आजम खां को सरकारी शोध संस्थान देने की एसआइटी जांच, आठ बिंदुओं की सूचना मांगी
मौलाना मोहम्मद अली जौहर शोध संस्थान आजम खां के निजी जौहर ट्रस्ट को देने के मामले की जांच विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने शुरू कर दी है।
लखनऊ (जेएनएन)। मौलाना मोहम्मद अली जौहर शोध संस्थान, रामपुर को आजम खां के निजी जौहर ट्रस्ट को देने के मामले की जांच विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने शुरू कर दी है। एसआइटी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से आठ बिंदुओं की सूचना मांगी है। वहीं, विभाग ने एसआइटी की मदद के लिए संयुक्त निदेशक स्तर के अफसर को भी नामित कर दिया है।
इन बिंदुओं की मांगी सूचना
1-मौलाना अली जौहर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान के गठन से संबंधित आदेश की प्रमाणित प्रतियां।
2-संस्थान के कार्य के लिए निर्धारित प्रक्रिया एवं उद्देश्य।
3-संस्थान के कार्य संपादन के लिए नियुक्त कर्मचारी व अधिकारी के नाम व नंबर।
4-संस्थान को जौहर अली ट्रस्ट को लीज पर देने संबंधी समस्त आदेश एवं इससे जुड़ी समस्त पत्रावलियां।
5-सभी कार्यवाही संपादित करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम व फोन नंबर।
6-संदर्भित प्रकरण से संबंधित अन्य सभी प्रकार के अभिलेखों की प्रतियां।
7-शोध संस्थान में वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों व कर्मियों के नाम व नंबर।
8-इस मामले में यदि पहले कोई जांच हुई है तो उसकी जांच आख्या।
कई बार नियमों को बदला गया
दरअसल, अखिलेश सरकार के समय उनके कद्दावर मंत्री मो. आजम खां ने अपने विभाग का सरकारी शोध संस्थान अपने निजी ट्रस्ट में लीज पर ले लिया था। इसके लिए कई बार नियमों को भी बदला गया। यहां तक की शोध संस्थान के उद्देश्यों को भी सपा सरकार ने बदल दिया था। जेल की जमीन लेकर करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से बने इस शोध संस्थान को आजम खां ने एक हजार रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से 99 साल की लीज पर ले लिया था।
एसआइटी जांच की संस्तुति
भाजपा सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने जब इसकी पत्रावलियां देखीं तो वे चौंक गए। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले की एसआइटी जांच की संस्तुति कराई। इसके बाद अब यह जांच शुरू हो गई है। एसआइटी ने विभाग से इससे जुड़ी पत्रावलियां तलब की हैं। विभाग ने संयुक्त निदेशक राघवेन्द्र प्रताप सिंह को एसआइटी की मदद के लिए नामित किया है। उन्हें इसलिए लगाया गया क्योंकि जिस समय यह शोध संस्थान आजम खां के ट्रस्ट को दिया गया उस समय वे रामपुर में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात थे। वह इस केस की बारीकियां भी जानते हैं।