Sonbhadra Massacre Case : उभ्भा कांड में SIT ने तैयार की 10 से अधिक आरोपितों के विरुद्ध चार्जशीट
सोनभद्र के उभ्भा में जिस ग्राम समाज की जमीन पर कब्जे को लेकर 11 बेकसूर लोगों को खून बहा था अब उस मामले में कई अधिकारियों व निजी सोसाइटी के संचालकों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। एसआइटी ने सरकारी जमीन को लेकर हुए खेल की जांच पूरी कर ली है।
लखनऊ, जेएनएन। सोनभद्र के उभ्भा में जिस ग्राम समाज की जमीन पर कब्जे को लेकर 11 बेकसूर लोगों को खून बहा था, अब उस मामले में तत्कालीन कई अधिकारियों व निजी सोसाइटी के संचालकों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। विशेष जांच दल (एसआइटी) ने उभ्भा में सरकारी जमीन को लेकर हुए खेल की जांच पूरी कर ली है और 10 से अधिक आरोपितों के विरुद्ध चार्जशीट तैयार कर ली गई है। एसआइटी को अब तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार सिंह (सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी) व तहसीलदार जयचंद सिंह समेत पांच आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति मिलने का इंतजार है। इसके बाद आरोपितों की गिरफ्तारी का सिलसिला भी शुरू होगा।
सोनभद्र नरसंहार कांड के बाद शासन ने सोनभद्र के तत्कालीन डीएम व एसपी को हटा दिया था और पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे। मामले में ग्राम समाज की भूमि को निजी सोसाइटी को दिए जाने के मामले में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 28 नामजद आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर भी दर्ज कराई गई थी। शासन ने इस एफआइआर की विवेचना एसआइटी को सौंपी थी। उभ्भा गांव में करीब 1300 बीघा से अधिक जमीन को गलत ढंग से सोसाइटी के नाम किए जाने का मामला सामने आया था।
पूरे मामले में तत्कालीन उप जिलाधिकारी समेत पुलिस के कई अधिकारियों की भूमिका की जांच की गई थी। वर्ष 1952 में निजी सोसाइटी आदर्श कृषि सहकारी समिति का गठन किया गया था और करीब 1300 बीघा जमीन गलत तरीके से इसी सोसाइटी के नाम आवंटित करा ली गई थी। जांच में यह भी सामने आया है कि तत्कालीन अधिकारियों ने गलत ढंग से जमीन को स्थानांतरित किए जाने के आदेशों को ठीक ढंग से नहीं देखा।
यह है सोनभद्र नरसंहार कांड : सोनभद्र के उभ्भा में 17 जुलाई 2019 को जमीन को लेकर विवाद में 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी। गोली लगने, लाठी, डंडा, गड़ासा चलने और पत्थरबाजी में 25 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे। सुनियोजित तरीके से ग्राम सभा की जमीन हड़प ली गई थी, जिसे लेकर खूनी संघर्ष हुआ था। वर्ष 1989 में ग्राम सभा की जमीन को गलत ढंग से निजी सोसाइटी को दिया गया था। शासन से इस मामले में आठ आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति मांगी गई है जिनमें दो निरीक्षकों व एक उपनिरीक्षक के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति दी जा चुकी है।