बरसात में शहर में घातक साबित होंगे चोक नाले, धीमी गति से हो रही सफाई
लखनऊ के इंदिरानगर में नालों की सफाई को कागजों में ही दिखा दिया गया। 10 करोड़ रुपये से होने वाली नाला सफाई में दागी ठेकेदारों को ही दे दी गई जिम्मेदारी।
लखनऊ, जेएनएन। मानसून जिस तेजी से लखनऊ में आने को बेकरार है, उतनी तेजी से नालों की सफाई नहीं हो पा रही है। अभियंता से लेकर ठेकदार भी नाला सफाई में अधिक मुनाफा तलाश रहे हैं। शहर में नालों की सफाई की हकीकत उसमें ऊपर तक जमी गंदगी ही बता रही है।
नालों की तली झाड़ सफाई के बजाय ठेकेदार ऊपर से ही गंदगी को हटा रहे हैं। ऐसे में बारिश का पानी तेज बहाव न पाकर सड़कों को जलमग्न कर देगा। करीब दस करोड़ रुपये से होने वाली नाला सफाई में वही ठेकेदारों के चेहरे दिखाई देते हैं, जो पहले भी दागी साबित हो चुके हैं। नाला सफाई की हकीकत महापौर संयुक्ता भाटिया की रिपोर्ट से ही देखने को मिलती है।
इंदिरानगर क्षेत्र में नाले की सफाई को कागजों पर दिखा दिया गया था, लेकिन मंगलवार को महापौर ने नाले में देखा तो वह गंदगी से पटा मिला। लिहाजा नाले की फिर से सफाई कराने के निर्देश दिए गए। यह नाला द्वारिकापुरी फैमिली बाजार के पास निॢमत नाले के पास महापौर ने अपनी गाड़ी रुकवाई तो वहां नाले में गंदगी देखकर जोनल अधिकारी को फटकार लगाई। इसी तरह किला मोहम्मदी नाले की सफाई भी अधूरी है। पहली बारिश में तो आलमबाग की दुकानों में पानी जाने से महापौर संयुक्ता भाटिया को मौके पर पहुंचना पड़ा था।
यहां भी बुरा हाल
सआदतगंज यासीनगंज से करीमगंज को जाने वाला नाला व हसनगंज बावली से लकड़मंडी, राजाजीपुरम सी ब्लॉक एमआइएस चौराहा से सपना कॉलोनी व जलसंस्थान कार्यालय से मिनी एलआइजी, गोल चौराहा दूरसंचार कॉलोनी सहित नालों की सफाई नहीं हो सकी है।
जलभराव का बड़ा केंद्र बनने वाले आलमबाग क्षेत्र के नाले भी गंदे पड़े हैं। यहां पवन पुरी समेत कई इलाकों में दो से तीन दिनों तक पानी सड़कों पर भरा रहता है और लोगों ने तो अब घर के बाहर एक छोटी दीवार तक बना रखी है लेकिन नगर निगम की तरफ से बेहतर जलनिकासी की योजना नहीं बन सकी।
जानकीपुरम के सभी इलाकों में भी बारिश के साथ ही लोग घरों में कैद हो जाते हैं। यहां एलडीए की तरफ से बनाए गए नाले तकनीकी खामियों के कारण पानी का बहाव नहीं कर पाते हैं। सेक्टर एच में तो कई कई दिनों तक पानी सड़कों पर भरा रहता है।
गोमतीनगर में तो एक ही ठेकेदार ने परिवार के नाम से तीन फर्म बना रखी है और नालों की सफाई का काम ले रखा है। कुछ नाले साफ किए और गंदगी वहीं छोड़ दी थी, जो बीते दिनों हुई बारिश में बहकर फिर नाले में चली गई। अब ठेकेदार साफ नाले की फोटो दिखाकर भुगतान करा लेगा। गोमतीनगर जनकल्याण समिति के महासचिव रघुवेंद्र शुक्ला और सचिव रूप चंद्र शर्मा कहते हैं कि जब ठेकेदार ने मलबा नहीं हटाया तो उन लोगों ने खुद से शेष मलबा को हटाया।
- बड़े नाले 534 कुल लंबाई 352.61 किलोमीटर बजट 859.86 करोड़
- कुल छोटे नाले 1092 बजट 70 लाख
- मशीन से साफ होने वाले नाले 83
- बजट 70 लाख
वहीं नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि नालों की नियमित सफाई हो रही है। लॉकडाउन के कारण थोड़ी देर हो गई थी। लेबर भी नहीं मिल रहे थे। कोशिश होगी कि मानसून आने से पहले नालों की सफाई हो जाए।