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उत्तर प्रदेश सहकारिता विभाग की भर्तियों में जमकर हुई थी धांधली, SIT ने दर्ज किए छह और मुकदमे

UP Cooperative Department Recruitment Scam उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल के दौरान सहकारिता विभाग में हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। वर्ष 2012 से 2017 के मध्य अलग-अलग 2324 पदों पर हुई भर्तियों में गड़बड़ी सामने आई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 10:04 PM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 08:17 AM (IST)
उत्तर प्रदेश सहकारिता विभाग की भर्तियों में जमकर हुई थी धांधली, SIT ने दर्ज किए छह और मुकदमे
यूपी में सपा शासनकाल के दौरान सहकारिता विभाग में हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल के दौरान सहकारिता विभाग में हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। वर्ष 2012 से 2017 के मध्य अलग-अलग 2324 पदों पर हुई भर्तियों में गड़बड़ी सामने आई है। विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने इसके पुख्ता साक्ष्य जुटाने के बाद विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में गड़बड़ी के मामले में उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवामंडल के पूर्व अध्यक्ष रामजतन यादव, उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम के पूर्व अध्यक्ष ओमकार यादव व कंप्यूटर एजेंसी एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के संचालक राम प्रवेश यादव समेत अन्य के विरुद्ध अलग-अलग छह और मुकदमे दर्ज किए हैं।

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इससे पूर्व एसआइटी ने अक्टूबर 2020 में कोआपरेटिव बैंक में सहायक प्रबंधक के पदों पर भर्ती में धांधली के मामले में उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरा लाल यादव व रविकांत सिंह तथा उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव समेत अन्य के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्टूबर, 2020 में उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम में वर्ष 2013 तथा उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में वर्ष 2015-16 में हुई भर्तियों की जांच भी जल्द पूरी करने के निर्देश दिए थे। एसआइटी ने बीते दिनों अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी और अन्य पदों पर हुई भर्तियों में ओएमआर शीट में बड़े स्तर पर गड़बड़ी किए जाने के साक्ष्य मिलने बात कही थी। शासन की अनुमति मिलने के बाद एसआइटी ने अब छह और एफआइआर दर्ज की हैं। इनमें पांच मुकदमों में रामजतन यादव को आरोपित बनाया गया है। इस प्रकरण में अब सेवामंडल के तत्कालीन पदाधिकारियों व सहकारिता विभाग के कई तत्कालीन अधिकारियों की मुश्किलें जल्द बढ़ सकती हैं।

उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम लिमिटेड में उप प्रबंधक समेत अलग-अलग कुल 69 पदों पर हुई भर्ती में गड़बड़ी पाई गई। इस मामले में ओमकार यादव व सेवामंडल के तत्कालीन सचिव भूपेंद्र कुमार समेत अन्य के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की गई है। ऐसे ही यूपी कोआपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (पीसीएफ) में कुल 30 पदों पर हुई भर्ती में धांधली पाई गई है।

प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक में सहायक फील्ड आफिसर व सहायक शाखा आंकिक के पदों पर, उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव यूनियन लिमिटेड, लखनऊ में सहकारी पर्यवेक्षक के पदों पर, जिला सहकारी बैंक में वरिष्ठ शाखा प्रबंधक समेत अन्य पदों पर तथा उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी संघ लिमिटेड में सहायक अभियंता समेत अन्य पदों पर हुई भर्ती में नियमों की अनदेखी कर व ओएमआर शीट में खेल कर भर्तियां की गईं।

इन मामलों में एसआइटी ने रामजतन यादव के अलावा सेवामंडल के तत्कालीन सचिव राकेश कुमार मिश्र, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव, राम प्रवेश यादव व अन्य को आरोपित बनाया है। बताया गया कि अब आगे की जांच में कई अन्य अधिकारियों व सेवामंडल के पदाधिकारियों की भूमिका की भी विस्तार से जांच होगी।

40 विज्ञापनों के जरिए हुई थीं भर्तियां : सपा शासनकाल में वर्ष 2012 से 2017 के मध्य उत्तर प्रदेश सहकारी भूमि विकास बैंक, उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम व उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड में भर्ती के 49 विज्ञापन जारी हुए थे, जिनमें 40 विज्ञापन के तहत भर्ती की प्रक्रिया पूरी की गई थी। प्रबंधक, उप महाप्रबंधक, सहायक प्रबंधक, सहायक शाखा आंकिक, सहायक फील्ड आफिसर, सहायक प्रबंधक (कंप्यूटर), वरिष्ठ शाखा प्रबंधक व लिपिक के 2324 पदों भर्ती हुई थी, जबकि 19 पदों पर किसी का चयन नहीं हुआ था। नौ विज्ञापनों से संबंधित 81 पदों पर भी भर्ती विभिन्न कारणों से नहीं हो सकी थी। भाजपा सरकार ने अलग-अलग पदों पर हुई भर्ती में धांधली की शिकायतों पर पूरे प्रकरण की जांच एसआइटी को सौंपी थी। इनमें एक अप्रैल 2012 से लेकर 31 मार्च 2017 तक सहकारिता विभाग में सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के जरिये की गईं सभी भर्तियों के अलावा कोआपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक के पदों पर की गई नियुक्तियों की जांच शामिल थी।


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