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बहनों ने जवानों की कलाई पर रेशम की डोर से बांधा प्यार

दैनिक जागरण ने सेना के जवानों के साथ मनाया भारत रक्षापर्व। 17 असम रेजीमेंट के जवानों को बहनों ने बांधी राखियां।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 03:15 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 03:32 PM (IST)
बहनों ने जवानों की कलाई पर रेशम की डोर से बांधा प्यार
बहनों ने जवानों की कलाई पर रेशम की डोर से बांधा प्यार

लखनऊ(जागरण संवाददाता)। घर-परिवार से दूर रहकर सरहदों की रक्षा करने वाले भाईयों की कलाइयां बहनों ने भावनाओं की डोर से सजाईं और माथे पर तिलक लगाकर देश की रक्षा का वचन लिया। जवानों ने देशभर की संस्कृति से जुड़े अपने अनुभव साझा किए और बहनों को खूबसूरत तोहफे दिए। मौका था दैनिक जागरण के भारत रक्षा पर्व का। शुक्रवार को छावनी स्थित 17 असम रेजीमेंट के जवानों के साथ रक्षा पर्व मनाया गया। साथ में दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक सदगुरु शरण अवस्थी और महाप्रबंधक जेके द्विवेदी के साथ जागरण पब्लिक स्कूल, नवयुग कन्या महाविद्यालय, सेठ एमआर जयपुरिया और राजकीय कन्या इंटर कॉलेज विकास नगर की छात्राएं भी थीं। सुबह हुई रिमझिम बारिश के बीच शहर के अलग-अलग स्कूलों की छात्राओं और एनसीसी कैडेट रेजीमेंट में जवानों के बीच पहुंचीं। सेना में वर्षो से तैनात ये जवान अपनी कलाइयों पर राखियां सजने की प्रतीक्षा कर रहे थे। हाथ में रोली और चावल से सजी राखियों की थाल लेकर बहनों ने पहले रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल टीटी जमीर को राखी बांधी। इसके बाद अधिकांश पूर्वोत्तर राज्यों से आने वाले जांबाज भाईयों ने भी राखियां बंधवाई। इस रेजीमेंट में खास बात यह है कि पूर्वोत्तर के साथ जम्मू व कश्मीर और ओडिशा सहित कई राज्यों के रहने वाले जवानों का यह संगम है। बहनों ने राखी बांधी और भाईयों को असम रेजीमेंट की पारंपरिक शैली में 'तगड़ा रहो' का आशीर्वाद दिया। तगड़ा रहो का मतलब होता है मजबूत रहो स्वस्थ रहो। बदले में भाईयों ने भी बहनों के लिए ऐसी ही कामना की। कैप्टन आभास चौरसिया के साथ घर से दूर रेजीमेंट के कई अधिकारियों ने भी अपनी कलाइयों पर राखियां बंधवाई। पहली बार मनाया रक्षाबंधन: - ए. कैशी कहते हैं कि मैंने पहली बार राखी बंधवाया है। मैंने बहनों से राखी बंधवाकर उनकी रक्षा का वचन दिया है। देश में कई स्थानों पर रहा, जहां हर साल भाई इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करते हुए मैने देखा है। - अरुण लिंबू कहते हैं कि मैं पिछले आठ साल से सेना की गौरवशाली परंपरा से जुड़ा हुआ हूं। पहली बार राखी बांधने का अनुभव मिला है। बहुत अच्छा लग रहा है। एक रिश्ता जो पवित्र डोर से और मजबूत हो जाता है। बहनों का यह पर्व बहुत मजबूत है। - एचपी सिंघा ने बताया कि पिछले 18 साल के दौरान घर पर राखी के समय रहने का कम ही मौका मिला। घर से दूर यह पर्व अक्सर याद आता है। लेकिन बहनों के स्नेह वाली राखी बांधकर बहुत अच्छी अनुभूति हुई है। - सूबेदार मेजर दिल बहादुर थापा कहते हैं कि यह बहुत अच्छा प्रयास है। देश की बेटियां अपने भाई की सलामती की कामना करती हैं और हम भाई मातृभूमि की रक्षा करते हुए उनकी सलामती के वचन को निभाते हैं। परिवार से दूर रहकर पर्व हम नहीं मना पाते हैं। - आर्ता बंधु नायक के मुताबिक, हम ओडिशा से आते हैं। वैसे तो हमारी यूनिट में देश के सभी राज्यों की संस्कृति का मिलन स्थल है, लेकिन यहां पर आज बहनों के साथ रक्षा बंधन का पर्व मनाकर और भी अच्छा लगा। - बिंद्रा कचारी ने बताया कि मैंने एनसीसी वाली बहनों को यहीं बताया कि आप लोग कठिन परिश्रम कर कैसे देश की सेवा में अपना योगदान दे सकते हो। मैंने उनसे राखियां बंधवाई तो उनको सफलता होने के टिप्स भी दिए। - खेन मुंग का कहना है कि पूर्वोत्तर की संस्कृति में भी रक्षाबंधन का जिक्र हमेशा होता है। हमारे यहां भले ही यह पर्व नहीं मनता लेकिन इसकी भावनाओं को हम हमेशा देखते हैं। बहुत अच्छा लगा पहली बार सूनी कलाई पर किसी बहन ने राखी बांधी।

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गौरवशाली है रेजीमेंट का इतिहास :

17 असम रेजीमेंट का मूल उदय आजादी से पहले 15 जून 1941 को हुआ था। लाइट इंफ्रेंट्री की रेजीमेंट की 22 बटालियन हैं। रेजीमेंट का निक नेम राइनो है। ब्रिटिशकाल में जब जापान की सेना वर्मा तक आ गई थी, तब वहां की रक्षा करने के लिए इस रेजीमेंट का गठन किया गया था। इस रेजीमेंट के जवानों को ¨हदी अधिक नहीं आती है। उनको यूनिट में ¨हदी सिखाया जाता है। बहुत ही सरल स्वभाव के यह जवान जांबाज होते हैं। एक दूसरे को तगड़ा रहो की शुभकामनाएं देते हैं। सन 1947-48 के युद्ध के साथ द्वितीय विश्व युद्ध में भी इस रेजीमेंट ने अहम भूमिका निभायी। सन 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान रेजीमेंट ने छंब सेक्टर में बहादुरी का परचम लहराया था। रेजीमेंट का मुख्यालय शिलांग में है। कल्चरल में भी इस रेजीमेंट ने अपनी अलग पहचान बनायी है। रेजीमेंटल गीत विख्यात है। जबकि 17 असम रेजीमेंट की स्थापना एक सितंबर 2011 को उमरोई मिलिट्री स्टेशन में कर्नल अविनाश सिंघल के नेतृत्व में 10 आफिसर्स, 16 जेसीओ और 301 जवानों के साथ किया गया था। आज यह 17 रेजीमेंट एडजूटेंट कैप्टन आभास चौरसिया, मेजर एसएस कुंडू, कैप्टन शरीफ ए, कैप्टन टिकाराम गुरुंग, कैप्टन संग्राम सिंह चंडवट जैसे वीरों से देश में सेना का नाम रोशन कर रही है। वीरता के पदक से सजी रेजीमेंट :

अब तक विभिन्न ऑपरेशनों और युद्धों में वीरता का प्रदर्शन करने पर रेजीमेंट को कई पदक मिले हैं। इसमें एक अशोक चक्र, दो महावीर चक्र, तीन कीर्ति चक्र, पांच वीर चक्र, 14 शौर्य चक्र, दो पदमश्री, पांच अतिविशिष्ट सेवा मेडल, एक युद्ध सेवा मेडल, 51 सेना मेडल और आठ विशिष्ट सेवा मेडल शामिल है।


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