर्यात नीति में हाशिए पर लघु व सीमांत किसान
आय दोगुना करने के लिए प्रस्तावित नई कृषि निर्यात नीति में हाशिए पर लघु व सीमांत किसान

लखनऊ [अवनीश त्यागी]। किसानों की आय दोगुना करने के लिए प्रस्तावित उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति-2019 में लघु व सीमांत किसान फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) व किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के जरिये भागीदारी पा सकेंगे। छोटे किसानों को प्रस्तावित नीति का सीधे लाभ न मिल पाने की आशंका से किसान संगठनों में नाराजगी बढ़ रही है। प्रस्तावित कृषि निर्यात नीति के अंतर्गत निर्यात क्लस्टर बनाए जाएंगे। क्लस्टर स्थापित करने के लिए न्यूनतम 50 हेक्टेयर भूमि होना अनिवार्य है। ऐसे में लघु और सीमांत किसानों को एफपीओ या एफपीसी में सदस्य बनना जरूरी होगा। क्लस्टर कंपनी अधिनियम से संचालित होंगे।

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भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक संख्या लघु व सीमांत किसानों की है। उनको सीधे लाभ दिए बिना कृषि निर्यात नीति का कोई अर्थ नहीं रहेगा। किसानों को सबसे अधिक डर कंपनी अधिनियम के तहत आने से टैक्स बोझा बढ़ने का है। भारतीय किसान आंदोलन के संयोजक कुलदीप कुमार का कहना है कि नई कंपनियां बनाने के बजाय सहकारी समितियों के जरिये ही किसानों की सहभागिता बनाए रखी जाए। इससे दोहरा लाभ होगा। सहकारी समितियों की स्थिति भी सुधर जाएगी और किसानों को अकारण भय भी न रहेगा।

फसल के दाम तय करने का फार्मूला नहीं

कृषि निर्यात नीति में किसानों की फसल का दाम पहले से तय करने की कोई व्यवस्था नहीं है। मिर्च निर्यात कर रहे राजकुमार सिंह का कहना है कि जब तक फसल बोआई से पूर्व उसका लाभकारी मूल्य घोषित नहीं होगा, तब तक किसानों का आकर्षण नहीं बढ़ेगा। उन्होंने फसलों के प्रस्तावित क्लस्टर पर भी सवाल उठाया। उनका कहना है कि कई क्षेत्रों की अनदेखी की गई है।

कृषि उपज के प्रस्तावित क्लस्टर

  • आम : वाराणसी, सहारनपुर, मेरठ, लखनऊ, सीतापुर, उन्नाव, अमरोहा, रामपुर
  • केला : गोरखपुर, कुशीनगर, बहराइच, महाराजगंज, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, बाराबंकी, कौशांबी
  • अमरूद : कौशांबी, प्रयागराज, कानपुर नगर, बदायूं, फर्रुखाबाद
  • आंवला : प्रतापगढ़, कौशांबी, अयोध्या
  • आलू : आगरा, फर्रुखाबाद, कानपुर नगर, कन्नौज, बदायूं, संभल, मथुरा, फीरोजाबाद, अलीगढ़, इटावा, मैनपुरी, शाहजहांपुर, हाथरस
  • सब्जी, हरी मिर्च, हरी मटर : लखनऊ, अयोध्या, वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, मीरजापुर, सोनभद्र चंदौली, कौशांबी, जालौन, कासगंज, बरेली, बाराबंकी, बुलंदशहर, अलीगढ़, बलिया
  • बासमती चावल : सहारनपुर, मेरठ, अलीगढ़, आगरा, बरेली, मुरादाबाद
  • तिल : झांसी हमीरपुर, महोबा, बांदा, जालौन
  • काला नमक चावल : गोरखपुर, मऊ, महाराजगंज, संत कबीरनगर, सिद्धार्थ नगर, गोंडा, बहराइच, देवरिया, बस्ती, कुशीनगर, चंदौली
  • चिकोरी : एटा, कासगंज
  • लहसुन : फीरोजाबाद, एटा, मैनपुरी

पशु व डेयरी उत्पाद

  • दूध, दूध पाउडर, पनीर, घी, मांस : एटा, मथुरा, बुलंदशहर, वाराणसी, गोरखपुर, उन्नाव, अलीगढ़, रामपुर, लखनऊ, मेरठ
  • मछली व मछली उत्पाद : गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया 

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